अब आर पार की लड़ाई के मूड में इंटरार्क यूनियन, 26 अक्टूबर से दोनों प्लांटों में हड़ताल का नोटिस
उत्तराखंड के सिडकुल स्थित किच्छा व पंतनगर में इंटरार्क कंपनी के दोनों प्लांटों की ट्रेड यूनियनों ने मैनेजमेंट को 26 अक्टूबर से सामूहिक हड़ताल पर जाने का नोटिस दे दिया है।
दोनों यूनियनों ने 10 अक्टूबर को अग्रवाल धर्मशाला किच्छा में आम सभा की जिसमें सामूहिक हड़ताल पर निर्णय लिया गया।
इंटरार्क मज़दूर संगठन पंतनगर के अध्यक्ष दलजीत सिंह ने बताया कि कंपनी प्रबंधन ने पिछले 3 सालों से कोई भी वेतन वृद्धि नहीं की है और अभी तक दोनों प्लांटों से 32 बर्खास्त/निलंबित श्रमिकों की कार्यबहाली नहीं की है और इस बारे में श्रम विभाग की बात भी मानने से इनकार कर रहा है, ऐसे मं ये स्थिति बनी है।
उन्होंने कहा कि दोनों यूनियनें किच्छा व पंतनगर ने अपने-अपने लेटर पैड पर दिनांक 13 अक्टूबर 2021 को सामूहिक हड़ताल पर जाने की सूचना प्रबंधन को दे दी हैl
गौरतलब है कि बीते दो महीने से दोनों प्लांटों के बाहर गेट पर मज़दूर क्रमिक अनशन चला रहे हैं।
नोटिस में लिखा है कि प्रतिष्ठान के सेवायोजकों द्वारा ठेकेदारों के लाइसेंसों का दुरुपयोग कर मज़दूरों के जानमाल से खिलवाड़ करने के अमानवीय कृत्य लगातार किए जा रहे हैं। तीन साल पहले 15 दिसम्बर 2018 को लिखित समझौता हुआ उसके बावजूद सिडकुल पंतनगर व किच्छा प्लांट के 32 निलंबित व बर्खास्त श्रमिकों की कार्यबहाली नहीं की गई। इसके अलावा मांग पत्र 2020-21 व 2021-22 पर समझौता नहीं किया जा रहा है।
विगत 3 वर्षों से श्रमिकों की वेतन वृद्धि भी नहीं की गई है। बोनस व एलटीए भुगतान में भी भारी कटौती कर दी गई अपर जिलाधिकारी महोदय के समक्ष पूर्ण सहमति व्यक्त करने के पश्चात ही श्रमिकों को परिवहन सुविधा नहीं दी जा रही है।
पत्र में लिखा है कि अपर जिलाधिकारी महोदय की मध्यस्तता में दिनांक बीते एक सितम्बर को हुई वार्ता के दौरान प्रबंधन द्वारा स्वयं ही प्रस्ताव रखा गया था कि कंपनी स्तर पर द्विपक्षीय वार्ता कर 15 दिनों के भीतर माँगपत्र पर समझौता कर लिया जाएगा। छह सितम्बर को भी सहायक श्रम आयुक्त के समक्ष वार्ता में भी प्रबंधन ने यही दुहराया था, लेकिन प्रतिष्ठान स्तर पर अभी तक महज एक ही वार्ता की गई।
यूनियन कहना है कि प्रबंधन के उक्त अड़ियल रुख से स्पष्ट है कि मांग पत्रों के प्रति प्रबंधन का रुख अत्यंत नकारात्मक है। प्रबंधन द्वारा वार्ता करने की औपचारिकता भी नहीं की जा रही है, समाधान करना तो दूर की बात है। प्रबंधन अपने वचनों से एक बार फिर मुकर गया है।
पत्र में लिखा है कि कंपनी प्रबंधन द्वारा श्रमिकों से कारखाना अधिनियम 1948 के प्रावधानों का खुला उल्लंघन कर अत्यधिक ओवरटाइम करवाया जा रहा है। श्रमिकों के स्वास्थ्य से खिलवाड़ कर मानवाधिकारों का खुला उल्लंघन किया जा रहा है। कम उत्पादन देने का झूठा आरोप लगाकर नोटिस चिपकाया जा रहा है। श्रमिकों पर झूठे आरोप लगाकर नोटिस देकर व निलंबित कर उकसावेपूर्ण कार्यवाही कर औद्योगिक अशांति का वातावरण उत्पन्न करने की साजिश रची जा रही है।
दिए गए नोटिस में चेतावनी देते हुए लिखा गया है कि यूनियन की आम सभा में सामूहिक हड़ताल पर जाने को मजबूर होना पड़ा है।
यदि प्रबंधन 2 सप्ताह के भीतर सकारात्मक माहौल में वार्ता कर मांग पत्र पर सम्मानजनक समझौता संपन्न करने, उक्त गैर कानूनी ठेका प्रथा पर अविलंब रोक लगाने व श्रमिकों से जबरिया ओवरटाइम कराने और उक्त गैर कानूनी कृत्य पर रोक लगाने का कार्य नहीं करता है तो यूनियन औद्योगिक विवाद अधिनियम 1947 व ट्रेड यूनियन एक्ट 1926 के प्रावधानों के तहत दिनांक 26/10/2021 से सामूहिक हड़ताल करने के लिए विवश होंगे, जिसकी समस्त जिम्मेदारी कंपनी प्रबंधन की होगी।
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