इंटरार्क मज़दूरों को SKM का समर्थन, मांगे न पूरी होने पर कम्पनी गेट पर ट्रॉलियां खड़ी करने की दी चेतवानी”
उत्तराखंड के किच्छा में स्थित इंटरार्क बिल्डिंग मैटीरियल्स प्राईवेट लि. के गेट पर मज़दूर किसान महापंचायत का आयोजन किया गया है। कार्यक्रम में संयुक्त किसान मोर्चा ने मज़दूरों को अपना पूर्ण समर्थन देने की बात कही है।
किसान नेताओं का कहना है कि यदि प्रबंधन मज़दूरों की मांगों को जल्द से जल्द पूरा नहीं करता है तो किसान कंपनी के गेट पर ट्रॉलियां लाकर खड़ी कर देंगे और मज़दूरों के संघर्ष को अपना पूरा समर्थन देंगे।
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आप को बता दें कि रुद्रपुर के इंटरार्क स्थित सिडकुल और पंतनगर दोनों प्लांटों में पिछले 416 दिनों से हड़ताल पर बैठे मजदूरों ने मजदूर किसान महा पंचायत बुलाई है। लम्बे समय से हड़ताल कर रहे मज़दूरों का कहना है कि प्रबंधन लगातार मज़दूरों का शोषण एवं उत्पीड़न कर रहा है।
किसान मज़दूर नेताओं ने मज़दूरों के पक्ष में कहा कि “किसान आंदोलन ने दिल्ली के अपनी मांगों की हुंकार से मोदी की कुर्सी तक को हिला दिया था, तो यह इंटरार्क प्रबंधन कितना बड़ा है इसको भी मज़दूरों की मांगों को जल्द से जल्द पूरा करना पड़ेगा।” उनका कहना है कि यदि प्रबंधन मज़दूरों की मांगों को पूरा नहीं करता है किसान कंपनी के गेट पर ट्रॉलियां खड़ी कर देंगे।
उनका कहना है कि किसान मज़दूरों के समर्थन में कम्पनी गेट पर लंगर लगा कर धरने पर बैठ जायेंगे।
महापंचायत में मौजूद किसान नेताओं का कहा है कि यदि प्रबंधन मज़दूरों की कार्यबहाली नहीं करता है तो दिल्ली की तरह ही रुद्रपुर में भी आंदोलन किया जायेगा। साथ ही मज़दूर किसान नेताओं ने नए लेबर कोड पर भी विरोध दर्ज किया है। उनका कहना है कि नया लेबर कोड पूरी तरह से मज़दूर विरोधी है इसको तत्काल वापस लिया जाना चाहिए।
क्रांतिकारी किसान मंच बरेली की सदस्य हिमांशु का कहना है कि अपनी मांगों को प्रबंधन के सामने रख कर मज़दूरों ने कौन सी गलती कर दी है जो प्रबंधन मज़दूरों को नौकरी से निकाल रह है। उनका कहना है कि अगर देश में महंगाई बढ़ रही है तो मज़दूरों के वेतन में भी वृद्धि होनी चाहिए। यदि प्रबंधन को मुनाफा होता है, तो मज़दूरों को भी बोनस देने चाहिए। यह सभी मज़दूरों का अधिकार हैं।
आज की महापंचाय में भी हज़ारों मज़दूरों और मज़दूर संगठनों ने हिस्सा लिया।
मज़दूरों का आरोप है कि पिछले चार साल से कंपनी ने मज़दूरों के वेतन में कोई वृद्धि नहीं की है। इतना ही नहीं लेबर कोर्ट और हाईकोर्टों के तमाम आदेशों का सीधा उल्लंघन कर पंतनगर प्लांट में लॉकआउट किया। प्रबंधन लगातार मशीनों को शिफ्ट करने की कोशिश में लगा हुआ है।
गौरतलब है कि पिछले 13 महीनों से मजदूर अपने शोषण व उत्पीड़न के विरोध में आंदोलन कर रहे हैं। जिसमें सिडकुल पंतनगर एवं किच्छा फैक्ट्री के बाहर मज़दूर अपने परिवार संग लगातार चौबीसों घंटे धरना प्रदर्शन कर रहे है।
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पिछले 4 वर्षों में मजदूरों के वेतन में कोई वृद्धि नहीं की गई है। बोनस, एलटीए, व अन्य सुविधाएं बंद कर दी गई हैं। झूठे मुकदमे व आरोप लगाकर निलंबित कर दिया गया है। लगातार 4 वर्षों से मजदूर अपने जायज मांगों को लेकर संघर्ष के मैदान में हैं। कंपनी प्रबंधको द्वारा श्रमिकों पर दबाव बनाने के लिए श्रमिकों पर झूठे आरोप लगाकर लगभग 95 मज़दूरों को बाहर कर दिया गया है।
हाईकोर्ट नैनीताल के आदेश के आदेश के बाद भी कंपनी प्रबंधक पुलिस प्रशासन से मिलकर कंपनी की मशीनों को बाहर निकालने की कोशिश लगातार जारी है। जिसके कारण मजदूरों के सब्र का बांध टूट गया। दोनों प्लांटों के मजदूरों ने सामूहिक रूप से कार्य का बहिष्कार करते हुए धरना दे रहे हैं।
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