जेलों का निजीकरणः सुप्रीम कोर्ट ने कहा कार्पोरेट घराने बनाएंगे जेल
सुप्रीम कोर्ट ने देश में जेलों की स्थिति पर गुरुवार को चिंता जताई और बड़े कारपोरेट घरानों को शामिल कर निजी जेलों के निर्माण का सुझाव दिया। शीर्ष अदालत ने कहा कि बड़े कारपोरेट घराने अपने सामाजिक उत्तरदायित्व (CSR) के तहत निजी जेलों का निर्माण कर सकते हैं।
यूरोप में है निजी जेलों की अवधारणा
NBT से मिली जानकारी के अनुसार जस्टिस केएम जोसेफ और जस्टिस हृषिकेश राय की पीठ ने कहा कि यूरोप में, निजी जेलों की अवधारणा है। फिर कारपोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व है। यदि आप उन्हें पर्याप्त प्रोत्साहन मुहैया कराते हैं तो आप जेल बनवा सकते हैं। क्योंकि आप नहीं चाहते कि इसके लिए सरकारी राशि खर्च हो।
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विचाराधीन कैदियों की संख्या चिंताजनक है। पीठ ने कहा कि वे इसे बनाएंगे और आपको सौंप देंगे और आयकर के तहत छूट का दावा करेंगे। एक नई अवधारणा सामने आएगी। फिर एक नई अवधारणा विकसित होगी, अग्रिम जमानत से लेकर अग्रिम जेल तक।
जेल में सिर्फ आयुर्वेद चिकित्सक ही उपलब्ध
पीठ ने यह टिप्पणी उस समय की जब सामाजिक कार्यकर्ता गौतम नवलखा की ओर से पेश वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि जेलों में काफी भीड़ है और केवल आयुर्वेद चिकित्सक ही मरीजों के लिए उपलब्ध हैं। पीठ ने कहा कि जेलों का अध्ययन किसी भी सरकार के लिए सबसे कम प्राथमिकता वाला क्षेत्र है।
कोर्ट ने एल्गार परिषद-माओवादी लिंक मामले में जेल में बंद गौतम नवलखा को तुरंत इलाज के लिए मुंबई के जसलोक अस्पताल में स्थानांतरित करने का तलोजा जेल अधीक्षक को निर्देश दिया। इससे पहले नवलखा के वकील ने कहा कि वह कैंसर से पीड़ित हैं।
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सुप्रीम कोर्ट को ही सीधे सीधे क्यों नहीं चलायें कार्पोरेट घराने?