भगवती वर्करों को मिली जीत, सुप्रीम कोर्ट ने प्रबंधन को 5 करोड़ रुपए जमा करने का दिया निर्देश
उत्तराखंड के सिडकुल पंतनगर स्थित माइक्रोमैक्स मोबाइल बनाने वाली कंपनी भगवती प्रोडक्ट्स के 303 मज़दूरों बीते 44 महीनों से लगातार अपनी मांगों को ले कर धरना दे रहे हैं।
सोमवार को एक बाद फिर मज़दूरों के पक्ष में फैसला आया है। सुप्रीम कोर्ट ने प्रबंधन को फटकारते हुए रुके हुए आदेश को तत्काल पूरा करने का निर्देश दिया है।
वर्कर्स यूनिटी को सपोर्ट करने के लिए सब्स्क्रिप्शन ज़रूर लें- यहां क्लिक करें
साथ ही प्रबंधन को उच्चतम न्यायालय में 5 करोड़ रुपए जमा करने का निर्देश दिया है। जिसके बाद छंटनी किये गया मज़दूरों के बकाया वेतन का भुगतान लिया जायेगा।
हाई कोर्ट ने छंटनी को ठहराया था अवैध
उल्लेखनीय है कि माइक्रोमैक्स प्रोडक्ट बनाने वाली भगवती प्रोडक्ट्स लिमिटेड के प्रबंधन ने 27 दिसंबर 2018 को 303 मज़दूरों की गैरकानूनी छंटनी कर दी थी। जिसके संबंध में औद्योगिक न्यायाधिकरण हल्द्वानी ने 2 मार्च 2020 के अपने आदेश में छंटनी को अवैध घोषित किया था और समस्त 303 मज़दूरों को उनके बकाया वेतन देने का आदेश दिया था।
प्रबंधन ने इसके खिलाफ उच्च न्यायालय नैनीताल में रिट दायर की। 5 अप्रैल 2022 को उच्च न्यायालय की पीठ ने न्यायाधिकरण के आदेश को सही ठहराया था। इस तरह से मज़दूरों को लगातार जीत हासिल हुई थी।
- भगवती वर्करों के वेतन वसूली के लिए कंपनी को 16 करोड़ रु. का नोटिस जारी
- रुद्रपुर : कोर्ट आदेश आने के बाद भी 300 से ज्यादा मज़दूरों को नहीं किया गया कार्यबहाल, जानिए क्या है पूरा मामला
संघर्ष के बीच मामले को कई बार लटकाने के बाद एएलसी ने 10 अगस्त 2022 को 15 दिन के भीतर समस्त मज़दूरों की कार्यबहाली का निर्देश पत्र जारी किया। उसके पश्चात 18 अगस्त को 27 दिसम्बर 2018 से 27 मई 2022 तक के बकाया वेतन 15 करोड़ 49 लाख 59 हजार 610 रुपए की अदायगी के संबंध में नोटिस जारी किया था।
इस बीच प्रबंधन ने उच्चतम न्यायालय में विशेष अनुमति याचिका (SLP) दायर की। इसी के साथ उसने उक्त राशि पर स्थगन आदेश लगाने का आवेदन किया था।
प्रबंधन के नाम जारी किया नोटिस
सोमवार को उच्चतम न्यायालय में न्यायमूर्ति संजीव खन्ना व न्यायमूर्ति जे के माहेश्वरी की 2 सदस्यों की खंडपीठ ने सुनवाई की। जो मज़दूरों के पक्ष में की गई है। यह एक क़ानूनी मामला होने के कारण पीठ ने इस मामले में प्रबंधन को एक नोटिस जारी किया।
पीठ ने मज़दूरों के बकाया वेतन के संबंध में जारी आदेश सहित पूरे मामले पर इस शर्त के साथ स्थगनादेश (स्टे) दिया कि प्रबंधन रुपए 5 करोड़ अदालत में जमा करेगा। जबतक उक्त धनराशि कंपनी जमा नहीं करेगी स्टे प्रभावी नहीं होगा। यह निर्देश मज़दूरों की बकाया राशि के संबंध में जारी नोटिस के सापेक्ष है। इस तरीके से सर्वोच्च अदालत में कार्यवाही अब तेज़ हो गई है।
इस आदेश के बाद से ही मज़दूरों को एक महत्वपूर्ण व बड़ी जीत हासिल हुए है। प्रबंधन जिस प्रकार से पूरे मामले को उलझा रहा है, अब उसे मज़दूरों के बकाया वेतन के संबंध में 5 करोड़ रुपए की राशि जमा करनी पड़ेगी।
गौरतलब है की बीते 44 महीने से भगवती-माइक्रोमैक्स के मज़दूरों का संघर्ष जारी है। आज भी मज़दूरों द्वारा श्रम भवन रुद्रपुर में धरना दिया जा रहा है। अंतिम जीत तक मज़दूर ज़मीनी व क़ानूनी लड़ाई जारी रखने के लिए कृत संकल्प हैं।
(वर्कर्स यूनिटी स्वतंत्र निष्पक्ष मीडिया के उसूलों को मानता है। आप इसके फ़ेसबुक, ट्विटर और यूट्यूब को फॉलो कर इसे और मजबूत बना सकते हैं। वर्कर्स यूनिटी के टेलीग्राम चैनल को सब्सक्राइब करने के लिए यहां क्लिक करें।)