अब किन सर्विस को ठेके पर देने जा रहा है रेलवे? जानिए, अब क्या होगा इनका…

अब किन सर्विस को ठेके पर देने जा रहा है रेलवे? जानिए, अब क्या होगा इनका…

रेलवे का निजीकरण नहीं करने के तमाम दावों और बयानों के बावजूद मोदी सरकार लगातार भारतीय रेल को निजीकरण की दिशा में तेजी से क़दम बढ़ा रही है। रेलवे की तमाम सेवाएं निजी हाथों मे देने और ठेका कर्मियों को नियुक्त करने का काम गति पकड़ चुका है।

वर्कर्स यूनिटी को सपोर्ट करने के लिए सब्स्क्रिप्शन ज़रूर लें- यहां क्लिक करें

पूर्वोत्तर रेलवे के लखनऊ डिवीजन के सीनियर डीसीएम अंबर प्रताप सिंह द्वारा जारी सूचना के अनुसार पूर्वोत्तर रेलवे के लखनऊ डिवीजन के अंतर्गत नौ स्टेशनों पर स्थित पूछताछ कार्यालय को निजी संस्था को दे दिया गया है। एक अगस्त से निजी संस्था के कर्मी काम शुरू कर देंगे।

वर्तमान में पूछताछ दफ्तर (इंक्वायरी ऑफिस) में ड्यूटी करने वाले टिकट कलेक्टर व बुकिंग बाबू को हटाने का सिलसिला भी शुरू कर दिया गया है। इसके अलावा रेलवे की उद्घोषणा (अनाउंसमेंट) प्रणाली, सूचना बोर्ड, कोच निर्देशन और अमानती सामान घर (क्लॉक रूम) की जिम्मेदारी भी निजी कंपनियों के हाथों में दे दी जाएगी।

रेलवे प्रशासन ने काउंटरों और कर्मचारियों की व्यवस्था के लिए निजी कंपनी को नामित कर दिया है। कर्मचारियों के प्रशिक्षण (ट्रेनिंग) भी शुरू हो चुका है। एक अगस्त से संबंधित काउंटरों पर निजी कर्मी तैनात हो जाएंगे।

ज्ञात हो कि देश के कई स्टेशनों की तरह गोरखपुर रेलवे स्टेशन स्थित प्रतीक्षालय (वेटिंग हाल) के रखरखाव की जिम्मेदारी पहले ही निजी कंपनी को सौंपी जा चुकी है। अब पूछताछ काउंटरों और क्लाक रूम की बारी है।

फिलहाल, लखनऊ मंडल के अंतर्गत गोरखपुर जंकशन, लखनऊ जंक्शन, बादशाहनगर, ऐशबाग, सीतापुर, मनकापुर, गोंडा, बस्ती और खलीलाबाद में एक अगस्त से नई व्यवस्था लागू करने की प्रक्रिया तेज हो चुकी है।

पद हो रहे हैं रिक्त, भर्ती की जगह ठेकाकरण

रेलकर्मियों के अवकाश प्राप्ति के साथ लगातार पदों को समाप्त किया जा रहा है और कोई नई नियुक्ति नहीं हो रही है। पिछले 6 सालों के दौरान 72,000 पद समाप्त कर दिए गए। नेश में भारी बेरोजगारी है, जो लगातार बढ़ती जा रही है।

ऐसे में सुरक्षित नौकरी देने की जगह मोदी सरकार निजीकरण और ठेके पर असुरक्षित नौकरी की ओर धकेलने का काम तेज कर दी है। इस दिशा में रेलवे परिचालन से संबंधित कुछ महत्वपूर्ण कामों को छोड़कर साफ-सफाई से लगायत शेष लगभग सभी कार्यों को आउटसोर्स से कराने लगी है।

निजीकरण की तैयारी

उधर रेल महकमें ने चोर दरवाजों से रेल किराया बढ़ाने, प्लेटफ़ॉर्म टिकट के दाम भी महँगा करने के साथ वरिष्ठ नागरिकों आदि की यात्रा मे मिलने वाली रियायतों को भी खत्म कर दिया है। स्टेशनों को पीपीपी मोड में निजी मुनाफाखोर कंपनियों को दे रही है। निजी ट्रेनें चलाने को आगे बढ़ा रही है।

दरअसल रेलवे के निजीकरण की दिशा में मोदी सरकार ऐसे ही कवायद में लगी है, जिसके केंद्र में पूँजीपतियों को सीधे लाभ पहुंचाना है।

ठेका कर्मियों के लिए बर्थ और वेटिंग रूम की भी व्यवस्था खत्म

ट्रेनों में चलने वाले एसी मैकेनिक के लिए बर्थ और विश्रामालय की व्यवस्था भी खत्म की जा चुकी है। उनके सभी प्रकार के सामाजिक व कार्यस्थल की सुरक्षा से भी सरकार मुहँ मोड चुकी है। इससे कर्मचारियों में रोष है।

एनई रेलवे रेलवे कर्मचारी संघ (पीआरकेएस) ने प्रमुख मुख्य विद्युत इंजीनियर से मिलकर एसी मैकेनिक के लिए ट्रेनों में बर्थ और स्टेशनों पर वेटिंग रूम की व्यवस्था कराने की मांग की। संघ के महामंत्री विनोद कुमार राय ने कहा कि एसी मैकेनिक को ट्रेन में बैठने तक की जगह नहीं मिलती है। डेस्टिनेशन पर पहुंचने के बाद भी वे कोच में ही रह जाते हैं। न उनके वेटिंग रूम की व्यवस्था रहती है और न भोजन की। इसको लेकर कार्य भी प्रभावित हो रहा है।

(वर्कर्स यूनिटी स्वतंत्र निष्पक्ष मीडिया के उसूलों को मानता है। आप इसके फ़ेसबुकट्विटर और यूट्यूब को फॉलो कर इसे और मजबूत बना सकते हैं। वर्कर्स यूनिटी के टेलीग्राम चैनल को सब्सक्राइब करने के लिए यहां क्लिक करें।)

(साभार मेहनतकश)

WU Team

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.