दिल्ली में अतिक्रमण विरोधी कार्रवाइयों का नया रिकॉर्ड: बीते पांच साल में 30,853 तोड़फोड़, 2023 में आधे से अधिक
विगत पांच वर्षों में देश की राजधानी दिल्ली में अतिक्रमण और तोड़फोड़ की गतिविधियों के संदर्भ में एक महत्वपूर्ण मोड़ आया है।
हाल ही में प्राप्त सरकारी डेटा के अनुसार, 2019 से 2023 तक दिल्ली में 30,853 तोड़फोड़ की गईं, जिनमें से आधे से अधिक कार्रवाई केवल 2023 में की गई।
यह जानकारी राज्यसभा में प्रस्तुत की गई और इसके तहत आवास और शहरी मामलों के राज्य मंत्री तोखन साहू ने विस्तृत विवरण प्रदान किया।
पिछले पांच वर्षों का आँकड़ा
2019 से लेकर 2023 तक विभिन्न सरकारी एजेंसियों द्वारा कुल 30,843 ध्वस्तीकरण कार्य किए गए।
आम आदमी पार्टी (आप) के सांसद संजय सिंह के एक सवाल का जवाब देते हुए, आवास और शहरी मामलों के राज्य मंत्री तोखन साहू ने कहा कि, ‘ दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए), दिल्ली नगर निगम (एमसीडी), नई दिल्ली नगर पालिका परिषद (एनडीएमसी), दिल्ली शहरी आश्रय सुधार बोर्ड (डीयूएसआईबी) और केंद्रीय लोक निर्माण विभाग (सीपीडब्ल्यूडी) समेत अन्य एजेंसीज द्वारा विभिन्न अधिनियमों के प्रावधानों के तहत तोड़फोड़ की है’।
उन्होंने बताया ‘ 2019 से 2023 तक विभिन्न एजेंसियों द्वारा कुल 30,843 ध्वस्तीकरण किए गए। इस वर्ष अब तक कुल 2,624 ध्वस्तीकरण किए गए हैं। यह संख्या 2019 में 4,804 से बढ़कर 2020 में 2,967, 2021 में 2,927, 2022 में 4,017 और फिर 2023 में 16,138 हो गई’।
MoS के लिखित उत्तर में कहा गया है कि ‘ इसमें DDA द्वारा ध्वस्त किए गए 11,060 आवासीय ढांचे और 23 वाणिज्यिक इकाइयाँ शामिल हैं’।
सरकार द्वारा पेश किये गए आंकड़ों से पता चलता है कि ‘ साल 2024 में अब तक 2,624 ध्वस्तीकरण कार्य किए गए हैं, जो कि पिछले वर्षों की तुलना में काफी अधिक है। 2023 में यह संख्या 16,138 तक पहुँच गई, जबकि 2019 में यह 4,804 थी’।
अतिक्रमित भूमि की सफाई
राज्य मंत्री ने कहा कि ‘ डीडीए ने 2019 से अब तक 316.72 एकड़ अतिक्रमित भूमि को मुक्त कराया है। इस काम में लगभग 103.27 करोड़ रुपये खर्च हुए हैं’।
इन अतिक्रमण विरोधी कार्रवाइयों से लगभग 20,643 लोग प्रभावित हुए हैं। सरकारी दावों के अनुसार इसमें 2,462 झुग्गी झोपड़ी निवासियों को पुनर्वास प्रदान किया गया है।
ध्वस्तीकरण की वजहें
राज्य मंत्री का मानना की ध्वस्तीकरण की मुख्य वजह सरकारी भूमि पर अनधिकृत कब्जे और अतिक्रमण को हटाना है।
इसके साथ ही झुग्गी निवासियों का पुनर्वास भी एक महत्वपूर्ण उद्देश्य रहा है। इन कार्रवाइयों का एक हिस्सा दिल्ली में जी20 शिखर सम्मेलन से पूर्व अतिक्रमण विरोधी अभियान से संबंधित था, जो सितंबर 2023 में आयोजित हुआ था।
हालाँकि इन सरकारी कार्रवाइयों के साथ यह सवाल भी उठता है कि इस व्यापक कार्रवाई का सामाजिक और मानवाधिकार पर क्या प्रभाव पड़ रहा है।
ध्वस्तीकरण की योजनाओं के साथ-साथ, पुनर्वास और वैकल्पिक आवास की व्यवस्था को लेकर एक ठोस और संवेदनशील दृष्टिकोण अपनाना आवश्यक है ताकि प्रभावित लोगों को पर्याप्त सहायता मिल सके।
(इंडियन एक्सप्रेस की खबर से साभार)
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