दिल्ली में अधिकांश महिला वर्करों की सैलरी 5 से 8 हज़ार रु के बीच, सर्वे रिपोर्ट ने खोली दिल्ली मॉडल की पोल
चुनाव में दूसरे राज्यों में केजरीवाल भले ही दिल्ली मॉडल को मजदूरों का हितैषी बताते प्रचार कर रहे हों लेकिन उनके ही शासित राज्य दिल्ली में वर्करों की हालत बहुत दयनीय है।
एक हालिया सर्वे रिपोर्ट से पता चलता है कि दिल्ली के औद्योगिक इलाकों में कार्यरत महिला मजदूरों को औसतन वेतन 5000 रुपये से 8000 रुपये प्रतिमाह दिया जा रहा है।
प्रगतिशील महिला संगठन द्वारा दिल्ली के औद्योगिक क्षेत्रों में कार्यरत महिला मजदूरों की स्थिति पर हाल ही में किए गए सर्वे के अनुसार, महिला मजदूरों को ईएसआई, पीएफ या फिर नियुक्ति पत्र नहीं दिया जा रहा है।
पुरुषों के मुकाबले काम वेतन
रिपोर्ट के अनुसार, दिल्ली सरकार द्वारा घोषित न्यूनतम वेतन आमतौर पर दिल्ली के मजदूरों को नहीं मिल रहा है परंतु महिलाओं को उतना वेतन भी नहीं मिल रहा जो पुरुष मजदूरों को दिया जा रहा है।
ये भी पढ़ें-
- Mundka fire deaths: WPC fact-finding report hint rampant forced labour in Delhi
- भारत में मुस्लिम घरेलू कामगारों को काम पाने के लिए बदलना पड़ता है नामः रिपोर्ट
ईएसआई ना होने की स्थिति में महिलाएं बीमारी की हालत में निजी (आमतौर पर गैर एमबीबीएस) क्लीनिक जिनमें काफी पैसा इलाज में ही खर्च हो जाता है से ही इलाज करवाने पर मजबूर हैं।
संगठन की अध्यक्ष शोभा ने कहा कि पीएफ जोकि किसी भी महिला के आर्थिक सशक्तिकरण की गारंटी होता है महिला मजदूरों को नहीं मिल रहा है। औद्योगिक इलाकों में आमतौर पर ठेकेदारी व्याप्त है और इन ठेकेदारों के पास कोई लाइसेंस है या नहीं यह सब दिल्ली सरकार के श्रम विभाग को देखने की आवश्यकता है।
उनके अनुसार, महिला मजदूर 12 घंटे की भी ड्यूटी कर रही हैं। अक्सर उनको जिस फैक्ट्री में वह काम कर रही हैं उसका नंबर नहीं मालूम होता।
नहीं मिलती है सैलरी स्लिप
स्कूलों ,अस्पतालों में ठेके पर काम करने वाली विशेषकर हाउसकीपिंग में कार्यरत महिलाओं को जहां ₹10000 से ₹15000 प्रति माह मिल रहे हैं।
संगठन की महासचिव पूनम कौशिक ने कहा कि ईएसआई, पीएफ कट रहा है पर कोई सैलरी स्लिप नहीं मिल रही। समान काम समान वेतन लागू नहीं है। पक्का स्थाई कर्मचारी जो काम कर रहा है वही काम जब ठेका मजदूर कर रहा है तो उन्हें 15,700 रुपये ही प्राप्त हो रहे हैं।
प्रगतिशील महिला संगठन ने अपनी रिपोर्ट के द्वारा मांग की है कि दिल्ली में सभी महिलाएं जो दिल्ली की फैक्ट्रियों में काम करती हैं उनका पंजीकरण किया जाए तथा इसके लिए दिल्ली सरकार औद्योगिक इलाकों, रिहायशी बस्तियों में अपने अधिकारियों को भेज कर शिविर लगाए और इनका पंजीकरण किया जाए।
संगठन की मांग
संगठन ने मांग की है कि फैक्ट्री में काम करने वाली महिला मजदूरों को मजदूरी कार्ड जारी किए जाएं। इन महिला मजदूरों को न्यूनतम वेतन जो दिल्ली सरकार द्वारा घोषित है वह दिया जाए तथा इन सभी को ईएसआई और पीएफ की सुविधा मिले।
दिल्ली सरकार तथा तमाम विभाग सुनिश्चित करें कि ठेके पर काम करने वाली महिला मजदूरों को प्रतिदिन काम मिले एवं जिस संस्थान में वह काम कर रही हैं वहां पर ठेकेदार बदलने पर महिला मजदूरों की नौकरी नहीं खत्म होनी चाहिए ।इस बात की सुनिश्चित होनी चाहिए के ठेके पर काम करने वाली सभी महिला मजदूरों को प्रतिदिन काम मिले।
ये भी पढ़ें-
- मर्दों के मुकाबले पार्ट-टाइम कामों में महिलाएं 3 गुना ज्यादा: NSO
- महामारी के बाद श्रम बाजार की खाई पाटने अब छोटी कंपनियों ने तेज की महिलाओं की भर्ती
यह रिपोर्ट “महिला मजदूरों की आवाज” शीर्षक से एक पुस्तिका के रूप में तीस हजारी अदालत परिसर से जारी की गई। इस दौरान प्रगतिशील महिला संगठन दिल्ली की अध्यक्ष शोभा,महासचिव पूनम कौशिक,सहसचिव रीमा ,लॉयर्स कमिटी की उपाध्यक्ष हिना,सदस्य कंचन एवम अन्य लोग उपस्थित थे।
वर्कर्स यूनिटी को सपोर्ट करने के लिए सब्स्क्रिप्शन ज़रूर लें- यहां क्लिक करें
(वर्कर्स यूनिटी के फ़ेसबुक, ट्विटर और यूट्यूब को फॉलो कर सकते हैं। टेलीग्राम चैनल को सब्सक्राइब करने के लिए यहां क्लिक करें। मोबाइल पर सीधे और आसानी से पढ़ने के लिए ऐप डाउनलोड करें।)