न्यू पेंशन स्कीम के ख़िलाफ़ बैंक कर्मी 23 को जंतर-मंतर पर करेंगे विशाल प्रदर्शन
We Bankers Union के सदस्यों ने न्यू पेंशन स्कीम (NPS) के विरोध में 23 जुलाई को जंतर मंतर पर प्रदर्शन का आह्वान किया है।
यूनियन के सदस्यों का कहना है की सभी बैंक कर्मचारियों को धोखाधड़ी से चार भागों में बांट दिया गया है जिससे नए और पुराने कर्मचारियों को अलग अलग पेंशन मिलती है।
यूनियन सदस्य कमलेश चतुर्वेदी कहते हैं कि यूनियन उनकी मांग है कि सारे कर्मचारियों को एक सामान वेतन और पेंशन मिलनी चाहिए।
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27 अप्रैल 2010 को बैंकों द्वारा एक फरमान जारी किया गया था जिसमें सेवानिवृत्त बैंक कर्मियों को पेंशन देने के लिया नए नियम बनाये गए थे।
नियम में कहा गया था की ऐसे बैंक कर्मी जिन्होंने पूर्व में पेन्शन को विकल्प के रूप में नहीं चुना था, उन पर पेन्शन का लाभ पाने के लिए शर्त थोपी गई- यदि सेवा में हो तो नवम्बर 2007 के बढ़े हुए वेतन का ढाई गुना दो और अगर सेवा निवृत हो तो प्रॉविडेंट फ़ण्ड में बैंक के अंशदान के 156 फीसदी के बराबर राशि दो, तभी पेन्शन का लाभ मिलेगा।
क्या कहता है कानून
We Bankers द्वारा किए गए शोध के आधार पर और RTI आवेदन के माध्यम से प्राप्त जानकारी से पता चलता है कि युवा बैंक कर्मचारियों के साथ भेदभाव किया गया है और बैंकिंग कंपनी (उपक्रमों का अधिग्रहण और हस्तांतरण) अधिनियम, 1970/1980 के धारा 19(1) में दी गई उचित प्रक्रिया का पालन किए बिना विश्वासघाती और धोखेबाज तरीके से पेंशन फंड के लाभों से वंचित किया गया है।
सरकारी बैंकों के मैनेजमेंट के कामों को चुनौती देने वाले औद्योगिक विवाद को सभी के सामने अधूरी जानकारी के साथ पेश किया जा रहा है।
उन्होंने कहा, इस प्रकार We bankers ने अपना कर्तव्य निभाया है। यह एकमात्र यूनियन है जिसने बिना किसी जनादेश के युवा बैंक कर्मचारियों के लिए नयी पेंशन स्कीम NPS की शुरुआत को चुनौती दी है, जो इन कर्मचारियों को पेंशन फंड के लाभ से वंचित करने के लिए सहमत हुए हैं।
We bankers यूनियन को यह आशंका है कि वित्तीय सेवा विभाग के शीर्ष अधिकारी मुख्य लेबर कमिश्नर (केंद्रीय), नई दिल्ली पर भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) और सभी सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को नोटिस जारी करके हमारे विवाद पर ध्यान न देने के लिए दबाव डाल सकते हैं, जिन्हें विवाद का पक्षकार बनाया गया है।
इसी आशंका के चलते हम बैंकरों ने 23 जुलाई 2022 को सुबह 10 बजे जंतर मंतर पर धरने का आह्वान किया है।
“फूट डालो राज करो”
यूनियन का कहना है कि सभी बैंक कर्मचारी चाहे वे सेवानिवृत्त हों या काम कर रहे हों, पेंशन और पेंशन संबंधी मुद्दों पर हमेशा ठगे जाते रहे हैं।
भेदभाव के माध्यम से चार अलग और अलग समूह बनाकर उनकी एकता को भंग किया गया है और अभी भी पेंशन अपडेशन के मुद्दे पर एक ही खेल की योजना बनाई गई है।
“फूट डालो राज करो” सिद्धांत ने एकता की कमी और जन स्तर के विरोध के कारण धोखेबाजों की मदद की है।
यह प्रत्येक बैंक कर्मचारी के लिए यह समझने और महसूस करने का समय है कि उन्हें कैसे धोखा दिया गया है और उसके बाद एकता को वापस लाने के लिए सभी के लिए समान पेंशन की मांग करके इस अवसर पर पहुंचे।
सेवानिवृत्त और कार्यरत — दोनों कर्मचारियों की एक आवाज होनी चाहिए और केंद्र सरकार और RBI कर्मचारियों को जो दिया गया है उसके लिए लड़ने के लिए एक साथ खड़ा होना चाहिए, लेकिन बैंक कर्मचारियों को इससे इनकार किया जाता है।
गौरतलब है कि 53 साल पहले 19 जुलाई 1969 को सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का राष्ट्रीयकरण किया गया था।
इन सभी वर्षों के दौरान सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों ने देश के विकास और गरीब से गरीब व्यक्ति को गरीबी रेखा से बाहर निकालने में एक प्रमुख भूमिका निभाई है।
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