मानेसर: हिताची प्रबंधन ने छीने मज़दूरों के मूलभूत अधिकार, मज़दूरों ने लगाया तानाशाही का आरोप
By शशिकला सिंह
गुड़गांव के आईएमटी मानेसर में स्थित हिताची मेटल्स इण्डिया के ठेका मज़दूर और प्रबंधन के बीच तनातनी कम होने का नाम ही नहीं ले रही है। कल प्रबंधन ने प्लांट में एक नोटिस लगाया है। जिसके बाद मज़दरों ने प्रबंधन पर तानाशाही का आरोप लगाया है।
हिताची के एक ठेका मज़दूर ने वर्कर्स यूनिटी को बताया कि प्रबंधन अपनी हरकतों से बाज नहीं आरहा है। कल सुबह प्लांट के HR केशव गुप्ता ने सूचना बोर्ड पर नोटिस लगाया है। जिसमें मज़दूरों की आम दिनचर्या पर भी पाबंदियां लगा दी गई हैं।
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उन्होंने बताया की नोटिस ने साफ तौर पर लिखा गया है कि यदि कोई मज़दूर बिना सुपरवाइज़र की अनुमति के टॉयलेट और ड्रिंकिंग वाटर एरिया में पाए गया तो उसके खिलाफ सख्त से सख्त कारवाई की जाएगी।
इतना ही नहीं प्रबंधन ने मज़दूरों को प्लांट में फ़ोन का इस्तेमाल करने पर भी रोक लगा दी है। उनका कहना है कि चस्पा किए गए नोटिस में लिखा है कि अगर किसी भी मज़दूर के घर पर कोई इमेरजैंसी है, तो वह अपने लाइन सुपरवाइज़र से अनुमति लेकर सुपरवाइज़र डेस्क पर रखे हुए लैंड लाइन फ़ोन से बात कर सकता है।
साथ ही नोटिस में लिखा है कि सभी सुपरवाइज़र व उच्च अधिकारियों को मशीन व कार्यस्थल को छोड़कर केवल ऑफिसियल कार्य हेतु मोबाइल फ़ोन उपयोग करने की अनुमति होगी।
‘छंटनी की तैयारी में प्रबंधन’
इस सूचना पत्र के बाद हिताची के मज़दूर काफी परेशान हैं। मज़दूरों का कहना है कि इस तरह की हरकतों से प्रबंधन मज़दूरों को निशाना बना कर नौकरी से निकालने की तैयारी कर रहा है।
उनका कहना है कि इससे पहले भी प्रबंधन ने मज़दूरों को धमका कर उनके मोबाइल छीन लिए थे।
आप को बता दें कि प्रबंधन लगातार ठेका मज़दूरों को नौकरी से निकालने की धमकियां दे रहा है। अभी बीते गुरुवार को प्रबंधन ने छह ठेका मज़दूरों को बिना कारण बताए नौकरी से निकाल दिया था।
इतना ही नहीं प्रबंधन के कुछ अधिकारियों ने निकाले गए मज़दूरों के साथ काम के दौरान हाथापाई भी की थी।
लगातार जारी है मज़दूरों का संघर्ष
इन सभी समस्यों को लेकर ठेका मज़दूरों का संघर्ष लगातार जारी है। अभी बीते शुक्रवार को सभी ठेका मज़दूरों ने गुड़गांव में डी.सी. कार्यालय के पास विरोध कर पैदल मार्च का आयोजन किया था। साथ ही अपनी मांगों का पत्र कार्यालय में मौजूद उपायुक्त को सौंपा था।
हिताची में लगभग 200 ठेका मजदूर काम करते हैं। यह सभी मजदूर 26 जून 2022 से परमानेंट होने की मांग कर रहे हैं।
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ठेका मज़दूरों का कहना है कम्पनी नियमों के अनुसार सभी ठेका मज़दूरों ने 240 दिन की अवधि कार्य करते पूरी कर ली है। अब सभी ठेका मज़दूरों को स्थाई काम पर स्थाई रोजगार दिया जाना चाहिए। साथ ही वेतन में भी बढ़ोतरी की भी मांग कर रहे है। लेकिन प्रबंधन लगातार मज़दूरों को काम से निकालने की धमकी दे रहा है।
गौरतलब है कि देश में ठेका मज़दूरों पर प्रताड़ना के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं इसके पीछे सब से बड़ा कारण यह है कि फैक्ट्री यूनियन के सदस्य ठेका मज़दूरों को यूनियन की सदस्यता नहीं दे रहे हैं।
जिसके कारण ठेका मज़दूर जब भी अपने हकों की आवाज़ उठाते हैं, तो उनको नौकरी से निकालने की धमकियां दी जाती हैं । जिस कारण वह लगातार मानसिक शोषण का शिकार हो रहे हैं।
इतना ही नहीं नए लेबर कोड के आने के बाद ये स्थिति और ज्यादा डरावनी होने वाली है। इसलिए देशभर की मज़दूर यूनियनें इसका लगातार विरोध कर रही हैं।
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