मान सरकार से नाखुश: कर्मचारियों ने जलायी नए बजट की कॉपियां, खेतिहर मजदूरों ने सौंपा जमीन के लिए ज्ञापन
पंजाब के पटियाला में क्रांतिकारी पेंडु मजदूर यूनियन (KPMU) की तीन इकाइयों ने जिला विकास एवं पंचायत अधिकारी (DDPO) सुखचैन सिंह पापरा को गुरुवार को ज्ञापन सौंपा।
वहीं दूसरी ओर फिरोजपुर में पंजाब सुबार्डिनेटर सर्विस फेडरेशन ने पंजाब सरकार के नए बजट की कॉपियां जला कर बजट का विरोध किया।
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KPMU की पहली इकाई, ग्राम सदरपुरिकाई के खेतिहर मज़दूरों की मांग है कि जमीन का एक-तिहाई भाग नाप कर भूमिहीन दलित मज़दूरों में बांटा जाना चाहिए। साथ ही जमीन में पानी उपलब्ध कराया जाना चाहिए।
दूसरा, ग्राम भगौरकलां इकाई के सदस्यों ने अपने मांग पत्र में लिखा है कि पंचायत भूमि का एक-तिहाई हिस्सा (26 एकड़) कम दर पर आवंटित किया जाना चाहिए। और इन जमीनों की बोली एससी धर्मशाला में लगाई जानी चाहिए।
आरक्षित कोटे वाली जमीन तीन वर्ष के पट्टे पर दलित भूमिहीन मज़दूरों को दी जानी चाहिए। नजूल जमीन और पंचायत जमीन अलग-अलग भूमि हैं और इसमें किसी तरह की कोई गड़बड़ी नहीं होना चाहिए।
तीसरा इकाई ग्राम खेरीभीम के मज़दूरों की मांग है कि दलित भूमिहीन मज़दूरों को दे जाने वाली एक-तिहाई जमीन (3.5 एकड़ जमीन देने के बाद) बची हुई जमीन (9 एकड़) की नपाई पूरी की जाए और जमीन में पानी उपलब्ध कराया जाए।
पंजाब के दलित खेतिहर मज़दूर लगातार अपनी मांगों को पूरा करने के लिए प्रदर्शन कर रहे हैं। उन्होंने मान सरकार को कई बार अपनी मांगों को लेकर पत्र सौंपा। लेकिन सरकार के ऊपर कोई असर नहीं हुआ।
दैनिक जागरण में आई खबर के मुताबित फिरोजपुर पंजाब व यूटी मुलाजिम पेंशनर संयुक्त फ्रंट के फैसले अनुसार पंजाब सुबार्डिनेटर सर्विस फेडरेशन (विज्ञानक) की ओर से सिविल अस्पताल फिरोजपुर में कर्मचारियों ने पंजाब सरकार के बजट की कॉपियों को जलाकर प्रदर्शन किया।
इस दौरान प्रदर्शनकारियों ने बताया कि भगवंत मान सरकार की तरफ से सत्ता में आने से पहले पंजाब के कर्मचारियों की मांगों को पूरा करने की जो बातें कही गई थी, अब सरकार उससे भाग रही है।
उन्होंने कहा कि मौजूदा मुख्यमंत्री एवं आप पार्टी के प्रभारी केजरीवाल ने कर्मचारियों को कहा था कि यदि उनकी सरकार सत्ता में आएगी तो किसी भी कर्मचारी को धरनों पर नहीं बैठना पड़ेगा।
लेकिन सरकार की तरफ से पेश किए गए पहले बजट में कर्मचारियों की मांगों को लागू नहीं किया गया और कोई ठोस कार्रवाई भी नहीं की गई। जिसके चलते कर्मचारियों में भारी रोष पाया जा रहा है।
इस मोके पर रमन अतरी, हरप्रीत सिंह थिंद, मनोज ग्रोवर, रविंद्र लूथरा, गुरजंट सिंह, दविंदर सिंह बाजीदपुर, फ्रांसिस भट्टी, गुरमेल सिंह, गुरमीत सिंह, शेखर, कमलजीत सिंह, हरमिन्द्रपाल सिंह, हरमेश चंद्र, राज कुमार कुक्कड़, रविंद्र शर्मा, पुनीत मेहता, पवन मनचंदा, राकेश गिल, अरुण कुमार, टाकेश कंबोज, तरूनपाल कोर, वंदना बल, रजनी ओवटाय, नीना शर्मा, रश्मि शर्मा आदि ने विचार रखे और कर्मचारियों की मांगों को हल करने के लिए सरकार से मांग की।
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