इंटरार्क कंपनी में काम के दौरान टूटा मज़दूर का हाथ, मजदूर संगठन ने लगाया प्रबंधन पर शोषण का आरोप
By शशिकला सिंह
उत्तराखंड के ऊधम सिंह नगर क्षेत्र में स्थित इंटरार्क कंपनी में काम करने वाले एक स्थाई मज़दूर का प्लांट में काम के दौरान हाथ टूट गया।
आनन फानन में उसे नजदीकी अमित अस्पताल में भर्ती कराया, जहां मजदूर का इलाज चल रहा है।
रुद्रपुर के रहने वाले बिजेंद्र पिछले 15 सालों से इंटरार्क कंपनी में स्थाई मज़दूर के तौर पर काम कर रहे हैं। शनिवार सुबह जब वह प्लांट में काम कर रहे थे, तभी लोहे का एक बड़ा टुकड़ा (बेग) उनके हाथ पर आ गिरा।
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- इंटरार्क के पंतनगर प्लांट से मशीन शिफ़्ट करने की कोशिश नाकाम, मज़दूरों के प्रतिरोध के आगे झुका मैनेजमेंट
लोहे का टुकड़ा इतना भारी था कि उनका दायां हाथ चपेट में आ गया। इलाज कर रहे डॉक्टरों का कहना है कि दाएं हाथ की हड्डी टूट जाने के कारण अब वह एक महीने तक काम नहीं कर पाएंगे।
अधिकारीयों द्वारा दिया गया दूसरा काम
इन्टरार्क मजदूर संगठन ऊधम सिंह नगर के अध्यक्ष दलजीत सिंह ने वर्कर्स यूनिटी को बताया कि बिजेंद्र प्लांट के अंदर मशीन ऑपरेटर के तौर पर काम करते हैं। घटना वाले दिन उनको हेल्पर का काम दिया गया था।
दलजीत का कहना है कि बिजेंद्र को इस काम की बिलकुल भी जानकारी नहीं है। फिर भी प्रबंधन मज़दूरों को परेशान करने के लिए ऐसा करवा रहा था।
इन्टरार्क मजदूर संगठन के सदस्यों का आरोप है कि प्रबंधन द्वारा मज़दूरों का लगातार शोषण किया जा रहा है। जिससे मज़दूर-श्रमिकों में भय का माहौल बना हुआ है।
मज़दूरों का किया जा रहा है शोषण
फैक्ट्री परिसर के भीतर नए-नए मजदूर विरोधी कानून कंपनी प्रबंधक द्वारा रोज बनाए जा रहे हैं, जिसे बलपूर्वक लागू करवाया जा रहा है। इससे फैक्ट्री परिसर के भीतर का माहौल बहुत ही तनावपूर्ण और भयावह बना हुआ है।
उनका कहना है कि झूठे आरोप लगाकर मज़दूरों को ड्यूटी के दौरान गेट के बाहर भेज दिया जा रहा है। कभी बिना आरोप लगाए ही इंजीनियर सुपरवाइजर द्वारा सिक्योरिटी गार्ड को बुलाकर मज़दूरों को कंपनी गेट से बाहर भेज दिया जाता है।
मज़दूरों का मानसिक उत्पीड़न लगातार किया जा रहा है।
जारी है प्रदर्शन
गौरतलब है कि इन्टरार्क मजदूर संगठन के मजदूरों द्वारा पंतनगर एवं किच्छा के प्लांट में 16 अगस्त 2021 से फैक्ट्री परिसर के बाहर मजदूर अपनी मांगों व मज़दूर उत्पीड़न एवं शोषण के विरोध में धरना दे रहे हैं।
कंपनी प्रबंधकों द्वारा 1 साल से ज्यादा समय बीत जाने के बाद भी समस्याओं के समाधान के लिए आज तक कोई भी उपयुक्त कदम नहीं उठाए गए हैं।
कंपनी प्रबंधकों द्वारा किच्छा एवं पंतनगर प्लांट से मशीनों को बाहर निकालने के लिए प्रबंधन अपनी पूरी ताकत लगा रहा है। 22 अगस्त से ही गाड़ियों पर लोड मशीनों को गेट के बाहर निकालने का मौका तलाशा जा रहा है।
संगठन के सदस्यों और मज़दूरों का कहना है कि हम प्रबंधन की इस योजना को कभी सभी सफल नहीं होने देंगे।
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