दिल्ली में केजरीवाल ठेका मज़दूरों को क्यों नहीं कर रहे परमानेंट?
गुजरात में आगामी चुनावों से पहले, AAP मतदाताओं को लुभाने के लिए अपने ‘दिल्ली मॉडल’ का बढ़चढ़ कर प्रचार कर रही है। राजधानी के मुख्यमंत्री केजरीवाल ने पिछले हफ्ते की शुरुआत में घोषणा की थी कि अगर उनकी पार्टी को राज्य में सत्ता में लाया जाता है, तो वह सभी ठेका मज़दूरों को परमानेंट कर देंगे।
अब गौर करने वाली बात यह है कि जिस दिल्ली मॉडल की तर्ज पर अरविंद केजरीवाल गुजरात में वोट इक्कठा करने की कोशिश कर रही है। वो अभी तक दिल्ली में ही लागु नहीं हुआ है। ‘आप’ अपने चुनावी वादों को भूलती जा रही है। वोट बैंक के राजनीती खेलने वाली ‘आप’ पार्टी ने चुनाव प्रचार के दौरान यह वादा किया था कि सरकार में आते ही सभी ठेका मज़दूरों को परमानेंट कर दिया जायेगा। दिल्ली में ट्रेड यूनियन लगातार इस मुद्दों पर प्रदर्शन और मांगें करते रहे है हैं।
ट्रेड यूनियनों का कहना
न्यूज़ क्लिक से मिली जानकारी के मुताबिक राष्ट्रीय राजधानी में कार्यरत ट्रेड यूनियनों का कहना है कि दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल ने 2013 में पहली बार केंद्र शासित प्रदेश में सत्ता में आने से पहले सरकारी कर्मचारियों और शिक्षकों के वोट हासिल करने के लिए इसी तरह का वादा किया था। हालाँकि, यह वादा झूठा निकला क्योंकि कई साल बीत चुके हैं लेकिन अभी तक ठेका मज़दूरों को परमानेंट नहीं किया गया है।
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आप को बात दें कि दिल्ली सरकार के विभिन्न विभागों और एजेंसियों में ठेका योजनाओं के तहत डॉक्टरों, नर्सों, शिक्षकों, सफाई कर्मचारियों सहित लगभग एक लाख कर्मचारी काम कर रहे हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, आप ने अपने चुनावी घोषणा पत्र में इन कर्मचारियों की सेवाओं को नियमित करने का वादा किया था।
आप नेता केजरीवाल दिसंबर 2013 में पहली बार दिल्ली के मुख्यमंत्री बने और कांग्रेस के समर्थन से केंद्र शासित प्रदेश की सरकार बनाई। हालाँकि, उन्होंने पद पर केवल 49 दिनों के बाद छोड़ दिया। इसके बाद, 2015 के विधानसभा चुनावों में, केजरीवाल के नेतृत्व वाली AAP को दिल्ली के लोगों से अभूतपूर्व जनादेश मिला, इसने 2020 में एक बार फिर चुनावों में जीत हासिल की।
यूनियनें कर रही हैं मांग
ऑल इंडिया सेंट्रल काउंसिल ऑफ ट्रेड यूनियन्स (AICCTU) के सदस्य अभिषेक का कहना है कि “आप नेताओं ने सत्ता में आने से पहले दिल्ली में सभी ठेका कर्मचारियों को नियमित करने का वादा किया था। लेकिन उन्होंने अभी तक इसे पूरा नहीं किया है। उनका कहना है इस मुद्दे पर यूनियन के साथ ठेका कर्मचारियों ने भी अपनी सेवाओं को नियमित करने की मांग को लेकर विरोध प्रदर्शन किया है, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। ”
उनका कहना है कि अब केजरीवाल गुजरात में किस दिल्ली मॉडल का प्रचार कर रहे है। उन्होंने कहा, “हम मांग करते हैं कि, एक उदाहरण स्थापित करने के लिए, सेवाओं के नियमितीकरण पर एक प्रस्ताव [ठेका कर्मचारियों के] को पहले दिल्ली विधानसभा में लाया जाना चाहिए।”
डीटीसी वर्कर्स यूनिटी सेंटर के प्रेमपाल सिंह ने न्यूज़क्लिक को बताया कि दिल्ली परिवहन निगम (डीटीसी) में लगभग 75% कर्मचारी अभी भी कॉन्ट्रैक्ट पर ही काम करते है। 2014 में, दिल्ली के सीएम केजरीवाल ने डीटीसी ठेका कर्मचारियों से अपनी अनिश्चितकालीन हड़ताल और अनशन खत्म करने की अपील करते हुए चार से पांच महीने के भीतर कर्मचारियों को नियमित करने का वादा किया था।
हड़तालों के बाद भी कुछ नहीं हासिल
सिंह ने खेद व्यक्त करते हुए कहा, “लेकिन यह अभी तक पूरा नहीं हुआ है, तब से हमारे कई विरोधों और प्रदर्शनों के बावजूद,” एक किलोमीटर योजना के आधार पर – ठेका श्रमिकों की अनियमित मजदूरी केवल उनके संकट को बढ़ाती है।
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सेंटर ऑफ इंडियन ट्रेड यूनियंस (सीटू) के विजेंदर गौड़ ने कहा, दिल्ली में पीड़ित ठेका कर्मचारियों की मदद कोई नहीं करता है, जो अब कहते हैं कि उनसे नकली वादा किया गया था। उनके अनुसार, दिल्ली जल बोर्ड (डीजेबी) में एक तिहाई मज़दूर ठेके पर काम करते हैं। DJB में के सभी ठेका मज़दूर नियमित होने का “बेसब्री से इंतजार” कर रहे हैं।
गौरतलब है कि दिल्ली के विभिन्न क्षेत्रों में काम करने वाले ठेका मज़दूरों से झूठा वादा कर केजरीवाल सरकार सत्ता में तो आगयी है। लेकिन गुजरात की जनता को इस बात के लिए सावधान रहने की जरुरत है कि अपने आप को आम जनता की सरकार बोलने वाली ‘आप’ जनता के साथ वादाखिलाफी करने में माहिर है।
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