बर्खास्त मारुति मजदूरों ने भूख हड़ताल कर सौंपा ज्ञापन, निर्दोष मजदूरों की कार्यबहाली की मांग
मानेसर स्थित मारुति सुजुकी प्लांट से 2012 में गैर कानूनी रूप से बर्खास्त किए गए मज़दूरों की दो दिवसीय भूख हड़ताल में पुनर्बहाली को लेकर ज्ञापन दिया गया।
बुधवार को भूख हड़ताल के दूसरे दिन बर्खास्त मजदूरों ने पुनर्बहाली की मांग को लेकर एक ज्ञापन डीसी ऑफिस ने मौजूद उपायुक्त महोदय को सौंपा।
मजदूरों का कहना है कि ‘पिछले 10 सालों से सभी मज़दूर बेरोज़गारी का दंश झेल रहे हैं, जिसके कारण परिवार का लालन-पालन भी काफी मुश्किलों से हो पा रहा है।’
ज्ञापन में कहा गया है कि ‘गलत तरीके से बर्खास्तगी के खिलाफ मामला गुड़गांव श्रम न्यायालय में पिछले 6 साल से अधिक समय से लंबित है और अभी उन पर भी फैसले की कोई संभावना नहीं है । प्रबंधन ने भी इस मामले पर यूनियन से चर्चा करने से साफ इनकार कर दिया है।’
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भूख हड़ताल सांकेतिक चेतावनी
मजदूरों ने आरोप लगाया कि सभी मज़दूरों को 2012 में हुए एक घटना के बाद गैर कानूनी तरीके से बर्खास्त कर दिया गया था। जिसके बाद सभी बर्खास्त मज़दूरों ने हजारों बार प्रदर्शन किये, लेकिन अभी तक कोई ठोस कार्यवाही नहीं की गयी है।
उनका कहना है कि यही कारण जो इस बार हम सभी बर्खास्त मज़दूरों ने दो दिनों की भूख हड़ताल का फैसला लिया था।
मारुति सुजुकी मजदूर संघ के नेताओं ने कहा कि इस आंदोलन को सांकेतिक चेतावनी के रूप में हम आज समापन करेंगे और जल्द भविष्य में एक राय बनाकर मजबूत मजदूर आंदोलन की शुरुआत करेंगे।
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क्या है मामला
गौरतलब है कि 2011 में मज़दूरों ने कंपनी की अमानवीय काम करने की स्थिति से राहत पाने के लिए यूनियन बनाने की मुहीम चलाई थी।
यूनियन के गठन के कुछ महीने बाद कंपनी ने 546 स्थायी और 1800 ठेका श्रमिकों को बिना किसी नोटिस या घरेलू जांच के कारखाने में आग लगने और एक प्रबंधक की मौत की घटना के बहाने बर्खास्त कर दिया।
मामले की जांच के लिए हरियाणा सरकार द्वारा एसआईटी गठित की गई और एस आई टी ने जो लोग दोषी करार दिए गए उनको जेल में डाल दिया गया।
साल 2017 में सेशन कोर्ट गुडगांव द्वारा उस विषय पर एक फैसला भी सुनाया गया जिसमें 13 मजदूरों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई। फिलहाल सभी मज़दूरों को जमानत पर रिहा कर दिया गया है।
बीते महीने जले में 10 सालों से सजा काट रहे आखिरी मज़दूर सोहन सिंह को भी जमानत दे दी गयी है। इनमें दो मजदूर पवन कुमार और जियालाल की जेल की सजा काटने के दौरान मौत हो चुकी है।
निर्दोष मजदूरों को वापिस लेने की मांग
ज्ञापन में कहा गया है कि 426 मजदूर ऐसे हैं जिनका एसआईटी की रिपोर्ट में कहीं कोई नाम नहीं था और ना ही उनके खिलाफ कोई अपराधिक मुकदमा दर्ज था। ना ही किसी F I R में इन मजदूरों का जिक्र है। फिर भी कंपनी ने आज तक इन मजदूरों को काम पर वापिस नहीं लिया।
गलत तरीके से बर्खास्तगी के खिलाफ मामला गुड़गांव श्रम न्यायालय में पिछले 6 साल से अधिक समय से लंबित है। प्रबंधन ने भी इस मामले पर यूनियन से चर्चा करने से साफ इनकार कर दिया है।
सरकार आम जनता के हितों के संरक्षण के लिए संवैधानिक रूप से बाध्य है। यह स्पष्ट है कि मारुति सुजुकी के बर्खास्त कर्मचारियों को उनके सबसे बुनियादी अधिकारों की मांग उठाने के लिए सताया जा रहा है।
मजदूरों ने मांग की है कि भारत सरकार इस मामले में हस्तक्षेप करे और श्रमिकों के मुद्दों का तत्काल समाधान निकालना चाहिए।
इस दो दिनों की भूख हड़ताल में मारुति के चारों प्लांट सहित, सोनीपत से मजदूर अधिकार संगठन (MAS) की नौदीप कौर, रिको धारूहेड़ा, हीरो मोटो कॉर्प, सनबीम, हिताची के कैजुअल वर्करों की कमेटी, बेलसोनिका, एफएमआई, नप्पिनो, मुंजाल शोवा यूनियनों के प्रतिनिधि शामिल हुए।
इसके अलावा इंकलाबी मजदूर केंद्र, मजदूर सहयोग केंद्र, बिगुल मजदूर दस्ता, एसयूसीआई, एक्टू समेत कई अन्य संगठनों के प्रतिनिधि भी शामिल हुए।
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