दिल्ली में सफाई कर्मियों की मौत का हाईकोर्ट ने लिया स्वतः संज्ञान
राजधानी दिल्ली में शुक्रवार 9 सितंबर को एक सीवर की सफाई के दौरान एकबार फिर दो सफाईकर्मियों ने सफाई करते हुए अपनी जान गंवा दी।
इस घटना का दिल्ली हाई कोर्ट ने स्वतः संज्ञान लेते हुए आज 13 सितंबर को दिल्ली की केजरीवाल सरकार, दिल्ली नगर निगम और दिल्ली जल बोर्ड (डीजेबी) को नोटिस भेजा और जवाब तलब किया है।
दरअसल आउटर दिल्ली के मुंडका इलाके के बक्करवाला स्थित एक अपार्टमेंट में शुक्रवार को एक सीवर की सफाई के लिए गए सफाईकर्मी और एक सुरक्षाकर्मी की उस सीवर से निकली जहरीली गैस के कारण मौत हो गई थी। दिल्ली में इस प्रकार के हादसों का सिलसिला लगातार जारी है।
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हादसे के वक्त दोनों कर्मचारियों ने सुरक्षा के कोई उपकरण नहीं पहने हुए थे और न ही उनको सोसायटी या विभाग वालों ने कोई उपकरण दिये गए थे। मृतकों की पहचान 32 वर्षीय रोहित चांडिल्य और 30 वर्षीय अशोक के रूप में हुई।
दिल्ली हाईकोर्ट ने लिया स्वतः संज्ञान
दिल्ली हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा और न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद की पीठ ने 11 सितंबर को मीडिया में प्रकाशित समाचार के आधार पर उक्त घटना का स्वत: संज्ञान लेते हुए एक जनहित याचिका दर्ज करने का निर्देश दिया था और मामले में दिल्ली नगर निगम, दिल्ली सरकार और दिल्ली जल बोर्ड (डीजेबी) को नोटिस जारी किया।
कोर्ट ने वरिष्ठ अधिवक्ता राजशेखर राव को सहायता के लिए न्याय मित्र नियुक्त किया था।
दिल्ली सरकार ने एलजी को बताया जिम्मेदार
कोर्ट द्वारा संज्ञान लेने के बाद आम आदमी पार्टी ने उपराज्यपाल वी के सक्सेना पर आरोप लगते हुए उनके अधीन आने वाला दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) को इस दुखद घटना के लिए जिम्मेदार बताया।
‘आप’ के मुख्य प्रवक्ता ने सोमवार को एक बयान जारी कर कहा कि दिल्ली के उपराज्यपाल ‘बिना किसी जवाबदेही के पद का लुत्फ नहीं ले सकते।’ पार्टी के आरोप पर उपराज्यपाल कार्यालय या दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) की ओर से तत्काल कोई प्रतिक्रिया नहीं आई।
‘आप’ ने इस मामले में उपराज्यपाल कार्यालय द्वारा उच्च न्यायालय को गुमराह करने का आरोप लगते हुए कहा, ‘‘केंद्र सरकार के वकील ने अदालत में यह नहीं बताया कि डीडीए की गलती है? इसके बजाय अदालत ने दिल्ली सरकार, एमसीडी (दिल्ली नगर निगम) और दिल्ली जल बोर्ड को नोटिस जारी किया।’’
परिजनों ने की न्याय की मांग
जान गंवाने वाले सफाईकर्मी के बहनोई ने सवाल उठाया कि किसने उन्हें मैनहोल में नीचे जाने की अनुमति दी? कहा कि हमें नहीं पता कि वह कितनी देर तक मैनहोल के अंदर था। उन्होंने कहा कि दोनों शवों को अग्निशमन कर्मियों की मदद से बाहर निकालना पड़ा क्योंकि कालोनी के निवासियों द्वारा उन्हें निकालने का प्रयास विफल हो गया था।उन्होंने पीड़ित परिवार के लिए न्याय की मांग की।
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ज्ञात हो कि हर साल तमाम सफाई कर्मचारी सीवर और सेप्टिक टैंक की सफाई करते हुए मौत के शिकार बनते हैं। यह गैरकानूनी प्रथा आजादी के 75 साल बाद भी मौजूद है।
दिल्ली उच्च न्यायालय ने इस घटना का स्वतः संज्ञान लिया है। देखना है कि क्या पीड़ितों को वास्तव में न्याय मिलेगा? क्या इस घिनौनी परंपरा का अंत होगा, जिसमें बगैर किसी सुरक्षा व सुरक्षा उपकरणों के कर्मचारियों को मौत के कुएं में धकेला जाता है?
(साभार मेहनतकश)
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