“आसमान से गिरते मिसाइलों को देख लगा नहीं घर वापस लौट पाएंगे ….” : इजराइल में भारतीय मज़दूरों की आपबीती

“आसमान से गिरते मिसाइलों को देख लगा नहीं घर वापस लौट पाएंगे ….” : इजराइल में भारतीय मज़दूरों की आपबीती

लखनऊ के ऐशबाग के रहने वाले भारतीय मज़दूर मंजीत शर्मा बताते हैं, ‘ मंगलवार की रात को 10 बजे होंगे कि चारों ओर धमाकों की आवाज सुनाई देने लगी। जब मैंने खिड़की से बाहर झाँका, तो देखा कि आसमान से मिसाइलें गिर रही थीं। लोगों की चीखें गूंज रही थीं, मानो एक खौफनाक मंजर शुरू होने वाला हो। वो तो शुक्र हो कि ज्यादातर मिसाइलों को आसमान में ही नष्ट कर दिया गया’।

मंजीत शर्मा उत्तरप्रदेश के लखनऊ के ऐशबाग निवासी हैं और इज़राइल में एक मज़दूर के रूप में कार्यरत हैं ।

परिवार में भय का माहौल

मंजीत शर्मा ने बताया कि उन्होंने बुधवार को अपने घर पर बात की। परिवार में भय का माहौल है, लेकिन उन्होंने यह भी कहा कि सरकार ने उन लोगों को सब ठीक होने जाने का भरोसा दिया है।

‘ इज़राइल सरकार और भारतीय दूतावास से हमें संदेश मिला की सतर्क रहें और हमारे सुरक्षा का भरोसा दिया गया लेकिन ऐसे माहौल में डर तो लगता ही है’।

पारिवारिक त्रासदी के बावजूद वापस नहीं लौट सके

मंजीत के साथी मज़दूर सौरभ गुप्ता, जो मलिहाबाद, लखनऊ से हैं, ने बताया कि वे अप्रैल में इस्राइल पहुंचे। एक सप्ताह बाद ही उन्हें अपने पिता के निधन की खबर मिली, लेकिन भयंकर स्थितियों के कारण वे घर नहीं लौट सके।

उन्होंने कहा, ‘ इस हमले से सभी मज़दूरों में भय का माहौल है। वह अपने परिवार से संवाद कर रहे हैं और हमे आश्वासन दिया गया है कि हमारी सुरक्षा का ध्यान रखा जायेगा’।

बंकर में रहने की सलाह

फिलहाल इन हमलों में किसी भारतीय मज़दूर के साथ किसी तरह की कोई दुर्घटना नहीं हुई है। इजराइली प्रशासन ने सभी मज़दूरों को सावधान और सतर्क रहने की चेतावनी दी है।

लखनऊ के जानकीपुरम के रहने वाले मज़दूर मुकेश सिंह बताते हैं, ‘ हमे हमारी सुरक्षा सुनिश्चित किये जाने वाले मैसेज मिले हैं लेकिन इसके साथ ही हमसे ये भी कहा गया है कि बंकर बनाए गए हैं और जैसे ही हम किसी तरह के सायरन बजने की सुने हमें भागकर उन बंकरों की शरण लेनी होगी’।

ट्रेड यूनियन मज़दूरों की सुरक्षा को नज़रअंदाज़ करने का लगा चुकी है आरोप

मालूम हो पिछले साल दिसंबर में उत्तर प्रदेश और हरियाणा सरकार ने इज़राइल में नौकरी के लिए निर्माण मज़दूरों से आवेदन आमंत्रित किए थे।

सरकार की योजना संघर्ष प्रभावित देश में कम से कम 10,000 मज़दूरों को भेजने की थी जिसके लिए मज़दूरों का चयन राष्ट्रीय कौशल विकास निगम (एनएसडीसी) द्वारा किया गया।

सरकार के इस फैसले के बाद ट्रेड यूनियनों और मज़दूर कार्यकर्ताओं ने सरकार के इस कदम को अमानवीय बताया था और कहा था कि गाजा और वेस्ट बैंक में इजरायली कार्रवाई जारी रहने के बावजूद भारतीय निर्माण मज़दूरों , नर्सों और देखभाल करने वालों की भर्ती में तेजी लाने का सरकार का निर्णय उन्हें नुकसान पहुंचाएगा।

ऑल इंडिया ट्रेड यूनियन कांग्रेस (एआईटीयूसी) की महासचिव अमरजीत कौर ने तब द हिंदू से बात करते हुए कहा था कि, ‘ सरकार का यह कदम कानून के खिलाफ है। सरकार को तो इज़राइल में युद्धविराम के पक्ष में खड़ा होना चाहिए , इसके उलट सरकार मज़दूरों की सुरक्षा को ताक पर रखते हुए एक युद्धग्रस्त जगह पर भेज रही है। हम मज़दूरों की सुरक्षा को लेकर चिंतित हैं, सरकार को अपना ये फैसला वापस लेना चाहिए ‘।

( अमरउजाला की खबर से इनपुट के साथ )

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Abhinav Kumar

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