राजस्थानः शहरों में भी मनरेगा जैसी स्कीम की शुरुआत, मिलेगी 100 दिन के काम की गारंटी
गांव की तर्ज पर अब शहर के मज़दूरों को भी गारंटी से रोजगार मिलेगा। राजस्थान सरकार की शहरी क्षेत्रों में रोजगार उपलब्ध करवाने वाली इंदिरा गांधी शहरी रोजगार गारंटी योजना (IGUEGS) 9 सितम्बर से शुरू हो रही है।
800 करोड़ रुपये के बजट वाली इस योजना में अब तक 2 लाख से अधिक जॉब कार्ड जारी किए जा चुके हैं। देशभर के ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के लिए यूपीए सरकार के दौरान महात्मा गांधी राष्ट्रीय रोजगार योजना यानि मनरेगा को शुरू किया गया था। उसी तर्ज पर राजस्थान में गहलोत सरकार शहरी क्षेत्रों में भी रोजगार गारंटी योजना शुरू की है।
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हज़ारों मज़दूरों ने बनवाया जॉब कार्ड
the hindu से मिली जानकारी के अनुसार इस योजना को पिछले बजट में घोषित किया गया था। राजसमंद नगर परिषद सहित जिले की आमेट, नाथद्वारा व देवगढ़ नगर पालिका क्षेत्र में काम करने के लिए 4000 से ज्यादा शहरवासियों ने जॉब कार्ड बनवाया है। जिसमें सर्वाधिक 1228 आवेदन राजसमंद शहर में आए हैं। काम की मांग करने वालों को 100 दिन का रोजगार मिलेगा।
नगर परिषद आयुक्त जनार्दन शर्मा के अनुसार इस योजना से जुड़ने के लिए जॉब कार्ड व काम की मांग के आवेदन दोनों ही कार्य ई-मित्र के जरिए पूरे किए जाएंगे। संबंधित वार्ड में काम उपलब्ध कराया जाएगा। जॉब कार्ड धारकों को वृक्षारोपण, फुटपाथ, डिवाइडर व अन्य सार्वजनिक स्थानों पर लगे पौधों को पानी देने, नर्सरी में पौधे तैयार करने, श्मशान व कब्रिस्तान में सफाई सहित कार्य कराए जाएंगे।
योजना के लिए पात्रता
निकाय क्षेत्र में निवास करने वाले 18 से 60 वर्ष की उम्र के व्यक्ति ई-मित्र से आवेदन कर सकते हैं। योजना के तहत परिवार के पंजीयन के लिए जन आधार कार्ड आवश्यक होगा। जिसको एक यूनिट माना जाएंगा।
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आर्थिक सलाहकार परिषद ने रखा था प्रस्ताव
गौरतलब है कि देश में आय की असमानता को दूर करने के लिए, प्रधान मंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद (ईएसी-पीएम) ने महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (MGNREGS) की तर्ज पर एक शहरी रोजगार गारंटी योजना को लागू करने का प्रस्ताव रखा था।
पैनल ने द स्टेट ऑफ इनइक्वलिटी इन इंडिया द्वारा जारी रिपोर्ट की तर्ज पर बढ़ती असमानता पर चिंता जताई थी। रिपोर्ट के अनुसार देश में श्रम बल की भागीदारी दर 2019-20 में 51.5% थी, जो 2017 में 49% से बेहतर थी- 18. हालांकि, 2017-18 से 2019-20 तक तीन वर्षों में उच्च माध्यमिक तक शिक्षित लोगों की भागीदारी दर 40-43% पर काफी कम थी।
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