इलाहाबाद में ज़ोमैटो के डिलीवरी ब्वॉयज़ की हड़ताल, टीम लीडर मौखिक वादा करके चलते बने
इलाहाबाद में ज़ोमैटो कंपनी के डिलीवरी ब्वॉयज़ हड़ताल पर चले गए। ये वर्कर,जिन्हें गिग वर्कर भी करते हैं, काम के पैटर्न में किए गए नए बदलावों और प्रति डिलवरी भुगतान में कटौती से नाखुश हैं।
हड़ताल से पहले अपने एक साथी की गिरफ़्तारी को लेकर आक्रोशित इन वर्करों ने प्रयागराज के कार्यालय क्षेत्राधिकारी, नगर द्वितीय के सामने प्रदर्शन किया।
बीते एक और दो जून को डिलीवरी ब्वॉयज़ ने हड़ताल पर जाने की घोषणा की थी। पहले भी कई बार अलग-अलग इलाकों के डिलीवरी ब्वॉयज़ हड़ताल कर चुके हैं।
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इन वर्करों का कहना है कि कंपनी के टीम लीडर, जो एक्जीक्यूटिव स्तर के अधिकारी होते हैं, वर्करों की समस्याओं को लगातार नजरअंदाज करते रहे हैं।
उनके मुताबिक, “ना तो वह उनका फोन उठाते हैं और ना ही इन समस्याओं का कभी संज्ञान लिया जाता है। इस स्थिति को देखते हुए सभी वर्कर हड़ताल पर जाने को मजबूर हुए।”
हालांकि हड़ताल के दूसरे दिन ज़ोमैटो कंपनी के अधिकारी हड़ताल करने वाले वर्करों से मिलने आए और मौखिक आश्वासन देकर चले गए। टीम लीडर व मैनेजर ने समस्याएं हल करने का वादा तो किया लेकिन लिखित में कुछ भी नहीं दिया।
मौके पर मौजूद सामाजिक कार्यकर्ता गौरव सिंह ने वर्कर्स यूनिटी को बताया कि लिखित में कुछ न देने की वजह से मैनेजमेंट वादे पूरे करेगा इसकी कोई गारंटी नहीं है।
कुछ वर्करों ने बताया कि समझौते के लिए आए कंपनी के अधिकारियों के साथ सादी वर्दी में कुछ लोग थे, जो परोक्ष रूप से धमकाने की कोशिश कर रहे थे।
प्रमुख मांगें
- पेआउट में की गई तत्कालीन कटौती तुरंत वापस हो
- लंबी दूरी की डिलीवरी का भुगतान दूरी के हिसाब से हो
- साइकिल वाले राइडर को 4 किलोमीटर से ऊपर के ऑर्डर नहीं दिए जाएं
- वेटिंग टाइम जोकि अमूमन आधे घंटे और कभी-कभी 1 घंटे होता है उसका भी भुगतान किया जाए
- पिकअप प्वाइंट यदि 2 किलोमीटर से दूर हो तो उस दूरी का भी भुगतान किया जाए
- रात 8:00 बजे के बाद लंबी दूरी की डिलीवरी न दी जाए
- रात 8:00 बजे के बाद असुरक्षित इलाकों जैसे रावतपुर, शांतिपुरम, फाफामऊ की डिलीवरी न दी जाए
- थर्ड पार्टी शैडो फैक्स को आर्डर देना बंद किया जाए जबकि जोमैटो के डिलीवरी वर्कर्स खाली हों
क्यों हुए हड़ताल पर मजबूर
ज़ोमैटो गिग वर्कर्स ने स्थानीय मीडिया से कहा कि’हम सभी राइडर्स को बहुत काम वेतन मिलता है। साथ ही जितना मिलता है वो केवल बाइक में पेट्रोल में भराने भर का बचता है।’
ज़ोमैटो के एक वर्कर ने कहा कि काम वेतन की वजह से जीवनयापन करने में भारी मुश्क्लिों का सामना करना पड़ रहा है।
वर्कर के मुताबिक, “हम सभी ज़ोमैटो राइडर्स ने दो दिनों की हड़ताल की योजना बनाई थी। तब हमने शैडोफैक्स के राइडर्स को भी अपने साथ जुड़ने की बात की, लेकिन उन लोगों ने हमारे साथी को गिरफ्तार करवा दिया। अभी तक पुलिस प्रसाशन की तरफ से कोई बात नहीं की गई है।”
इसे लेकर भी वर्करों में भारी आक्रोश दिख रहा है। उधर काम पर कुछ डिलीवरी ब्वॉयज़ लौट गए हैं जबकि कुछ अभी भी प्रबंधन के वादे पूरे करने का इंतज़ार कर रहे हैं।
क्या हैं गिग वर्कर्स
गिग का असल मतलब होता है ‘एक बार का काम’ जो कि पहले नाच-गाने वालों के संदर्भ में इस्तेमाल होता था। इसमें जरूरी बात यह होती थी कि आगे के काम की कोई गारंटी नहीं होती थी।
समय के साथ यह शब्द सभी तरह की ‘फ्रीलासिंग’ कामों के लिए इस्तेमाल होने लगा। गिग अर्थव्यवस्था का उद्देश्य है एक सीमित समय के लिए सेवा उपलब्ध कराना।
ये कंपनिया प्लेटफॉर्म या डिजिटल इंटरफेस के माध्यम से काम करती हैं और इन कंपनियों में केवल स्टार्टअप ही नहीं, Fortune 500 में शामिल कंपनिया भी हैं।
मतलब कि इनमें भारी अंतर्राष्ट्रीय पैसा लगा है। सिर्फ Uber में 2017 में 12 अरब डॉलर का निवेश हुआ था।
इस अर्थव्यवस्था का कितना विस्तार हुआ है इसका अंदाज इस बात से लगाया जा सकता है कि 2009 में ऐसी 80 कंपनिया थीं जिनकी संख्या बढ़ कर 2021 में 330 हो गई है।
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