पुडुचेरी: बिजली निजीकरण के खिलाफ़ कर्मचारियों की अनिश्चितकालीन हड़ताल अस्थायी रूप से निलंबित
पुडुचेरी में बिजली विभाग के निजीकरण के खिलाफ कर्मचारियों और इंजीनियरों की सामूहिक अनिश्चितकालीन हड़ताल को अस्थायी रूप से निलंबित कर दिया गया है। मिली जानकारी के मुताबिक कल रात मुख्यमंत्री से साथ हुई चर्चा के बाद इसकी घोषणा की गयी।
पुडुचेरी से एचयूएल ट्रेड यूनियन सदस्य सेंथिल ने वर्कर्स यूनिटी को बताया कि सीएम फ्रंट में कल रात हुई चर्चा में उन्होंने कहा कि बिजली विभाग के निजीकरण में निजी क्षेत्र को 49% और सरकार को 51% दिए जाने की बात कही गयी है। उन्होंने ने बताया कि दीपावली का त्यौहार नज़दीक होने के कारण कोर्ट में अगले हफ्ते सुनवाई होगी।
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आप को बता दें कि बीजेपी सरकार ने निजीकरण के लिए 27 सितंबर को बिडिंग प्रक्रिया शुरू की थी, जिसके विरोध में पुडुचेरी के तमाम बिजली कर्मचारी और इंजीनियर 28 सितंबर से अनिश्चितकालीन हड़ताल चले गए थे।
बिजलीकर्मियों की मांग है कि निजीकरण की प्रक्रिया को तत्काल निरस्त किया जाए। न्यू डेमोक्रेटिक लेबर फ्रंट (एनडीएलएफ) राज्य समन्वय ने केंद्र शासित प्रदेश में बिजली विभाग के कर्मचारी बेमियादी हड़ताल को अपना समर्थन दिया था।
इससे पहले सोमवार को सरकार ने एस्मा लगा कर प्रदर्शनकारियों की सामूहिक गिरफ़्तारियां की थीं। जिसमें अब तक 700 से भी अधिक कर्मचारियों और इंजीनियरों को गिरफ्तार किया गया था।
केंद्रीय ट्रेड यूनियन एटक ने एक बयान जारी कर कर्मचारियों की ताबड़तोड़ गिरफ़्तारी की निंदा की है और गिरफ़्तार कर्मचारियों को तत्काल रिहा करने की मांग की है।
एटक की महासचिव अमरजीत कौर ने कहा कि केंद्र की मोदी सरकार 2020 से ही बिजली संशोधन बिल को पास कराना चाह रही है, लेकिन किसान आंदोलन के कारण उसकी हिम्मत नहीं हो पा रही है।
शनिवार की रात राज्य के कुछ हिस्सों में पांच से सात घंटे तक बिजली गुल रही और कुछ जगहों पर रविवार तक बिजली कटौती की गई। विलियानूर और अरियापलायम में कर्मचारियों ने सड़कों को जाम कर अपना विरोध जाहिर किया था।
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यहां तक कि स्ट्रीट लाइट भी बंद पड़ी हुई थीं, त्यौहार के साम जमघट लगे बाज़ारों में अंधेरा पसरा गया था। यहां तक कि स्थानीय लोग भी सरकार के खिलाफ प्रदर्शन करने उतर पड़े थे।
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