तमिलनाडु : ट्रेड यूनियनों ने कहा नए लेबर कोड से केवल कॉर्पोरेट्स को होगा फायदा
देशभर में नए लेबर कोड के विरोध में ट्रेड यूनियनों लगातार प्रदर्शन कर रही हैं। इसी कड़ी में ऑल इंडिया ट्रेड यूनियन कांग्रेस (AITUC) के सदस्यों ने तमिलनाडु सरकार से केंद्र सरकार के संशोधित श्रम कल्याण अधिनियमों को लागू नहीं करने का आग्रह किया है।
संगठन के जिलाध्यक्ष ए बालासिंगम की अध्यक्षता में एक विरोध प्रदर्शन का आयोजन किया गया। जिसमें यूनियन के सदस्यों का कहना है कि जिस तरह सरकार ने कृषि अधिनियमों के खिलाफ विधानसभा में पारित प्रस्ताव को वापस लिया है उसके तरह अब नए लेबर कोड को भी वापस के दोबारा पुराने लेबर कोड को पारित करने की मांग की है।
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इंडियन एक्सप्रेस मिली जानकारी के अनुसार एटक के जिला महासचिव कृष्णराज ने कहा कि “कई वर्षों के संघर्ष के बाद अधिनियमित 44 श्रम कल्याण अधिनियमों को संशोधनों के माध्यम से केवल चार तक सीमित कर दिया गया है, जिससे केवल कॉर्पोरेट को लाभ होगा। इससे मजदूरों के कल्याण का महत्व भी कम हो गया है और इसे लागू करने से मज़दूरों की अर्थव्यवस्था प्रभावित होगी।”
यूनियन की मांगे
उन्होंने सभी विभागों के कर्मचारियों के लिए न्यूनतम 21,000 रुपये वेतन की मांग करते हुए कहा कि साल में 240 दिन काम करने वाले कर्मचारियों को स्थायी रोज़गार दिया जाना चाहिए। रोजगार भविष्य निधि (EPF) के तहत पंजीकृत मज़दूरों को 6,000 रुपये की पेंशन दी जाए। बिजली बिल, संपत्ति कर और जल कर में बढ़ोतरी में कटौती की जानी चाहिए।
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गौरतलब है कि नए लेबर कोड के देशव्यापी विरोध के बाद भी मोदी सरकार आनन फानन में इसको लागु करने की तैयारियां कर रहे है। लेकिन इस तमाम विरोध प्रदर्शनों को देख कर लगता है शायद अब केंद्र सरकार को यह लागू करने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़े।
पिछले महीने दिल्ली में मज़दूर अधिकार संघर्ष अभियान (मासा) की ओर से मजदूर विरोधी नीतियों और निजीकरण के खिलाफ उत्तर भारत का मजदूर कन्वेंशन आयोजित हुआ था।
जिसमें आगामी 13 नवम्बर को राजधानी दिल्ली के राष्ट्रपति भवन तक रैली का ऐलान किया गया है।
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