नपिनो : 270 मज़दूरों को कार्यबहाली का इंतज़ार, DC ने दिया जल्द कार्यवाही का आश्वासन

नपिनो : 270 मज़दूरों को कार्यबहाली का इंतज़ार, DC ने दिया जल्द कार्यवाही का आश्वासन

हरियाणा के मानेसर सेक्टर 3 के प्लाट नम्बर 7 में स्थित ‘नपिनो ऑटो एण्ड इलैक्ट्रॉनिक लिमिटेड’ हड़ताल के दौरान निकाले गए 270 मज़दूरों को अभी तक कार्यबहाल नहीं किया गया है।

इस मामले का सज्ञान लेते हुई एटक के यूनियन लीडर अनिल पवार की अध्यक्षता में नपिनो मज़दूर यूनियन के सदस्यों ने डीसी कार्यालय में अपना मांग पत्र सौंपा है।

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नपिनो ऑटो यूनियन का कहना है कि प्रबंधन और मज़दूरों के बीच हुई समझौते का पालन अभी तक नहीं हुआ है। यही नहीं प्रबंधन ने प्लांट में गैर क़ानूनी तौर पर तालाबंदी की हुई है।

उन्होंने बताया की प्रबंधन का कहना है काम न होने के कारण वह मज़दूरों को काम पर वापस नहीं ले रहा है। जबकी प्रबंधन आज भी अपने सभी ग्राहकों को सामान भारी मात्रा में सप्लाई कर रहा है।

DC ने जल्द कार्यवाही का दिया आश्वाशन

उपायुक्त निशांत यादव ने यूनियन के सदस्यों को जल्द कार्यवाही का आश्वासन दिया है। उनका कहना है कि वह खुद जल्दी ही श्रम विभाग के अधिकारीयों के साथ एक मीटिंग बुलाएंगे और जल्द से जल्द मज़दूरों की मांगों को पूरा करने का प्रयास करेंगे।

यूनियन का आरोप है कि अतिरिक्त श्रम आयुक्त ने प्रबंधन को एक दिन समय दिया था लेकिन प्रबन्धक आज भी अपने अड़ियल रवैया पर अड़ा हुआ है।

हड़ताल खत्म होने के एक महीने बाद भी प्रबंधन ने मज़दूरों को कार्यबहाली के मुद्दे पर कोई जानकारी या बातचीत नहीं की है।

नपिनो ऑटो यूनियन के महासचिव परशुराम ने वर्कर्स यूनिटी को बताया कि इस महंगाई के दौर में बिना किसी रोज़गार के मज़दूरों को अपने परिवारों का लालनपालन करना मुश्किल हो गया है।

जिसके करना सभी मानसिक तौर पर परेशान हैं। उन्होंने बताया कि कुछ मज़दूर तो इतने परेशान हैं कि वह बार बार आत्महत्या करने की बात करते हैं।

उन्होंने बताया की इस बात की जानकारी यूनियन के सदस्यों ने श्रम विभाग को दे दी है और उनको कहा है अगर मज़दूरों के साथ की भी अनहोनी होती है उसके जिम्मेदार श्रम विभाग की होगी।

कब हुई थी हड़ताल?

3 अगस्त को मज़दूरों ने अपनी निलंबित मांगों के पूरा करने के लिए 20 दिनों तक लगातार जारी हड़ताल को ख़त्म कर दिया था। इस हड़ताल में 271 मजदूरों ने भाग लिया, जिसमें पुरुष के साथ महिलाओं ने भी हिस्सा लिया था।

इसी दिन प्रबंधन और मज़दूर संगठन के बीच एक समझौता हुआ था। इस समझौते में प्रबंधन और हड़ताली मज़दूरों की आपसी सहमति से यूनियन ने सभी मज़दूरों से काम पर वापस आने को कहा था।

क्या थी हड़ताल की वजह?

नपिनो में लंबे समय से मांगपत्र लंबित पड़ा हुआ है और मैनेजमेंट यूनियन की लाख शिकायतों के बावजूद वार्ता करने को तैयार नहीं था।

यह हड़ताल पिछले चार साल से लम्बित सामूहिक मांग पत्र और 6 मज़दूरों के निलम्बन को लेकर शुरू की गयी है।

हड़ताली मज़दूरों का कहना है कि बीते चार सालों से श्रम विभाग की तरफ से कोई भी जवाब नहीं आया है।

मज़दूरों के अनुसार नपिनो में मौजूद यूनियन काफ़ी समय से मज़दूरों की मांगों को लेकर संघर्ष करती रहती है। इसके बावजूद प्रबन्धन के सदस्य कभी भी मज़दूरों की समस्याओं को सुनने को राजी नहीं है।

पिछले चार सालों में कम्पनी स्टाफ़ का वेतन हर साल बढ़ाये गये हैं, लेकिन मज़दूरों के वेतन में कोई परिवर्तन नहीं हुआ है।

यूनियन के प्रतिनिधियों का कहना है कि श्रम-विभाग भी प्रबन्धन की ही भाषा बोलता है, श्रम-विभाग पिछले चार सालों से मज़दूरों को झूठा आश्वासन दे रहा है।

सोमवार को सौंपे गए ज्ञापन के प्रतिनिधि मण्डल में एटक के यूनियन लीडर अनिल पवार, नपिनो ऑटो यूनियन के प्रधान नरेश कुमार, महासचिव परशुराम, परमानन्द, मुकेश यादव, नवराज दहल, कृष्न कुमार, संदीप कुमार, कुलदीप सिंह, आदि शामिल थे।

(स्टोरी संपदित- शशिकला सिंह)

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WU Team

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