आम आदमी की जेब पर महंगाई का कहर, पगार पड़ जा रही कम
By रवींद्र गोयल
संस्था CRISIL के आकलन के अनुसार घर में बनी शाकाहारी थाली का औसत खर्च जनवरी 24 में 28 रुपये आता है जो पिछले साल इसी महीने में 26.6 रुपये था.
मतलब आम शाकाहारी परिवार के प्रति आदमी के खाने के खर्च में 5 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई. शाकाहारी थाली के लिए जिन वस्तुओं पर विचार किया जाता है उनमें रोटी (ब्रेड), सब्जियां (प्याज, टमाटर और आलू), चावल, दाल, दही और सलाद शामिल हैं.
यहाँ यह बताते चलें की मांसाहारी थाली का खर्च जरूर सस्ता हो गया है. जनवरी 23 में जो खर्च 59 रुपये 90 पैसे था वो जनवरी 24 में 52 रुपये हो गया. ऐसा चिकन की कीमतों में हुई कमी के कारण हुआ.
लेकिन यह भी एक सच है की गरीब लोग अपनी सीमित आमदनी के चलते यदा कदा ही मांसाहारी भोजन खा पाते हैं, इसलिए उनके लिए यह आंकड़ा बेमानी है.
आइये शाकाहारी थाली की लागत कि बढ़ोत्तरी और मेहनती आदमी की अर्थव्यवस्था पर थोडा विचार करें. आम तौर पर यह माना जाता है कि भारत में प्रति परिवार में 4-5 सदस्य के बीच होते हैं. यदि 4 सदस्य का भी एक परिवार माना जाये और हर सदस्य दिन में तीन बार भोजन करता है, तो प्रतिव्यक्ति एक दिन का भोजन का खर्च 5 रुपया 20 पैसे यानि 21 रूपया प्रति परिवार प्रति दिन के हिसाब से बढ़ गया है या दूसरें शब्दों में कहें तो 630 रुपये महीना बढ़ गया है.
अन्य खर्च जैसे बिजली, दवाई, बच्चों की पढाई, घर का किराया खर्च आदि भी उसी हिसाब से बढ़ा होगा. कुल मिला कर यह कहना अतिश्योक्ति न होगी कि यदि उसको पिछले साल के जीवन स्तर पर रहना है तो उसकी आमदनी कम से कम 1000 रुपये महीने से बढ़नी चाहिए.
आकलन बता रहा है कि वो लोग जिनके पास काम है, की आमदनी पिछले साल 1000 रुपये महिना के हिसाब से बढ़ने की कोई उम्मीद तो नहीं है और न ही बढ़ी होगी.
कोई आश्चर्य नहीं की उनको अपने सीमित खर्चे में कटौती कर के काम चलाना पड़ रहा है. इस कटौती की खबर बेशक कम मिलती है पर कभी कभी मिल जाती है.
फरीदाबाद की फैक्ट्री में काम कर रहे एक मज़दूर ने बताया कि ” हमारे महीने भर की पगार 20 दिनों में खत्म हो जाती है. बाकि के दिन बेहद तंगहाली में बीतते हैं. महीने भर जी-तोड़ मेहनत करने के बावजूद ये हाल है. जिस हिसाब से महंगाई बढ़ी है ,उसकी तुलना में हमारी पगार नहीं बढ़ी”.
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