खट्टर का तुगलकी फरमान, सरकारी स्कूलों में फीस 500 रु., प्राईवेट स्कूलों में दाखिले पर सरकार भरेगी 1100 रु.
By शशिकला सिंह
हरियाणा में बीजेपी की खट्टर सरकार का एक और तुगलकी फरमान जारी हुआ है। नए फरमान के अनुसार, सरकारी स्कूलों में पढ़ने पर खुद देनी पड़ रही है 500 रू और प्राइवेट स्कूलों में दाखिला लेने पर 1100 रू .फीस सरकार भरेगी।
आर्थिक रूप से कमजाेर व मज़दूर वर्ग के बच्चों के लिए सरकार द्वारा शुरू की गई चिराग योजना का विरोध होना शुरू हो गया है। लेक्चरर वेलफेयर एसोसिएशन की ऑनलाइन मीटिंग मंगलवार को संरक्षक सुनील नेहरा की अध्यक्षता में हुई।
शिक्षक संघ इस योजना को शिक्षा का निजीकरण करार दे रहे हैं। यही नहीं इसे सरकारी स्कूलों के हित में नहीं बता रहे हैं।
इसका अब प्रदेश भर में विरोध होना शुरू हो गया है, वहीं दूसरी तरफ डीसी के माध्यम से सरकार को ज्ञापन भेजने की तैयारी की जा रही है।
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राज्य प्रधान अनिल अहलावत ने बताया कि विभाग के उच्च अधिकारियों द्वारा रोज तुगलकी फरमान जारी किए जा रहे हैं लेकिन जब स्वयं के उत्तरदायित्व की बात आती है तो उसका निर्वाहन नहीं किया जाता हैं और अस्पष्ट आदेश दे दिए जाते हैं।
शिक्षक संघों का कहना है कि सरकार की यह योजना सरकारी स्कूलों से बच्चों की संख्या को कम कर देगी।
उल्लेखनीय है कि इससे पहले शिक्षा नियमावली 134ए के तहत बच्चों को निजी स्कूलों में दाखिला दिया जाता रहा है। इसका निजी स्कूलों ने भी विरोध किया, जबकि उनको विद्यार्थियों को पढ़ाने के लिए निजी स्कूलों को दी जाने वाली फीस को लेकर विवाद रहा था।
सरकारी स्कूल हो जाएंगे बंद
भास्कर में आई खबर के मुताबिक हरियाणा अनुसूचित जाति राजकीय अध्यापक संघ के राज्य प्रधान डा. दिनेश नीमबढ़िया व राज्य प्रेस सचिव मोहन परोचा ने कहा कि हरियाणा सरकार गरीब बच्चों को शिक्षा से वंचित करने के लिए चिराग योजना लेकर आई है। यह योजना सरकारी स्कूलों बंद करने की सोची समझी योजना है।
इस योजना के तहत हरियाणा सरकार पहली से बाहरवीं तक के बच्चों का दाखिला पास के प्राइवेट स्कूलों में कराएगी और इनकी सारी फीस हरियाणा सरकार प्राइवेट स्कूलों को देगी।
राजकीय विद्यालयों को सिर्फ और सिर्फ निजीकरण करने की चाल है। क्योंकि इसमें इंग्लिश मीडियम के नाम पर गरीब बच्चों से दाखिला फीस व 200 से लेकर ₹500 मासिक फीस वसूल की जाएगी।
सरकारी स्कूलों का निजीकरण
सरकारी पदों का भी निजीकरणअभी हाल ही में हरियाणा सरकार द्वारा शिक्षा का निजीकरण और सरकारी पदों को निजीकरण करने के संकेत दिए है जिसमें सरकारी स्कूलों में पढ़ने पर खुद देनी पड़ रही है 500 रू और प्राइवेट स्कूलों में दाखिला लेने पर 1100 रू .फीस सरकार देगी pic.twitter.com/HfUAQ7le1U
— आज़ाद परिंदा (आदिवासीनामा) (@iPrahladMeena) July 19, 2022
ज्यादातर राजकीय विद्यालय में पढ़ने वाले बच्चों के अभिभावक गरीबी रेखा से नीचे रहते हैं। उनमें यह फीस वहन करने की क्षमता नहीं है।
उनका आरोप है कि यह योजना शिक्षा के निजीकरण की ओर एक बढ़ता हुआ क़दम है। इस योजना से हजारों सरकारी स्कूल बंद हो जाएंगे।
सरकार स्कूलों की दशा सुधारने की बजाए व खाली पड़े शिक्षकों के पदों को भरने की बजाए, सरकारी स्कूलों के बच्चों को पैसे देकर प्राइवेट स्कूल में पढ़ाएगी।
सरकारी स्कूल धीरे-धीरे बंद हो जाएंगे। शिक्षकों की भर्ती नहीं करनी पड़ेगी। इसका असर सरकारी स्कूलों में तैनात टीचर्स सहित अन्य कर्मचारियों पर असर पड़ेगा। इसी कड़ी में बीस जुलाई को शिक्षक संघ डीसी कार्यालय पहुंचकर सरकार का विरोध करेंगे। साथ ही सरकार के नाम ज्ञापन सौंपेंगे।
टीचराें के डेटा की सुरक्षा पर जताई चिंता
संरक्षक सुनील नेहरा व उप प्रधान सुरेश गोस्वामी ने बताया कि विभाग द्वारा विभिन्न प्रकार के एप मोबाइल फोन में डाउनलोड करवाए जा रहे हैं।
इससे शिक्षकों व विद्यार्थियों का डेटा सुरक्षित रहेगा इसका अंदेशा है। क्योंकि प्रधानमंत्री जैसे अति विशिष्ट व्यक्तियों का ट्विटर भी जब हैक हो जाता हैं तो शिक्षकों और विद्यार्थियों का डाटा कितना सुरक्षित होगा, हम स्वयं सोच सकते हैं।
विभाग के अधिकारी विभिन्न प्रकार की एप डाउनलोड करवाने के साथ-साथ लिखित में ये आश्वासन दें कि इन एप से व्यक्तिगत डाटा वर्तमान व भविष्य में गलत उपयोग नही होगा तथा आज जो एनजीओ एप डाउनलोड करवा रहे हैं भविष्य में उनके साथ जब कॉन्ट्रेक्ट खत्म हो जाएगा तब डाटा किसके पास रहेगा।
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