‘मुसलमानों को निशाना बनाकर असल मुद्दों से भटकाने की तैयारी में हिंदुत्ववादी संगठन’
By: शशिकला सिंह
बीते 16 अक्टूबर, रविवार को गुड़गांव के मानेसर में विश्व हिन्दू परिषद (VHP) ने महापंचायत का आयोजना किया था। जिसमें विश्व हिन्दू परिषद के संयुक्त महासचिव सुरेंद्र जैन ने मानेसर के मौलवियों को लेकर एक विवादित बयान दिया था।
अपने भाषण में जैन ने मौलवियों को चेतावनी देते हुए कहा था-
“अपना सामान बांध लो’ वरना मानेसर के लोग तुम्हें नहीं छोड़ेंगे। ये हिंदू राष्ट्र था, है और रहेगा।”
जैन के इस सांप्रदायिक बयान के बाद मानेसर स्थित मज़दूर यूनियनों ने रोष व्यक्त किया है।
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मानेसर स्थित मारुति के कम्पोनेट पार्ट्स बनाने वाली बेलसोनिका प्राइवेट लि. की यूनियन के महासचिव अजित सिंह का कहना है कि देश में जो माहौल बन रहा है, वो चिंताजनक है। यहां रेहड़ी-पटरी वालों, फैक्ट्रियों के मजदूरों और स्वरोजगार करने वाले मुस्लिमों और दलितों को निशाना बनाया जा रहा है।
उनका कहना है कि देश में सांप्रदायिक विषयों को तूल देने की कोशिश हो रही है। असल मुद्दों से आम जनमानस को भटकाया जा रहा है। ग्लोबल हंगर इंडेक्स में भारत का स्थान फिसला है। 121 देशों में हिन्दुस्तान 107वें नंबर पर है। भुखमरी की हालत में बताए जाने वाले बांग्लादेश, पाकिस्तान, श्रीलंका और नेपाल जैसे भारत के पड़ोसी देश ग्लोबल हंगर इंडेक्स की लिस्ट में ऊपर हैं। पाकिस्तान इस सूची में 99वें और बांग्लादेश 84वें स्थान पर है। नेपाल, म्यांमार और श्रीलंका क्रमशः 81वें, 71वें और 64वें स्थान पर हैं। अजित ने कहा कि भारत के 80 करोड़ लोग 5 किलो अनाज पर निर्भर है। देश में बेरोजगारी बढ़ रही है।
अजित का कहना है कि “सरकार महंगाई पर अंकुश नहीं लग पा रही है, इसलिए जनता का ध्यान ऐसे मुद्दों से भटकाने के लिए दूसरे विषयों को उछाला जा रहा है। आखिर, क्यों मुसलमानों का बायकॉट हो रहा है? गरीबी, भुखमरी और बेरोजगारी के लिए धर्म या कोई जाति नहीं, बल्कि सरकारी योजनाएं जिम्मेदार है।”
मारुति मजदूर यूनियन के सदस्य खुशीराम का कहना है कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के गिने चुने लोग ऐसे बयान देते रहते हैं। ये फैक्ट्रियों में काम करने वालों और यूनियन के खिलाफ हैं। हमने पहले भी ज्ञापन दिया है। ये मजदूरों को बांटने की कोशिश में रहते हैं। मजदूरों के बीच आपसी झगड़ा लगाने के लिए इस तरह के बयान जानबूझकर देते हैं। ये गलत हो रहा है। ऐसा नहीं होना चाहिए।
गौरतलब है कि मानेसर में वीएचपी की ओर से 17 अक्टूबर को आयोजित ‘त्रिशूल दीक्षा’ कार्यक्रम में 100 से अधिक लोगों की मौजूदगी में सुरेंद्र जैन ने कहा, ”12-13 साल पहले सिर्फ तीन मुसलमान परिवार भोरा कलां आए थे और उस जगह पर नमाज़ पढ़ने की इजाज़त मांगी थी, जहां बकरियां घास चरती थीं। तब एक आपसी सहमति बनी थी कि वहां न तो कोई मौलवी रखा जाएगा और न ही बाहर से कोई आकर रहेगा।”
”लेकिन धीरे-धीरे बाहरी लोगों का आना-जाना शुरू हो गया। उन्होंने ईंटें जोड़ीं और मस्जिद बनाने का काम शुरू कर दिया। कोई आप के घर में घुसकर मस्जिद बनाएगा, आप स्वीकार करोगे? जो भोरा कलां में हुआ है वो कल गुरुग्राम, मानेसर, हरियाणा और देश के किसी भी कोने में हो सकता है। वो पूरे देश का धर्म बदलना चाहते हैं। मैं भोरा कलां के लोगों को बधाई देता हूं कि उन्होंने उनको सबक सिखा दिया।”
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ऐसा पहली बार नहीं हुआ है जब मानेसर में मुस्लिम विवादित बयान सामने आया है इसके पहले भी हिंदुत्ववादी विचारधारा का प्रचार करने वाली एक हिन्दू महापंचायत में मुस्लिम दुकानदारों और विक्रेताओं के ‘आर्थिक बहिष्कार’ का ऐलान के बाद पूरे इलाके में दहशत का माहौल था। मानेसर और आसपास के इलाके में रहने वाले लोग औद्योगिक मजदूरों का कहना था कि यह सांप्रदयिक माहौल और हिन्दू-मुस्लिम की राजनीति मजदूरों को बांटने की साजिश की जा रही है।
इस दौरान इन्कलाबी मजदूर केंद्र के श्यामवीर का कहना था कि हिन्दू कट्टरपंथी संगठनों द्वारा दहशत का माहौल बनाया जा रहा है।
उन्होंने कहा था कि “ट्रेड यूनियने भी कुछ हद तक कम्यूनलाइज हुई हैं लेकिन फैक्ट्री के अंदर यूनियने ऐसा कोई माहौल नहीं बनने दे रही हैं। उनके द्वारा यह प्रचार किया जा रहा है कि इस विभाजन का टारगेट सिर्फ अल्पसंख्यक मजदूर नहीं बल्कि पूरा मजदूर वर्ग है।”
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