गुजरात: ओल्ड पेंशन स्कीम को लेकर सरकारी कर्मचारियों का जारी है आंदोलन
पुरानी पेंशन योजना (ओपीएस) की मांग को लेकर गुजरात में अभी भी सरकारी कर्मचारी अड़े हुए हैं। शनिवार को भी राज्य भर में हजारों की संख्या में कई संगठन के तहत सरकारी कर्मचारी पुरानी पेंशन योजना की मांग को लेकर सामूहिक अवकाश (मास सीएल) पर उतरे। मास सीएल पर उतरकर उन्होंने राज्य सरकार के खिलाफ अपना विरोध जताया।
पहले सरकारी कर्मचारी गुजरात राज्य संयुक्त कर्मचारी मोर्चा के बैनर तले आंदोलन कर रहे थे। इन्होंने अपना आंदोलन खत्म करने की घोषणा की थी जिसमें यह बताया गया कि सरकार ने उनकी अधिकांश मांगें मान ली हैं, लेकिन जिला स्तर पर यूनियन ने यह दावा किया कि राज्य सरकार ने उनकी पुरानी पेंशन योजना की मुख्य मांग को स्वीकार नहीं किया है। इसलिए अब ये कर्मचारी अपनी प्रमुख मांग पुरानी पेंशन को लेकर मैदान में उतरे हैं।
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कुछ ही मांगें पूरी होने से कई संगठन असंतुष्ट हैं, जो अभी भी अपना आंदोलन जारी रखेंगे। इसके चलते अब सरकारी कर्मचारी के संगठनों में दो फाड़ हो गए हैं।
राज्य के वर्ग-3 और वर्ग-4 के करीब छह लाख सरकारी कर्मचारी पिछले कई दिनों से आंदोलन कर रहे है। ये कर्मचारी 16 मांगों को लेकर आंदोलनरत हैं।
सरकारी कर्मचारी अभी भी विरोध क्यों कर रहे हैं?
प्रदर्शनकारियों ने दावा किया कि उनकी मुख्य मांग ओपीएस थी और सरकार द्वारा अभी तक इसका समाधान नहीं किया गया है।
Mint से मिली जानकारी के अनुसार राष्ट्रीय संयुक्त मोर्चा, सौराष्ट्र क्षेत्र के संयोजक महेश मोरी ने कहा, “हमारी मुख्य मांग OPS थी और शुक्रवार को राज्य सरकार द्वारा इस मुद्दे को हल नहीं किया गया था। यह मुद्दा राज्य के प्रत्येक कर्मचारी को प्रभावित करता है और इसलिए यह सामूहिक अवकाश (मास सीएल) किया गया है।”
उन्होंने कहा कि अकेले भावनगर जिले में शनिवार को करीब 7,000 सरकारी शिक्षक छुट्टी पर थे।
इसे जोड़ते हुए, गांधीनगर में एक प्रदर्शनकारी कर्मचारी ने कहा, “हमारी यूनियन के नेताओं ने यह कहते हुए हड़ताल वापस ले ली थी कि हमारी सभी मांगें मान ली गई हैं।
लेकिन, ओपीएस की हमारी मुख्य मांग अभी भी कायम है। सरकार केवल उन कर्मचारियों को ओपीएस देने के लिए सहमत हुई है, जिन्होंने 2005 से पहले सेवा में शामिल हुए, जबकि हम में से अधिकांश ने 2005 के बाद ज्वाइन किया है।”
राज्य में ओपीएस को फिर से शुरू करने के लिए शिक्षकों, पंचायत स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं और राजस्व कर्मचारियों का प्रतिनिधित्व करने वाले संघ पिछले कुछ समय से विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं।
सरकार ने क्या पेशकश की है?
राज्य सरकार का कहना है कि सरकारी कर्मचारी जो अप्रैल 2005 से पहले शामिल हुए थे, उन्हें सामान्य भविष्य निधि और पुरानी पेंशन योजना का लाभ मिलेगा। नई पेंशन योजना उन पर लागू नहीं होगी।
गुजरात के राज्य शिक्षा मंत्री जीतू वघानी ने कहा, “इसके अलावा, जैसा कि यूनियनों ने मांग की थी, सीपीएफ (अंशदायी भविष्य निधि) में राज्य सरकार का योगदान अब 10 प्रतिशत से बढ़ाकर 14 प्रतिशत कर दिया गया है। कर्मचारी की मृत्यु के मामले में, 2009 में केंद्र सरकार द्वारा बनाए गए नियमों के अनुसार राज्य परिवार पेंशन देगा।”
उन्होंने यह भी कहा कि पुरानी पेंशन योजना पर फैसला सही समय पर लिया जाएगा क्योंकि यह नीतिगत मामला है।
वघानी ने कहा कि चिकित्सा भत्ता भी ₹300 से बढ़ाकर ₹1,000 कर दिया गया और सातवें वेतन आयोग के तहत केंद्र सरकार के कर्मचारियों की तर्ज पर सभी लंबित भत्तों को लागू किया गया।
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गौरतलब है कि देशभर में ओल्ड पेंशन स्कीम के मुद्दे पर प्रदर्शन हो रहे हैं। कई राज्यों ने अपने सरकारी कर्मचारिओं को इसका फ़ायद भी देना शुरू कर दिया है। अब सभी की नज़रे बिहार की तरफ हैं।
बिहार में जेडीयू-बीजेपी गठबंधन टूटने के बाद वहां के सरकारी कर्मचारियों के मन में पुरानी पेंशन की बहाली की आस बंधने लगी है। इसको लेकर वहां के कर्मचारियों ने ट्विटर पर मैसेज भी देने शुरू कर दिये हैं।
अगर आप को याद हो तो तेजस्वी यादव ने बिहार में आरजेडी सरकार बनने पर पुरानी पेंशन लागू करने की घोषणा की थी।
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