सड़क पर सेमिनारः लेबर कोड के खिलाफ़ गुड़गांव लघु सचिवालय पर जुटे मजदूर, बताया लेबर कोड क्यों है खतरनाक
हरियाणा के आईएमटी मानेसर स्थित मारुति सुज़ुकी की कंपोनेंट मेकर बेलसोनिका प्रा. लि. कंपनी की बेलसोनिका यूनियन ने नए लेबर कोड के विरोध में एक विशाल सेमिनार गुड़गांव में डी.सी. कार्यालय के सामने आयोजित किया।
सड़क पर आयोजिय इस सेमिनार में मानेसर स्थित मारुती मज़दूर यूनियन, सुजुकी बाइक मज़दूर यूनियन, नपिनो मज़दूर यूनियन,एटक व गुड़गांव मानेसर मज़दूर संघ के हज़ारों मज़दूरों ने भाग लिया। सेमिनार के माध्यम से बेलसोनिका यूनियन के सदस्यों ने मज़दूरों को नए लेबर कोड के घातक परिणामों के मुद्दे पर जागरूक किया।
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- लेबर कोड किस तरह आपके काम को बदल कर रख देंगे?
बेलसोनिका यूनियन के महा सचिव अजीत सिंह का कहना है कि नए लेबर कोड के आते ही मज़दूरों की परिभाषा ही बदल जाएगी।
‘ट्रेड यूनियनों के सारे अधिकार छिन जाएंगे’
उन्होंने मज़दूरों को वर्किंग हॉर्स और सामाजिक सुरक्षा के विषय पर अपनी बात रखी। उनका कहना है कि नए लेबर कोड्स में मज़दूरों के ओवर टाइम के प्रावधान को बिलकुल बदल कर रख दिया है। अब जो मज़दूर 8 घंटे काम करता था उसको 12 घंटे काम करना होगा।
इसके बाद भी प्रबंधन मज़दूरों पर दबाव बना कर काम करवा सकती है। उन्होंने बताया कि नये लेबर कोड्स में महिलाओं की सुरक्षा भी एक बहुत बड़ा मुद्दा है।
इस कोड के आने के बाद से प्रबंधन महिलाओं से रात की शिफ्ट में भी काम करवा सकते हैं जो एक चिंता का विषय है। यह कोड महिला सशक्तिकरण के नाम पर महिलाओं को असुरक्षित करने की तैयारियां कर रहा है।
एटक के यूनियन लीडर अनिल पवार का कहना है कि नया लेबर कोड मज़दूरों के लिए इतने ज्यादा खतरनाक हैं कि इसमें मज़दूरों को मिलने वाली PF, ESI और ग्रजुएटी जैसे सभी सुविधाओं को नाम मात्र ही छोड़ा है। मज़दूरों को मिलने वाली बेसिक सैलरी के साथ भी बड़ी छेड़छाड़ की गयी है।
मज़दूरों के अधिकारों का हनन
सेमिनार में हुई चर्चा से मज़दूरों को यह समझ आया कि सरकार जिन चार लेबर कोड्स को मज़दूरों के पक्ष में बता रही है वह असल में पूरी तरह के मज़दूर विरोधी हैं।
यूनियन के प्रधान मोहिंदर ने मज़दूरों को जागरूक करते हुए ओल्ड पेंशन स्कीम बहाली की जीत का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा की नये लेबर कोड में वेज कोड और सामाजिक सुरक्षा कोड के 9 अधिकारों को ख़त्म कर
दिया गया है। जो मज़दूरों के अधिकारों का हनन है।
उल्लेखनीय है कि तिरुपति में मोदी सरकार ने श्रम मंत्रियों और राज्यों के श्रम सचिवों का सम्मेलन किया है जिसमें बहुत तेजी से श्रम कोड को लागू करने का आवाहन किया है और उसे उद्धघाटन स्तर में मोदी में यह कहा था कि हम गुलामी के समय के सभी श्रम कानूनों को ख़त्म कर रहे है।
साथ ही मज़दूरों को आज़ाद करने कि बात भी कही थी। जब कि मज़दूर यूनियनों का दावा है और मुख्य तौर पर पूजीपतियों को हर बंदिश से आज़ाद करना चाहते हैं।
(स्टोरी संपादित – शशिकला सिंह)
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