कस्तूरबा नगर बुलडोजर मामला : दलित और अल्पसंख्यकों के आशियाने को गिरा रही सरकार : NCHRO की रिपोर्ट
पूरे देश में जगह-जगह जिस तरह से झुग्गियों को उजाड़ा जा रहा है।
दिल्ली स्थित कस्तूरबा नगर की झुग्गियों को तोड़ने के मामले को ध्यान में रख कर सोमवार को नेशनल कॉन्फ़ेडरेशन ऑफ़ ह्यूमन राइट्स ऑर्गनाइज़ेशन (NCHRO) ने एक रिपोर्ट जारी की है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि “कस्तूरबा नगर झुग्गियों में ज्यादातर दलित और अल्पसंख्यकों समुदाय के लोगों के घर हैं। यही कारण है जो सरकार झुग्गियों को तोड़ना चाहती है।”
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आप को बात दें कि DDA जिस सड़क का निर्माण करना चाहती है, वह शिवम एन्क्लेव (एक उच्च वर्ग कॉलोनी) के पास के पार्क/ पार्किंग को हटाकर बनी है, इसी कॉलोनी के सड़क निर्माण के लिए DDA कस्तूरबा नगर की झुग्गियों को तोड़ना चाहती है।
DDA की तरफ से दिल्ली स्थित कस्तूरबा नगर की झुग्गियों को उजड़ने की तैयारियां कर रही है। बीते 17 अगस्त को कस्तूरबा नगर के निवासियों द्वारा कड़े विरोध के बाद DDA ने झुग्गियों को नहीं तोड़ा था।
“मज़दूर वर्ग को समाज से किया जा रह अलग”
रिपोर्ट में मज़दूर वर्ग के लोगों को समाज से अलग करने की बात भी कही गया है उसमें लिखा है कि “जिनके पास सत्ता है और पूंजी है (सामाजिक और आर्थिक) वे नहीं चाहते कि उनसे अलग दिखने वाले लोग उनके आस-पास रहें।
यह पूरी दिल्ली में हो रहा है, जहां सरकार और शक्तिशाली लोग मजदूर वर्ग के लोगों को सिर्फ इसलिए दूर फेंक देते हैं क्योंकि वे उनके जैसे नहीं हैं।”
NCHRO द्वारा जारी रिपोर्ट में इस बात का कि जिक्र किया गया है कस्तूरबा नगर झुग्गियों में रहे वाले वह लोग देश विभाजन के दौरान 1947 में मुल्तान से भारत लाये आए लोगों ले वंशज हैं।
इन लोगों को शरणार्थियों के रूप में प्रदर्शित किया गया और उस समय की सरकार के द्वारा यह पुरी जमीन दी गयी और अब सभी सरकारें इसे अवैध के रूप में प्रदर्शित कर रही हैं।
क्यों लिया गया हाउस टैक्स?
रिपोर्ट में कहा गया है कि यह वही सरकारें हैं जिन्होंने इनसे हाउस टैक्स लिया है, उन्हें घर का नंबर आवंटित किया है और उनका वोट लिया है। यदि उनके घर अवैध हैं तो जिन एजेंसियों ने उन्हें ये सेवाएं आवंटित की हैं, वे भी अवैध हैं और जिन सरकारों ने उनके वोट मांगे हैं वे भी अवैध हैं।
जारी रिपोर्ट में कस्तूरबा नगर के निवासियों कि बातों को भी उजागर किया गया है, लिखा है कि सभी निवासियों को दृढ़ता से लड़ने कि जरुरत है क्योंकि यह उनकी अपनी लडाई है।
उन्हें एकजुट रहने की जरूरत है। ये सरकारें उन पर अत्याचार कर रही हैं और उनका दमन करना चाहती हैं क्योंकि वे अपने अधिकारों के लिए लड़ रहे हैं।
वहीं कस्तूरबा नगर के निवासियों का कहा कि वह तब तक नहीं रुकेंगे जब तक हमें हमारा घर नहीं मिल जाता और हम एकजुट होकर लड़ेंगे।
रिपोर्ट रिलीज के दौरान डीयू में प्रोफेसर जितेंद्र मीणा, कस्तूरबा नगर के सबसे पुराने निवासी गुरुशरण सिंह, एनसीएचआरओ के उपाध्यक्ष आशुतोष, छात्र संगठन भगत सिंह छात्र एकता मंच की सदस्य मोनिका और कस्तूरबा नगर निवासी धनु और विक्की मौजूद रहे।
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