एसकेएम और ट्रेड यूनियनों के संयुक्त मंच ने 26 जनवरी के ट्रैक्टर मार्च और 16 फरवरी के हड़ताल के लिए जनता से मांगा समर्थन

एसकेएम और ट्रेड यूनियनों के संयुक्त मंच ने 26 जनवरी के ट्रैक्टर मार्च और 16 फरवरी के हड़ताल के लिए जनता से मांगा समर्थन

संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) और केंद्रीय ट्रेड यूनियनों और स्वतंत्र क्षेत्रीय फेडरेशन/एसोसिएशन के संयुक्त मंच ने अपने आगामी कार्यक्रमों के लिए समर्थन के लिए जनता के नाम एक अपील जारी की है.

किसान और श्रमिक मंच 16 फरवरी 2024 को औद्योगिक/क्षेत्रीय हड़ताल और ग्रामीण बंद तथा 26 जनवरी 2024 को ट्रैक्टर/वाहन परेड के समर्थन में व्यापक जन एकता का आह्वान किया है.

आजीविका के वास्तविक मुद्दों को राष्ट्रीय एजेंडे में वापस लाने के लिए छात्रों, युवाओं, महिलाओं, छोटे व्यापारियों, पत्रकारों, सांस्कृतिक कार्यकर्ताओं आदि सहित सभी वर्गों से अपील करते हुए ये बयान जारी किया गया है.

संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) और केंद्रीय ट्रेड यूनियनों और स्वतंत्र क्षेत्रीय फेडरेशन/एसोसिएशन के संयुक्त मंच ने सभी समान विचारधारा वाले संगठनों और सभी वर्गों के मंच से केंद्र सरकार की मजदूर-विरोधी, किसान-विरोधी और राष्ट्र-विरोधी नीतियों के खिलाफ 16 फरवरी 2024 को औद्योगिक/क्षेत्रीय हड़ताल और ग्रामीण बंद का समर्थन करने की अपील है.

वही इस मौके पर केंद्रीय ट्रेड यूनियनों और फेडरेशन/एसोसिएशन ने 26 जनवरी, 2024 को जिला मुख्यालयों पर ट्रैक्टर/वाहन परेड के एसकेएम के आह्वान को समर्थन जारी किया है.

किसान और श्रमिकों के संयुक्त मंच ने अपने प्रेस रिलीज में कहा कि ” मोदी सरकार के तहत लोगों पर बढ़ते कॉर्पोरेट, सांप्रदायिक और सत्तावादी हमले के संदर्भ में, भारत के संविधान में निहित लोकतंत्र, संघवाद, धर्मनिरपेक्षता और समाजवाद के बुनियादी सिद्धांतों को बचाने के लिए लोगों की व्यापक एकता अपरिहार्य है.”

‘इसलिए सभी धर्मनिरपेक्ष और लोकतांत्रिक ताकतों से अनुरोध है कि वे “कॉर्पोरेट लूट को समाप्त करने और भारतीय गणराज्य के धर्मनिरपेक्ष लोकतांत्रिक चरित्र को बचाने” के लिए इस संघर्ष का समर्थन करें.’

अपने इस अपील में उन्होंने छात्रों, युवाओं, महिलाओं, शिक्षकों, डॉक्टरों, वकीलों, पेशेवरों, छोटे व्यापारियों, ट्रक चालकों, छोटे और मध्यम उद्यमियों, पत्रकारों, पेंशनधारीयों, सामाजिक आंदोलनों और कला, संस्कृति, साहित्य के क्षेत्र से जुड़े सभी वर्गों को संबोधित किया है.

उन्होंने कहा कि ” चुनावी लाभ के लिए की जा रही धर्म की राजनीति का मुकाबला करने के लिए समन्वित और एकजुट कार्रवाई का प्रस्ताव किया गया है. ताकि लोगों की वास्तविक आजीविका के मुद्दों को राष्ट्रीय एजेंडे में वापस लाया जा सके, और लोगों को कॉर्पोरेट-सांप्रदायिक गठजोड़ की सरकार की विनाशकारी-विभाजनकारी-सत्तावादी नीतियां से लड़ने, इसे निर्णायक रूप से हराने और उसकी जगह श्रमिक-समर्थक, किसान-समर्थक, जन-समर्थक नीतियां के लिए एकजुट किया जा सके.”

किसान मोर्चा ने अपने प्रेस रिलीज में कहा कि “संयुक्त संघर्ष तब तक जारी रहेगा जब तक मोदी सरकार, सभी फसलों की खरीद के साथ सी2+50% की दर से एमएसपी की गारंटी करने, अजय मिश्रा टेनी को बर्खास्त कर उन पर मामला दर्ज करने, छोटे और मध्यम किसान परिवारों के लिए व्यापक ऋण माफी के माध्यम से कर्ज मुक्ति, श्रमिकों के लिए 26,000/- रुपये प्रति माह न्यूनतम वेतन लागू करने, 4 श्रम संहिताओं को निरस्त करने, रोजगार की गारंटी का मौलिक अधिकार, पुरानी पेंशन योजना को बहाल करने, रेलवे, रक्षा, बिजली सहित सार्वजनिक उपक्रमों का निजीकरण बंद करने.”

इसके साथ ही “नौकरियों का संविदाकरण बंद करने, निश्चित अवधि के रोजगार को खत्म करने, प्रति व्यक्ति प्रति वर्ष 200 दिन काम और 600/- रुपये की दैनिक मजदूरी के साथ मनरेगा को मजबूत करने, औपचारिक और अनौपचारिक अर्थव्यवस्था में सभी के लिए पेंशन और सामाजिक सुरक्षा लागू करने, भारतीय न्याय संहिता की धारा 104 को खत्म करने, एलएआरआर अधिनियम 2013 (भूमि अधिग्रहण, पुनर्वास और पुनर्स्थापन में उचित मुआवजा और पारदर्शिता का अधिकार अधिनियम, 2013) को लागू करने, सहित अन्य मांगों को पुरा नहीं करती है.”

(संयुक्त किसान मोर्चा , केंद्रीय ट्रेड यूनियनों का संयुक्त मंच / स्वतंत्र क्षेत्रीय फेडरेशन/एसोसिएशन द्वारा जारी प्रेस रिलीज के आधार पर)

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Abhinav Kumar

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