गुजरात: निजीकरण पर दोहरी नीति दिखाते हुए मोदी सरकार ने वंदे भारत एक्सप्रेस को दी हरी झंडी
निजीकरण के नाम पर दोहरी नीति दिखाते हुए मोदी सरकार ने गुजरात में 30 सितंबर को वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेन को हरी झंडी दे दी है।
जहां एक तरफ इस बात का दवा किया जा रहा है कि वंदे भारत का संचालन सरकारी कर्मियों द्वारा किया जायेगा वहीं दूसरी तरफ़ा इसमें रेलवे कर्मियों को मिलने वाली सभी सुविधाओं को खत्म कर दिया गया है।
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इंडियन रेलवेज एम्प्लाइज फेडरेशन के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष कमल उसरी ने वर्कर्स यूनिटी को बातचीत के दौरान बताया की वंदे भारत का संचालन सरकारी सेक्टर द्वारा किया जा रह है, लेकिन उसमें रेलवे कर्मियों को मिलने वाली सुविधाओं को खत्म कर दिया गया है। तो यह कहना गलत नहीं होगा की ये भी निजीकरण का ही एक रूप है।
उन्होंने बताया की वंदे भारत में रेलवे कर्मियों की मिलने वाली पास की सुविधा को समाप्त कर दिया गया है। इतना ही नहीं विकलांग सुविधा, वरिष्ठ नागरिक को मिलने वाली सभी सुविधाओं को ख़त्म कर दिया गया है।
उनका कहना है कि रेलवे आप जनता की सवारी है, लेकिन वंदे भारत में टिकट को इतना महंगा कर दिया गया है कि मध्यम और मज़दूर वर्ग के लोगों के लिए इसमें सफर करना काफी मुश्किल है।
कमल उसरी का आरोप है कि “वंदे भारत ट्रेन में यात्रियों से वसूले जाने वाला का किराय तो बढ़ा दिया गया है। लेकिन उसमें काम करने वाले कर्मचारयों को मिलने वाली ESI, PF और वेतन को सामन्य ट्रेनों के बराबर ही रखा गया है। यह अपने आप में साबित करता है कि वंदे भारत भी निजीकरण का ही रूप है।”
उनका कहना है इस साल बोनस के नाम पर भी रेलवे कर्मचारियों के साथ मज़ाक किया गया है।
जहां एक तरफ मोदी सरकार निजीकरण को बढ़ावा देते हुए रोज़ नयी ट्रेनों का संचालन शुरू कर रही है। वहीं दूसरी तरफ़ा कोरोना काल में जो पैसेंजर ट्रेनें बंद की गई थीं, उन्हें अभी तक शुरू नहीं किया गया है।
ट्रेन परिचालन में उच्च पदस्थ अधिकारी ने नाम न बताने की शर्त पर कहा कि अभी तक पूरे देश में सिर्फ 50 प्रतिशत ट्रेनों को ही चलाया जा रहा है और इसी बीच ट्रेनों को प्राईवेट हाथों में देने की योजना पर भी तेजी से काम किया जा रहा है। मोदी सरकार चाहती है कि 2024 के पहले पहले अधिकांश ट्रेनों का परिचालन निजी हाथों में सौंप दिया जाए।
आप को बता दें कि इससे पहले 15 फरवरी 2019 को पहली बार नई दिल्ली-कानपुर-इलाहाबाद-वाराणसी मार्ग पर वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेन को हरी झंडी दिखाई गई थी।
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गौरतलब है कि जब पहली बार बीजेपी सरकार सत्ता में आयी थी उसके बाद मोदी ने अपने पहले बनारस दौरे में रेलवे कर्मियों के बीच में एक भाषण दिया था। जिसमें उन्होंने कहा था तत्कालीन सरकार कभी भी रेलवे को नहीं बिकने देगी।
मोदी का कहना था कि वह रेलवे को कर्मचारियों के ज्यादा समझता हूँ, क्योंकि उन्होंने रेलवे स्टेशनों पर चाय बेची था। लेकिन अब तमाम विरोधों के बाद भी रेलवे का निजीकरण रुकने का नाम नहीं ले रहा है। मोदी सरकार देश में निजीकरण के नाम पर मज़दूरों को आधुनिक गुलाम बनाने की तैयारी कर रही है।
(स्टोरी संपादित-शशिकला सिंह)
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