लोकसभा चुनाव से पहले राष्ट्रीय न्यूनतम वेतन में बढ़ोतरी कर सकती है केंद्र सरकार

लोकसभा चुनाव से पहले राष्ट्रीय न्यूनतम वेतन में बढ़ोतरी कर सकती है केंद्र सरकार

द इकोनॉमिक टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार केंद्र सरकार द्वारा उच्च-स्तरीय विशेषज्ञ पैनल का गठन किया गया है जो राष्ट्रीय न्यूनतम वेतन वृद्धि को लेकर सरकार को अपने सुझाव देगी.

ख़बरों के मुताबिक अधिकारियों का अनुमान है कि 2021 से एसपी मुखर्जी के नेतृत्व वाली एक विशेषज्ञ समिति द्वारा निर्धारित अनुशंसित फ्लोर वेज, इस साल अप्रैल-मई में होने वाले आगामी आम चुनावों से पहले लागू किया जा सकता है.

सूत्रों ने अखबार को बताया कि जून, 2024 तक तीन साल के कार्यकाल के लिए स्थापित समिति अपनी रिपोर्ट सौंपने की कगार पर है. रिपोर्ट लगभग पूरी हो चुकी है और उम्मीद है कि समिति आखिरी दौर की बैठकों के बाद इसे अंतिम रूप दे देगी.

लगभग 500 मिलियन श्रमिकों के साथ, जिनमें से 90 प्रतिशत असंगठित क्षेत्र में हैं. वर्तमान न्यूनतम वेतन ₹176 प्रति दिन है, जिसे अंतिम बार 2017 में संशोधित किया गया था.

यह दर राज्यों के लिए वैधानिक रूप से बाध्यकारी नहीं है. अधिकारियों का तर्क है कि जीवन यापन की बढ़ती लागत और मुद्रास्फीति को ध्यान में रखते हुए संशोधन आवश्यक है.

प्रस्तावित नया न्यूनतम वेतन यदि लागू किया जाता है, तो सभी राज्यों में अनिवार्य होगा. यह वेतन संहिता, 2019 द्वारा सशक्त किया गया है, जो केंद्र सरकार को कर्मचारी के न्यूनतम जीवन स्तर के आधार पर न्यूनतम वेतन स्थापित करने का अधिकार देता है.

2019 में अनूप सत्पथी के नेतृत्व वाली एक समिति ने प्रति दिन ₹375 का न्यूनतम वेतन का सुझाव दिया था.
जिसे बाद में नियोक्ताओं के लिए पर्याप्त वित्तीय निहितार्थ के कारण सरकार ने इस प्रस्ताव को खारिज कर दिया था.

वही अब हितधारकों को उम्मीद है कि मौजूदा समिति मौजूदा ₹176 प्रति दिन और पिछली ₹375 प्रति दिन की सिफारिश के बीच संतुलन बनाएगी.

चर्चा में शामिल एक नियोक्ता के प्रतिनिधि ने इकनोमिक टाइम्स को बताया “केंद्र और राज्य दोनों सरकारों के नियोक्ताओं पर वित्तीय प्रभाव को कम करने के लिए समिति से एक संतुलित वेतन पर पहुंचने की उम्मीद है.”

समिति द्वारा पोषण और गैर-खाद्य आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए ,नई न्यूनतम मजदूरी निर्धारित करने में मुद्रास्फीति और घरेलू व्यय लागत पर विचार करने की संभावना है.

वेतन संहिता, 2019 के अनुसार सरकार के पास विभिन्न भौगोलिक क्षेत्रों के लिए अलग-अलग न्यूनतम वेतन निर्धारित करने का अधिकार है.

हालाँकि यदि उपयुक्त सरकार द्वारा निर्धारित न्यूनतम दरें मौजूदा न्यूनतम वेतन से अधिक हो तो यह मजदूरी कम करने पर रोक लगाता है.

वर्तमान में कुछ राज्यों ने अपना दैनिक वेतन स्तर ₹176 से कम निर्धारित किया है, जबकि अन्य में इसकी दर अधिक है. जिससे न्यूनतम वेतन में असमानताएं बढ़ रही हैं और देश के भीतर प्रवासी मजदूरों की आवाजाही पर असर पड़ रहा है.

( इकनोमिक टाइम्स कि खबर से साभार)

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Abhinav Kumar

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