मोदी सरकार के सहयोगी संगठन RSS विंग ने नए लेबर कोड का किया विरोध
बीजेपी का मातृ संगठन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) का मजदूर संगठन भारतीय मजदूर संघ (BMS) ने नए लेबर कोड का विरोध किया है।
जहां एक तरफ भारतीय मजदूर संघ ने नए लेबर कोड पारित होने का स्वागत किया है, वहीं नए चार लेबर कोड में से मुख्य तौर पर दो कोड का विरोध किया है।
मजदूर संघ ने हड़ताल का अधिकार खत्म करना, नौकरी के कॉन्ट्रैक्ट की शर्तों में बदलाव आदि का विरोध किया है।
ये भी पढ़ें-
- चार लेबर कोड के खिलाफ TUCI ने किया 5-7 नवंबर को दिल्ली में विशाल धरने का ऐलान
- मासा के दिल्ली कन्वेंशन का आह्वान : लेबर कोड रद्द करे मोदी सरकार, 13 नवंबर को राष्ट्रपति भवन तक मार्च का किया ऐलान
पिछले हफ्ते केंद्रीय श्रम मंत्री भूपेंद्र यादव द्वारा आयोजित एक बैठक में सरकार केंद्रीय ट्रेड यूनियनों के साथ लेबर कोड को लेकर चल रहे मतभेदों को दूर करने की कोशिश विफल हो गयी है।
जिस नए मज़दूर विरोधी नए लेबर कोड को मोदी सरकार आनन फानन में लागू करने के लिए लगातार बैठके कर रही है उस नए लेबर कोड़े का विरोध सरकार का अपना मज़दूर संगठन ही इसका विरोध कर रहा है। BMS ने नए लबो कोड के विरोध में महामारी के दौरान भी एक विशाल प्रदर्शन किया था।
सरकार के जवाब का है इंतजार
TNIE की ख़बर के मुताबिक बीएमएस प्रमुख हिरणमय पांड्या का कहना है कि अगर सरकार उनकी मांगों को नहीं मानेगी तो फिर एक विशाल आंदोलन किया जायेगा। उन्होंने बताया कि इस मुद्दे पर केंद्रीय मंत्री के साथ भी हमारी चर्चा हुई है लेकिन अभी तक उनकी तरफ से कोई जवाब नहीं आया है।
औद्योगिक संबंध संहिता में विवादास्पद प्रावधानों के बारे में बात करते हुए, पंड्या ने कहा कि इससे मज़दूरों के हितों की रक्षा करने के बजाय केवल नियोक्ता को लाभ होगा।
उनका कहना है कि सरकार द्वारा लाये गए दो कोड जिनमें औद्योगिक संबंध संहिता का प्रस्ताव है एक ऐसा नियम है जिसमें वह कंपनियां जो 300 मज़दूरों को रोजगार देती हैं, वे सरकार की मंजूरी के बिना मज़दूरों को काम से निकाल कर इकाइयों को बंद कर सकती हैं। जबकि पहले यह सीमा 100 मज़दूरों तक ही थी।
‘नए कोड से कॉरपोरेट्स को होगा फायदा’
उनका आरोप है कि सरकार के इन नए कोड से केवल कॉरपोरेट्स को फायदा होगा।
वह व्यावसायिक सुरक्षा, स्वास्थ्य और काम करने की स्थिति की संहिता को मज़दूर विरोधी बताते हुए पंड्या का कहना है कि नई संहिता में ठेका मज़दूरों को यूनियन की किसी भी प्रकार की गतिविधियों में शामिल नहीं होने दिया जायेगा। स्वस्थ सुरक्षा के नाम पर ESI का बहुत काम भुगतान किया जायेगा। उनका कहना है इतना ही नहीं मज़दूयों को मिलने वाले हड़ताल के अधिकार को खत्म कर दिया गया है।
गौरतलब है कि तीन कृषि कानूनों को पास करने के साथ ही 44 श्रम कानूनों को खत्म कर चार लेबर कोड भी पास करा लिए गए थे जिन्हें अभी तक लागू नहीं किया जा सका है।
देश की सभी ट्रेड यूनियनों की मांग है कि मोदी सरकार को तत्काल मज़दूर विरोधी नए चार लेबर कोड्स को वापस लेना चाहिए। यूनियनों को आशंका है कि आगामी शीत सत्र के दौरान इसे लागू करने पर मोदी सरकार जोर देगी।
ये भी पढ़ें-
- गुलामी के दिनों के कानूनों को खत्म करने के जुमले पर यूनियनें आक्रोषित, कहा- ‘मोदी झूठ का पुलिंदा’
- मज़दूरों और यूनियनों की मांगों को दरकिनार कर नए लेबर कोड को लागू करने की जल्दी में मोदी सरकार
नए लेबर कोड की वापसी की मांग को लेकर नवंबर के महीने में देश की राजधानी दिल्ली में दो विशाल प्रदर्शनों का आयोजान किया जा रहा है।
जिसमें टीयूसीआई ने आगामी 5-6-7 नवंबर को दिल्ली में जंतर मंतर पर तीन दिन के धरने का ऐलान किया है। वहीं सितम्बर में हुए दिल्ली कन्वेंशन में मासा ने इस बात का एलान किया था आगामी 13 नवंबर विशाल रैली के बाद संसद भवन का घेराव किया जायेगा।
वर्कर्स यूनिटी को सपोर्ट करने के लिए सब्स्क्रिप्शन ज़रूर लें- यहां क्लिक करें
(वर्कर्स यूनिटी के फ़ेसबुक, ट्विटर और यूट्यूब को फॉलो कर सकते हैं। टेलीग्राम चैनल को सब्सक्राइब करने के लिए यहां क्लिक करें। मोबाइल पर सीधे और आसानी से पढ़ने के लिए ऐप डाउनलोड करें।)