सफाई कर्मचारियों को वेतन देने में आनाकानी करने वाले ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी में 300 करोड़ के घोटाले का आरोप

सफाई कर्मचारियों को वेतन देने में आनाकानी करने वाले ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी में 300 करोड़ के घोटाले का आरोप

‘क्लीन नोएडा, ग्रीन नोएडा’ की  पंचलाइन वाला नोएडा-ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण पिछले कई हफ्तों से सुर्ख़ियों में बना हुआ है।

बीते सप्ताह नोएडा अथारिटी के कार्यालय के बाहर 3000 सफाई कर्मचारी वेतन वृद्धि की मांग को लेकर धरना कर रहे थे।

वहीं अब ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के दो अधिकारियों पर डिजिटल सिस्टम तैयार करने के नाम पर 300 करोड़ रुपये का घोटाला करने का आरोप लगा है।

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भ्रष्टाचार के आरोपों की शिकायत प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री पोर्टल पर की गई है। यह शिकायत गांव बादलपुर के समाजसेवी राजेंद्र नागर ने की है।

शिकायत मिलने पर राज्य के मुख्यमंत्री ने इस मामले में जल्द जांच के निर्देश दिए हैं।

आरोपी प्राधिकरण के पूर्व मुख्य कार्यपालक अधिकारी (CEO), जनरल मैनेजर प्लानिंग और वरिष्ठ प्रबंधक (सिस्टम) हैं।

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ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण में केस पर जांच शुरू कर दी है। प्राधिकरण की अपर मुख्य कार्यपालक अधिकारी, अदिति सिंह ने विशेष कार्याधिकारी सौम्य श्रीवास्तव को जांच की जिम्मेदारी सौंपी है।

उन्होंने इस प्रकरण की जांच करके तथ्यात्मक रिपोर्ट 15 दिनों में देने के आदेश दिए हैं।

ट्राइसिटी टाइम्स के अनुसार, बादलपुर निवासी राजेंद्र सिंह ने प्रधानमंत्री पोर्टल और मुख्यमंत्री पोर्टल पर शिकायत करते हुए कहा, “ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी के पूर्व CEO, महाप्रबंधक नियोजन और वरिष्ठ प्रबंधक सिस्टम ने नियमों के विपरीत कार्य किया है।”

कमीशन की आड़ में हर महीने भुगतान

उन्होंने आरोप लगाते हुए आगे कहा, “अथॉरिटी में डिजिटल सॉफ्टवेयर तैयार करने के लिए एक नामी कंपनी को काम दिया गया है। अनुबंध की शर्तों के खिलाफ भुगतान कर दिया गया है।

कमीशन की आड़ में अतिरिक्त समय सीमा बढ़ाते हुए निरंतर प्रत्येक महीना भुगतान किया जा रहा है।”

राजेंद्र सिंह ने आरोप लगाते हुए कहा है कि सॉफ्टवेयर को चालू करने में अब तक प्राधिकरण 300 करोड रुपए का भुगतान कर चुका है। फिर भी सॉफ्टवेयर पूरी तरह तैयार नहीं है।

उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि इसमें बहुत बड़ा भ्रष्टाचार किया गया है, जिसकी जांच होनी अति आवश्यक है।

वरिष्ठ प्रबंधक सिस्टम ने ऐसे कर्मचारियों को भर्ती कर लिया है, जो ऑनलाइन सॉफ्टवेयर तैयार करने में सक्षम नहीं हैं।

आउटसोर्स कर्मचारियों से प्लानिंग में काम करवाया जा रहा है।

उनके डिजिटल हस्ताक्षर और आधार नंबर पर हस्ताक्षर लिंक की अनुमति प्रदान कर दी गई है, जो नियमों के खिलाफ है।

एसीईओ ने ओएसडी को सौंपी जांच

उन्होंने आगे प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री पोर्टल पर दाखिल शिकायत में कहा कि नियोजन विभाग में जिम्स पोर्टल के माध्यम से आउटसोर्सिंग पर महाप्रबंधक नियोजन की ओर से समस्त ऑनलाइन मानचित्र स्वीकृति और पत्रावली पर कार्रवाई की गई है।

जबकि, यह कार्य अथॉरिटी में स्वीकृत पद पर तैनात स्थाई कर्मचारियों के द्वारा करवाना चाहिए। इसी तरह प्रोजेक्ट, भूलेख, वित्त, विधि और संपत्ति विभाग में भी आउटसोर्सिंग पर आए कर्मचारियों से प्राधिकरण के तमाम संवेदनशील और महत्वपूर्ण काम करवाए जा रहे हैं।

प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री पोर्टल के अलावा उन्होंने उत्तर प्रदेश के औद्योगिक विकास मंत्री नंद गोपाल नंदी को भी लेटर भेजा है।

अब ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण की अपर मुख्य कार्यपालक अधिकारी अदिति सिंह के आदेश पर ओएसडी सौम्य श्रीवास्तव ने जांच शुरू कर दी है।

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WU Team

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