संगरूर: मजदूरों पर बर्बरता से लाठीचार्ज, CM भगवंत मान पर वादा खिलाफ़ी का आरोप
बुधवार, 30 नवम्बर को पंजाब के संगरूर में मुख्यमंत्री भगवंत मान के आवास पर ग्रामीण और खेत मज़दूर संगठनों के लोग अपनी मांगो को लेकर शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे थे। उनकी बात सुनने की बजाए पुलिस द्वारा उन पर लाठीचार्ज कर दिया गया। कई इस घटना में मजदूर गंभीर रूप से घायल हो गये हैं।
दरअसल मजदूर अपनी मांगों को लेकर भारतीय खेत मजदूर यूनियन की अगुआई में संगरूर स्थित भगवंत मान के आवास के सामने प्रदर्शन करने पहुंचे थे। इसी दौरान पुलिस ने उन्हें दौड़ा-दौड़ाकर पीटा।
दैनिक भास्कर की रिपोर्ट के अनुसार, लोग सिर्फ मुख्यमंत्री भगवंत मान के सामने अपनी बात रखना चाहते थे। जब वह शांतिपूर्वक तरीके से नारेबाजी करते हुए काफिले की शक्ल में सीएम आवास की ओर बढ़ रहे थे तो पुलिस ने लाठीचार्ज कर दिया। इसमें कई लोगों की पगड़ियां बिखर गईं।
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चुनाव के समय चुनाव जीतने के लिए आम आदमी पार्टी द्वारा बड़े-बड़े वादे किए गए लेकिन चुनाव जीतने के बाद, मजदूरों की मांगों पर विचार करने से भगवंत मान मुकर गए। उनके पास मज़दूरों की बात सुनने तक का समय नहीं है। मुख्यमंत्री को गुजरात चुनाव में प्रचार का समय है, लेकिन अपने राज्य में मजदूरों की व्यथा सुनने का वक्त उनके पास नहीं है।
ਸੰਗਰੂਰ ਵਿਖੇ ਆਪਣੀਆਂ ਵੱਖ-ਵੱਖ ਮੰਗਾਂ ਨੂੰ ਲੈ ਕੇ ਮੁੱਖ ਮੰਤਰੀ ਭਗਵੰਤ ਮਾਨ ਜੀ ਦੀ ਰਿਹਾਇਸ਼ ਵੱਲ ਮਾਰਚ ਕਰ ਰਹੀ ਕਿਸਾਨ ਮਜ਼ਦੂਰ ਯੂਨੀਅਨ ਉੱਤੇ ਪੰਜਾਬ ਪੁਲਿਸ ਨੇ ਬੜੀ ਬੇਰਹਿਮੀ ਨਾਲ ਲਾਠੀਚਾਰਜ ਕੀਤਾ।
ਇਹ ਚੰਗਾ ਬਦਲਾਅ ਦਿਖਾ ਰਹੀ ਹੈ ਆਮ ਆਦਮੀ ਪਾਰਟੀ ਦੀ ਸਰਕਾਰ।#lathicharge #kisaanmazdoorunion #cmpunjab #residence #sangrur pic.twitter.com/5drmfO95Sj— Fatehjung Singh Bajwa (@fatehbajwa2) November 30, 2022
मजदूर संगठन न्यूनतम दैनिक मजदूरी बढ़ाकर 700 रुपये करने की मांग कर रहे थे। इसके अलावा मनरेगा में पूरे साल काम की गारंटी, पंचायती जमीन में से एक हिस्सा दलित मजदूरों को सस्ती दरों पर खेती के लिए देने संबंधित मागें थी।
पंजाब के अंदर मजदूर संगठनों का कहना है कि उन्हें मनरेगा और खेतों में काम करने पर रोज दिहाड़ी नहीं मिलती। मजदूरों का दैनिक जीवन कठिन हो चुका है।
ख़बरों के अनुसार, जोरा सिंह, परमजीत सिंह व परगट सिंह ने कहा कि 3 अक्टूबर को मुख्यमंत्री भगवंत मान की मजदूर मोर्चा से बैठक तय थी, मगर अचानक वह बैठक रद्द कर दी गई। उसके बाद वित्त मंत्री हरपाल चीमा के साथ बैठक हुई, मगर उसमें चीमा ने स्वीकार की जा चुकी मांगों पर किंतु-परंतु शुरू कर दिया जिससे मजदूरों में रोष है।
इससे पहले इन कृषि मजदूरों ने अक्टूबर में 19 दिन तक पूरे पंजाब में सड़क से लेकर रेल की पटरी तक बड़े विरोध प्रदर्शन किए थे। तब सरकार द्वारा लिखित रूप में उनकी मांगों को स्वीकार करने के बाद मजदूर किसान आंदोलन वापस लेने पर सहमत हुए थे।
अपने वादो से मुकर रही भगवंत मान सरकार मजदूरों की मांगों पर विचार करने के वजाय दमन करने पर उतारु है।
मजदूरों की मुख्य मांगें:
1) कपास और धान की फसल को बारिश से हुए नुकसान का मुआवजा दिया जाए।
2) मजदूरों को सालभर में रोजगार की गारंटी दी जाए। दिहाड़ी 250 रुपए से बढ़ाकर 700 रुपए की जाए।
3) मजदूरों को घर बनाने-रहने के लिए पंचायती जमीन सस्ते रेट पर दी जाए।
4) बेघर जरूरतमंद मजदूरों को घर बनाने के लिए प्लाट दिए जाएं। अलॉट प्लाटों के कब्जे दिए जाएं।
5) मजदूरों के कर्ज माफ किए जाएं।
6) विधवा, बुढ़ापा और दिव्यांगों को मिलने वाली रकम बढ़ाकर 5 हजार रुपए की जाए।
मजदूरों के सांझा मोर्चा में पेंडू मजदूर यूनियन, जमीन प्राप्ति संघर्ष कमेटी, क्रांतिकारी पेंडू मजदूर यूनियन पंजाब, पंजाब खेत मजदूर यूनियन, मजदूर मुक्ति मोर्चा, कुल हिंद किसान यूनियन, देहाती मजदूर सभा व पेंडू मजदूर यूनियन आदि शामिल हैं।
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