दिल्ली जल बोर्ड के सीवर सफाई ठेका मजदूरों को अब तक नहीं मिला वेतन, जानिए क्यों परेशान हैं मज़दूर
By शशिकला सिंह
दिल्ली जल बोर्ड में सीवर सफाई का काम करने वाले ठेका मजदूरों को पिछले डेढ़ महीने से सैलरी नहीं मिली है। मजदूरों का आरोप है ठेकेदार हर बार एक नई तारीख का दिलासा दे रहा है। उनका कहना है कि आमतौर पर महीने की 6-7 तारीख तक सैलरी आ जाती थी, लेकिन इस बार अभी (22 सितंबर) तक भी मजदूरों को वेतन का भुगतान नहीं किया गया है। इससे मजदूरों को जीवन यापन करने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।
आप को बता दें कि दिल्ली जल बोर्ड ने सीवर सफाई के लिए ठेका मजदूरों की जिम्मेदारी डिक्की नामक निजी कंपनी को दी हुई है।
डिक्की में दो तरह के ठेका मजदूर काम करते हैं। एक ड्राइवर, जो सीवर सफाई की गाड़ी चलाते हैं और दूसरा हेल्पर जो मुख्य रूप से सीवर सफाई का काम करते हैं।
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डिक्की कंपनी के पूरी दिल्ली में 8 जोन हैं। जानकारी के अनुसार इन सभी जोन में 800-900 की संख्या में काम करने वाले सभी ठेका मजदूरों को पिछले डेढ़ महीने से वेतन नहीं दिया गया है।
ठेका मजदूर हो रहे परेशान
डिक्की के एक ठेका मजदूर ने नाम न बताने की शर्त पर वर्कर्स यूनिटी को बताया कि, पिछले डेढ़ महीने से वेतन न मिलने के कारण सभी मजदूर बहुत परेशान हैं। जब मजदूरों ने कंपनी मालिक से पूछा कि हमारा वेतन क्यों नहीं दिया जा रहा है? तो मैनेजमेंट का कहना है कि दिल्ली जल बोर्ड सैलरी के बिल पास नहीं कर रहा है।
उनका कहना है कि हम सभी मजदूर समय से अपना काम करते हैं, फिर भी वेतन समय से नहीं आ रहा है।
ठेका मजदूरों का आरोप है कि डिक्की प्रबंधन की तरफ से कागजी काम पूरा नहीं किया गया है जिसके कारण दिल्ली जल बोर्ड बिल पास नहीं कर रहा है।
नहीं मिलता जल बोर्ड द्वारा निर्धारित वेतन
इतना ही नहीं ठेका मजदूरों का कहना है कंपनी मजदूरों के वेतन के साथ भी बहुत बड़ा खेल कर रही है। उनका कहना है कि जो वेतन दिल्ली जल बोर्ड द्वारा ठेका मजदूरों के लिए दिया जाता है, कंपनी उसमें भी कटौती करती है।
दिल्ली जल बोर्ड की तरफ से ड्राइवर के लिए प्रति माह 20,000 रुपये निर्धारित है, लेकिन डिक्की मैनेजमेंट इनको प्रति माह 16,962 रुपये वेतन के तौर पर देती है। इसी तरह जल बोर्ड की ओर से हेल्पर को प्रति माह 18,000 रुपये निर्धारित है, लेकिन कंपनी इनको प्रति माह 14,000 रुपये वेतन ही देती है।
दिल्ली जल बोर्ड यूनियन का पक्ष
दिल्ली जल बोर्ड श्रमिक विकास संगठन के चेयरमैन जगपाल सिंह का कहना है कि हमारी यूनियन लगातार ठेका मजदूरों की मदद के लिए आगे आई है। इस बार भी यूनियन ने मजदूरों को इस बात का आश्वासन दिया है कि उनकी सभी समस्याओं को लेकर साउथ एक्स स्थित डिक्की के ऑफिस में लिखित पत्र भेजेंगे।
कागजों तक सीमीत सामाजिक सुरक्षा
डिक्की में काम करने वाले एक अन्य सीवर साफ करने वाले ठेका मजदूर ने बताया कि कंपनी सिर्फ नाम की सामाजिक सुरक्षा दे रही है। ठेका मजदूरों का आरोप है कि डिक्की कंपनी के कागजों में तो मजदूरों को ESI और PF की सुविधाएं दी जा रही हैं, लेकिन मजदूरों के पास तक नहीं पहुंचा पा रही हैं।
पिछले चार साल से डिक्की में काम करने वाले एक और ठेका मजदूर ने बताया कि कंपनी ने मजदूरों के अधिकारों का भी मजाक बना दिया है। सभी मजदूरों को साप्ताहिक अवकाश भी नहीं दिया जाता। यदि कोई मजदूर किसी कारणवश एक दिन की छुट्टी कर भी लेता है, तो उसके दो दिन के वेतन को काट लिया जाता है। मजदूर इसका विरोध करता है, तो प्रबंधन उसको नौकरी से निकालने की धमकी देता है। कंपनी प्रबंधन की इन सभी हरकतों से मजदूर काफी परेशान हैं।
नई भर्तियों के लिए ली जा रही घूस
उन्होंने बताया कि दिसंबर 2020 में सभी ठेका मजदूरों ने अपने साथी मजदूरों की मौत के बाद मुआवजे की मांग की, तो कंपनी ने 35-40 मजदूरों को एक साथ काम से निकाल दिया था, यह सभी मजदूरों की मौत से बाद परिवार वालों को मुआवजे की मांग को लेकर हड़ताल कर रहे थे। प्रदर्शन पर गए मजदूरों का कहना था कि दोनों मजदूरों की मौत काम के दौरान हुई है। इसलिए उनके परिवार मुआवजे के हकदार हैं।
सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, नए ठेका मजदूरों की भर्ती के लिए 25,000 से 30,000 रुपये तक घूस वसूली जाती है।
क्यों परेशान होते हैं ठेका मज़दूर
गौरतलब है कि ठेका मजदूरों का शोषण करने में कंपनी प्रबंधन कोई भी कमी नहीं छोड़ रहा है। इसके पीछे सब से बड़ा कारण यह है कि मजदूर यूनियन के सदस्य ठेका मजदूरों को यूनियन की सदस्यता नहीं दे रहे हैं।
जिसके कारण ठेका मजदूर जब भी अपने हकों की आवाज उठाते हैं, तो उनको नौकरी से निकालने की धमकियां दी जाती हैं। जिस कारण वह लगातार मानसिक और शारीरिक शोषण का शिकार हो रहे हैं।
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इतना ही नहीं नए लेबर कोड के आने के बाद ये स्थिति और ज्यादा डरावनी होने वाली है। नए कोड में ठेका मजदूरों के इस अधिकार को भी खत्म किया जा रहा है कि वह यूनियन के सदस्य बन सकते है। इसकी तरह मजदूरों को मिलने वाले कई अधिकारों को नए लेबर कोड में खत्म किया जा रहा है, जिसको लेकर देशभर की तमाम ट्रेड यूनियनें प्रदर्शन कर नए लेबर कोड को वापस लेने की मांग कर रही हैं।
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Sabke sath hi jo thekedar ke thru kaam kr rahe he DJB me unke sath aisa hi hota he bas DICCI company hi nahi isme saare thekedar shamil he isme pr koi lebour awaj nhi utha paati kuki sabko kaam se hath dhone ka darr hota he lekin saare thekedar hi aisa karte he.