ब्रिटेन में पोस्टल कर्मचारियों की हड़ताल, महंगाई 11 फीसदी और वेतन वृद्धि 2 फीसदी!
26 अगस्त को ब्रिटेन के रॉयल मेल के पोस्टल कर्मचारियों की हड़ताल का पहला दिन था।
अब इसके बाद वे 31 अगस्त, 8 सितम्बर और 9 सितम्बर को हड़ताल पर जाएंगे। पोस्टल कर्मचारी अपनी तनख्वाह बढ़ाने की मांग कर रहे हैं।
रॉयल मेल का ब्रिटेन की सरकार द्वारा 2013 में निजीकरण कर दिया गया था। तब से यहाँ के कर्मचारियों की स्थिति लगातार गिरती जा रही है।
पिछले समय में ब्रिटेन में महंगाई की दर 11 फीसदी हो गयी है (इसके साल के अंत तक 18 फीसदी पहुँच जाने की संभावना है) लेकिन रॉयल मेल का प्रबंधन मात्र 2 फीसदी की वृद्धि करने की बात कर रहा है।
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दूसरी तरफ रॉयल मेल प्रबंधन यह बात कर रहा है कि वह कर्मचारियों की तनख्वाह में 5.5 फीसदी की वृद्धि कर रहा है। लेकिन कम्युनिकेशन वर्कर यूनियन का कहना है कि प्रबंधन इस मामले में झूठ बोल रहा है। वह वास्तव में 2 प्रतिशत की ही वृद्धि कर रहा है।
1.5 प्रतिशत की वृद्धि कुछ शर्तों के साथ है। अगर कर्मचारी प्रबंधन के हिसाब से चलेंगे और प्रबंधन उनसे संतुष्ट होगा तभी वो कर्मचारियों को मिलेगी।
रॉयल मेल के कर्मचारियों का आक्रोश इस बात को लेकर भी है कि रॉयल मेल ने अभी जो रिपोर्ट जारी की है उसके अनुसार उसने 750 मिलियन पाउंड का मुनाफा कमाया है। जिसमें से उसने 400 मिलियन पाउंड शेयरधारकों को लाभांश के रूप में बांटे हैं।
दोनों सी ई ओ को 2 मिलियन पाउंड दिये हैं। और जिन कर्मचारियों के दम पर ये मुनाफा कमाया गया है वे भोजन के कूपन पर जिंदा रहने को मज़बूर हैं।
नुकसान के लिए कर्मचारियों को ठहरा रही है दोषी
इस पर भी रॉयल मेल का प्रबंधन बेशर्मी से यह बात कहता है कि कर्मचारियों की तनख्वाह बाकी क्षेत्र में काम कर रहे मज़दूरों-कर्मचारियों से 25 प्रतिशत ज्यादा है और कर्मचारियों की हड़ताल की वजह से 1 मिलियन पाउंड रोज का घाटा हो रहा है।
यानी वह मुनाफे के लिए तो कर्मचारियों को जिम्मेदार नहीं मान रही है लेकिन नुकसान के लिए कर्मचारियों को दोषी ठहरा रही है।
कर्मचारियों का यह भी कहना है कि रॉयल प्रबंधन ने कर्मचारियों को काम को ठीक तरह से करने पर प्रोत्साहन राशि 500 पॉन्ड रखी है लेकिन उसके मानक इस तरह से बनाये गये हैं कि कर्मचारी उसको हासिल कर ही नहीं सकता।
कर्मचारी बिना अपनी तनख्वाह बढ़ाये संघर्ष ख़त्म करने को तैयार नहीं हैं। और हो भी क्यों न, महंगाई ने उनकी कमर जो तोड़कर रख दी है।
उनकी इस हड़ताल में कम्युनिकेशन वर्कर्स यूनियन ने भी पूरा साथ देने का वायदा करते हुए अपनी ओर से भी 4 दिन की हड़ताल का तय किया है।
यूरोप के कई सारे देशों के मज़दूरों इस हड़ताल का समर्थन किया है और अपनी वर्गीय एकजुटता जाहिर की है।
(नागरिक अखबार के फेसबुक पेज से साभार)
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