दिल्ली के मोहल्ला क्लीनिक क्यों हो रहे ‘बीमार’?, जानिए क्या है कारण

दिल्ली के मोहल्ला क्लीनिक क्यों हो रहे ‘बीमार’?, जानिए क्या है कारण

By शशिकला सिंह

दिल्ली के मोहल्ला क्लीनिकों की हालात खराब होने लगी है। अब यहां मरीजों को ठीक से स्वास्थ्य सुविधाओं का लाभ नहीं मिल पा रहा है। कई मोहल्ला क्लीनिक ऐसे हैं, जहां समय पर दवाइयां और ब्लड सैंपल की रिपोर्ट्स तक नहीं आ रही हैं। इससे क्लीनिक में काम करने वाले डॉक्टर और कर्मचारियों को मरीजों की नाराजगी झेलनी पड़ती है।

न दवाईयां, न रिपोर्ट

मोहल्ला क्लीनिक के एक कर्मचारी ने नाम न बताने की शर्त पर वर्कर्स यूनिटी बताया कि उत्तरी दिल्ली में लगभग 48 मोहल्ला क्लीनिक हैं और सभी की स्थिति बहुत ख़राब है। यहां न तो दवाइयां है और न ही पर्याप्त जांच उपकरण जिसके करना मरीजों को रोज़ निराश हो कर जाना पड़ता है।

उन्होंने बताया कि ब्लड सैम्पल्स की रिपोर्ट्स भी कभी टाइम पर नहीं आती है जिसके कारण आएदिन मरीज कर्मचारियों और डॉक्टरों को उल्टासीधा सुना कर चले जाते हैं। इतना ही नहीं कई दबंग तरह के मरीज़ तो हाथापाई करने की कोशिश भी करते हैं, लेकिन क्लीनिक में सीसीटीवी लगे होने के कारण रुक जाते हैं।

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मांग पत्रों पर कोई सुनवाई नहीं

उनका कहना है कि इन सभी समस्याओं के कारण मोहल्ला क्लीनिक में काम करने वाले कर्मचारी और इलाज के लिए आने वाले मरीज़ दोनों ही बहुत परेशान है। कई मरीज ऐसे हैं जो चार पांच दिन से रोज़ अपनी रिपोर्ट लेन आरहे हैं लेकिन पीछे से समय से रिपोर्ट्स नहीं मिलने के कारण मरीज़ों को निराश हो कर जाना पड़ रहा है।

उन्होंने ने बताया कि जिस मोहल्ला क्लीनिक में वे काम करते हैं वहां के स्टाफ ने बहुत बार अपनी समस्याओं और सप्लाई समय से नहीं होने के मुद्दे पर पत्र लिखा है, लेकिन अभी तक कोई सुनवाई नहीं हुए है।

क्या है मोहल्ला क्लीनिक

गौरतलब है कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने वर्ष 2015 से ‘मोहल्ला क्लिनिक’ नामक एक स्वास्थ्य पहल परियोजना शुरू की, जिसका मुख्य उद्देश्य गरीबों की मदद करना और बड़े अस्पतालों की भीड़ को कम करना था। इस पहल से लोगों को स्वास्थ्य सेवा उनके दरवाजे तक स्वास्थ्य सुविधाएं प्रदान करता है ताकि उन्हें अस्पतालों में भागना न पड़े।

ऐसा दावा है कि ‘मोहल्ला क्लिनिक’ में 212 से अधिक प्रकार के चिकित्सा परीक्षण नि:शुल्क किए जाते हैं। लेकिन वर्तमान परिस्थितियां कुछ और ही बयां कर रही हैं जिससे साफ तौर पर देखा जा सकता है कि दिल्ली के लोगों के साथ विश्वासघात हुआ है और सार्वजनिक स्वास्थ्य देखभाल के विचार से भी कोसों दूर है।

दिल्ली सरकार के आधिकारिक आंकड़े

आप को बता दें कि दिल्ली सरकार के आधिकारिक वेबसाइट के अनुसार अभी दिल्ली में 518 ‘मोहल्ला क्लिनिक’ हैं। कुछ न्यूज रिपोर्ट के अनुसार 100 ‘मोहल्ला क्लिनिक’ और बन रहे हैं। दिल्ली सरकार के ही रिकॉर्ड के अनुसार वित्त वर्ष 2020-21 में 1,52,58,440 लोगों ने मोहल्ला क्लिनिक ओपीडी का लाभ लिया, लेकिन इनमें से सिर्फ 5,35,666 लोगों का ही ‘ब्लड टेस्ट’ हुआ।

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यानी प्रत्येक 100 लोगों पर 3.5 व्यक्ति के ही रक्त की जांच हुई। इसका सीधा अर्थ है, 97.5 फीसद लोगों का लक्षण के आधार पर इलाज नहीं किया गया। बीमारी का मूल कारण जाने बिना यदि हम कुल केस के 5 फीसद लोगों को भी गंभीर बीमारी मान कर चलें तो लाखों लोगों की बीमारी का पता ही नहीं चला। सिर्फ उसे दवा दे दी गई। इसका खतरा यह है कि रोग फिर दोगुनी शक्ति के साथ आएगा। जिनके रक्त की जांच भी हुई (बस एक या दो चीजों का) परिणामस्वरूप अन्य बीमारियों छिप गई और गंभीर रूप में सामने आई।

समस्या केवल इतनी ही नहीं है ज्यादातर मोहल्ला क्लीनिक में महिला डॉक्टर उपलब्ध नहीं है। जिसके कारण महिला सम्बन्धी बीमारियों का इलाज नहीं हो पता है।

दिल्ली की तरह ही पंजाब में भगवंत मान सरकार भी मोहल्ला क्लीनिक खोल रही है। अब देखने वाली बात यह है कि उनमें किस तरह की इंतज़ाम किये जायेंगे?

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WU Team

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