मानेसरः मारुति के बर्खास्त मज़दूरों के भूख हड़ताल का पर्चा बांटते मजदूर नेताओं को पुलिस ने रोका
हरियाणा के मानेसर स्थित मारुति प्लांट के बर्खास्त मज़दूरों की आज से गुड़गांव डीसी ऑफिस पर दो दिन की भूख हड़ताल शुरू हो गई। साल 2012 में मारुति की घटना के बाद सैकड़ों मजदूरों को निकाल दिया गया था।
सोमवार को प्रोविज़नल कमेटी के नेता खुशीराम अन्य मजदूर नेताओं के मानेसर में मारुति प्लांट के बाहर पर्चा बांट रहे थे, पुलिस ने रोका। इन मज़दूर नेताओं को स्थानीय पुलिस द्वार पूछताछ के लिए थाने ले जाया गया।
खुशीराम मारुती आंदोलन के अगुवा नेताओं में से एक हैं और प्रोविज़नल कमेटी के सदस्य हैं।। हालांकि केवल नाम-पता लिख कर कुछ समय के बाद सभी मज़दूर नेताओं को छोड़ दिया गया।
उल्लेखनीय है कि साल 2012 में मारुति में हिंसक घटना के दौरान मानेसर प्लांट में आग लगने से एक मेनेजर की मौत के बाद कंपनी ने 546 स्थायी मज़दूरों और 1,800 ठेका मज़दूरों को बिना किसी जांच पड़ताल के, ‘लॉस ऑफ़ कांफिडेंस’ का हवाला दे कर बर्खास्त कर दिया था।
तबसे इन परमानेंट और ठेका मजदूरों की ओर से बहाली की मांग उठती रही है। अब जबकि 13 मजदूर समेत बाकी को भी बरी कर दिया गया है, यह मांग फिर से जोर पकड़ने लगी है।
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खुशीराम बताते हैं कि उस समय घटना का बहाना बना कर पूरी यूनियन सहित 213 मजदूरों पर मुकदमे लगा दिए गए और 149 को जेल में डाल दिया गया। और 13 मज़दूरों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गयी थी। जिनमें से दो मज़दूर नेता जियालाल और पवन कुमार की सजा कटाने के दौरान ही मौत हो गयी थी।
अभी हालही में अंतिम नेता सोहन सिंह को जमानत पर छोड़ा गया है। वहीं दूसरी ओर 426 बर्खास्त मज़दूरों का केस अभी भी गुड़गांव कोर्ट में पेंडिंग चल रहा है।
इसी संबंध ने आज मारुति के सभी बर्खास्त मज़दूर द्वारा गुड़गांव में डीसी ऑफिस के सामने दो दिवसीय (11-12 अक्टूबर) सामूहिक भूख हड़ताल का आजोजन किया जा रहा है।
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