चाय बागान मज़दूरों ने घेरा कोलकता की सड़कों को, राज्यपाल को मांगो से सम्बंधित ज्ञापन सौंपा
मज़दूर अधिकार संघर्ष अभियान (मासा) द्वारा 20 जनवरी को कोलकता में आयोजित ‘मजदूरों का राजभवन चलो अभियान’ में तमाम मजदूरों के साथ दार्जिलिंग पहाड और डुवर्स के चाय श्रमिक भी शामिल हुए. इस दौरान चाय बागान मज़दूरों की माँगों को उठाया गया और राज्यपाल को उनकी मांगो से सम्बंधित ज्ञापन भी सौंपा गया.
5 फरवरी को राजभवन में होगी वार्ता
मज़दूरों की रैली के बाद 20 जनवरी को मासा प्रतिनिधिमंडल के साथ हिल प्लांटेशंस एम्प्लॉइज यूनियन (एचपीईयू) और पश्चिम बंगाल चाय बगान श्रमिक कर्मचारी यूनियन (पीबीसीबीएसकेयू) के तीन प्रतिनिधि राजभवन गए और राज्यपाल को चाय उद्योग संबन्धित एक ज्ञापन सौंपा.
दोनों यूनियनों द्वारा चाय बागान मज़दूरों के गम्भीर मुद्दों पर दिए गए ज्ञापन पर चर्चा के लिए एचपीईयू को 5 फरवरी को पुनः राजभवन बुलाया गया है.
क्या है चाय बागान मज़दूरों की मुख्य मांगें
चाय बागान मज़दूरों की मुख्य मांगें थीं- अगस्त 2023 में कलकत्ता उच्च न्यायालय द्वारा दिए गए आदेश यानी 6 महीने के भीतर चाय उद्योग में न्यूनतम मजदूरी तय और लागू करने के फैसले के मद्देनजर तुरंत उचित न्यूनतम मजदूरी की घोषणा, बंद चाय बागानों को शीघ्र खोलना और बीमार बगान सहित सभी चालू चाय बागान मज़दूरों के अधिकारों को सुनिश्चित करना.
नागरिक कन्वेंशन का आयोजन
रैली के अगले दिन इन संगठनों ने एक नागरिक कन्वेंशन का आयोजन किया.
इस दौरान चाय बागान मालिकों और प्रबंधन के अत्याचार, श्रमिकों के अधिकारों की हानि और बढ़ते बकाया के बारे में बातें उठीं.
वक्ताओं ने बताया कि हक-अधिकारों की आवाज उठाने पर कानूनी कार्रवाई करने और मालिकों द्वारा बागान बंद करने की धमकी दी जाती हैं.
बोनस के दौरान तरह-तरह के बहाने, कई बागानों में बकाये का भुगतान नहीं होना, पीएफ, ग्रेच्युटी, पेंशन का सही तरीके से भुगतान नहीं होना रोज की बात है.
( मेहनतकश की ख़बर से साभार)
Do read also:-
- उत्तरकाशी सुरंग हादसाः बचाव में लगे मज़दूरों के पैरों में चप्पल, कर रहे गम बूट के बिना काम
- उत्तराखंडः दिवाली से ही सुरंग के अंदर फंसे हुए हैं 40 मज़दूर, सैकड़ों मज़दूरों ने शुरू किया प्रदर्शन
- मौत से लड़ते कटे टनल के वो सात घंटे, उत्तराखंड हादसे में बचे कर्मियों की आपबीती
- “हम मर जायेंगे लेकिन वेदांता को अपनी 1 इंच भी जमीन खनन के लिए नहीं देंगे” – ओडिशा बॉक्साइट खनन
- विश्व आदिवासी दिवस: रामराज्य के ‘ठेकेदारों’ को जल जंगल ज़मीन में दिख रही ‘सोने की लंका’
- “फैक्ट्री बेच मोदी सरकार उत्तराखंड में भुतहा गावों की संख्या और बढ़ा देगी “- आईएमपीसीएल विनिवेश
- “किसान आंदोलन में किसानों के साथ खड़े होने का दावा करने वाले भगवंत मान आज क्यों हैं चुप “
- ओडिशा पुलिस द्वारा सालिया साही के आदिवासी झुग्गीवासियों पर दमन के खिलाफ प्रदर्शन पर पुलिस ने किया लाठीचार्ज
Subscribe to support Workers Unity – Click Here
(वर्कर्स यूनिटी स्वतंत्र निष्पक्ष मीडिया के उसूलों को मानता है। आप इसके फ़ेसबुक, ट्विटर और यूट्यूब को फॉलो कर इसे और मजबूत बना सकते हैं। वर्कर्स यूनिटी के टेलीग्राम चैनल को सब्सक्राइब करने के लिए यहां क्लिक करें।)