मोदी सरकार की नीतियों के खिलाफ मज़दूर संगठनों का कल ‘देशव्यापी मज़दूर प्रतिरोध दिवस’ का आह्वान
संघर्षशील मज़दूर संगठनों व यूनियनों के संयुक्त मंच ‘मज़दूर अधिकार संघर्ष अभियान (मासा) के आह्वान पर मज़दूर वर्ग पर चौतरफा हमले के खिलाफ 8 फरवरी को ‘देशव्यापी मज़दूर प्रतिरोध दिवस’ के लिए देश के विभिन्न हिस्सों में प्रचार अभियान जोरों पर है.
मासा से जुड़े एक कार्यकर्त्ता ने जानकारी देते हुए बताया कि ‘ 8 फरवरी को देशभर में विभिन्न राज्यों की राजधानियों, जिला मुख्यालयों और औद्योगिक इलाकों में शहरी और ग्रामीण मज़दूर विरोध प्रदर्शित करेगी. देशी-विदेशी पूंजीपतियों और फासीवादी ताकतों द्वारा मेहनतकश जनता पर हमलों के खिलाफ सम्मानजनक जिन्दगी और वास्तविक जनवाद के लिए आवाज उठाया जाएगा’.
इस दौरान वक्ताओं ने कहा कि ‘ देशी-विदेशी पूंजीपतियों के हित में देश का मेहनतकश भयावह पीड़ा के दौर में है. मोदी सरकार पुराने श्रम कानूनों को बदल कर मज़दूर विरोधी चार श्रम-संहिताएं लागू करने की पूरी तैयारी में है. शिक्षा-स्वास्थ्य, रेल-सड़क परिवहन से लेकर खदान-बंदरगाह-एयरपोर्ट-टेलिकाम-बिजली आदि सार्वजनिक संपदा-संपत्ति, देशी-विदेशी पूंजीपतियों को बेच रही है. सरकारी नौकरी में भर्तियां खत्म हो रही हैं और निजी कम्पनियों में बेरोक-टोक छंटनी जारी है. बेरोजगारी विकट है, महंगाई आसमान छू रही है. दूसरी तरफ भाजपा सरकार की शह पर धार्मिक-जातिगत भेदभाव व नफ़रत की राजनीति तीखी हो चुकी है’.
वक्ताओं ने कहा कि ‘ इस प्रतिरोध के दौरान मज़दूर विरोधी चार श्रम संहितों को खारिज करने, शिक्षा-स्वास्थ्य, सार्वजनिक संस्थाओं के निजीकरण पर लगाम लगाने, महंगाई बेरोजगारी पर रोक, सबको स्थाई सुरक्षित रोजगार की गारंटी देने तथा सांप्रदायिक नफरत की राजनीति के खिलाफ माँगें उठाई जाएंगी. साथ ही स्थानीय स्तर पर विभिन्न मज़दूर समस्यों से संबंधित माँगें भी उठेंगी’.
प्रचार अभियान के दौरान राजधानी दिल्ली, यूपी, उत्तराखंड, पंजाब से लेकर तेलंगाना, कर्नाटका, तमिलनाडु में संगठित मज़दूरों के साथ असंगठित मज़दूरों के बीच प्रचार अभियान जारी है.
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