भारत गौरव के नाम पर ट्रेनों का संचालन प्राइवेट हाथों में देने का भारी विरोध, IREF ने कहा नहीं बेचने देंगे रेल
रेल्वे स्टेशनों के बाद अब आखिरकार मोदी सरकार ने ट्रेन को भी प्राइवेट के हवाले करना शुरू कर दिया है।
भारत गौरव योजना के तहत देश की पहली प्राइवेट ट्रेन को कोयंबटूर नार्थ, तमिलनाडु से 14 जून को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया गया जो कि 16 जून को साईं नगर शिर्डी, महाराष्ट्र पहुंची।
भारतीय रेलवे ने ट्रेन को दो साल की लीज पर प्राइवेट सर्विस प्रोवाइडर को दिया है।
इंडियन रेलवे इम्पलाइज फेडरेशन (IREF) सम्बद्ध AICCTU के केंद्रीय पदाधिकारियों ने प्रेस विज्ञप्ति जारी करते हुए कहा कि भारत में 1991 में अपनाई गई उदारीकरण, निजीकरण और वैश्वीकरण की नीतियों के तहत भारतीय रेलवे का निगमीकरण/निजीकरण करने के लिए डॉ. विवेक देवराय एवं सैम पित्रोदा जैसी अनेकों कमेटियों का गठन किया गया।
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इन कमिटियों ने रेलवे को टुकड़ों के आधार पर प्राइवेटाइज करने की साजिश को अंजाम देते हुए रेलवे में जोरदार तरीके से ठेकेदारी, आउटसोर्सिंग, पीपीपी (PPP), एफडीआई (FDI) प्रथा को बढ़ावा दिया।
इसके तहत रेलवे के लगभग 400 स्टेशनों को प्राइवेट सेक्टर के हवाले कर दिया गया तथा अब उसे आगे बढ़ते हुए भारतीय रेलवे के मलाईदार रूटों को प्राइवेट सेक्टर के हवाले किया जा रहा है।
भारत सरकार के इस देश, आमजन, रेलवे तथा रेलवे कर्मचारी विरोधी नीतियों का इंडियन रेलवे इंप्लाइज फेडरेशन जोरदार विरोध करता है, उन्होंने कहा कि प्राइवेट सेक्टर को ट्रेनों का संचालन देना देश व रेलवे को तबाही की तरफ लेकर जाएगा।
AICCTU राष्ट्रीय सचिव व IREF राष्ट्रीय उपाध्यक्ष, डॉ कमल उसरी ने कहा कि लंबे रूटों पर विशेष ट्रेनों को प्राइवेट हाथों में सौंपने पर रेलवे को बड़ा आर्थिक नुकसान उठाना पड़ेगा।
मसलन दिल्ली-मुंबई रूट पर चलने वाली राजधानी एक्सप्रेस की एक यात्रा से रेलवे को क़रीब 50 लाख रुपये की आमदनी होती है।
ऐसे में व्यस्त रूट पर ट्रेनों को प्राइवेट हाथों में सौंपना रेलवे के लिए बड़े नुकसान का सौदा होगा।
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उन्होंने कहा कि भारत गौरव योजना असल में भारत गर्क योजना है, इस योजना के तहत रेलवे का संचालन प्राइवेट हाथों में देने के लिए चौतरफा दरवाजे खोल दिए गए हैं।
IREF व AICCTU पदाधिकारियों ने कहा कि भारत सरकार निजीकरण की नीतियों पर चलते हुए शिक्षा, रोजगार, स्वास्थ्य व अन्य योजनाओं, जिनमें आमजन का सरोकार होता है, में प्रत्येक वर्ष बजट में भारी कटौती कर रही है दूसरी तरफ सुरक्षा के नाम पर भारी मात्रा में हथियारों की खरीद-फरोख्त कर अपने आकाओं की जेबें भरी जा रही है।
अमरीक सिंह ने कहा कि इतिहास गवाह है कि जिस देश में रेलवे का निजीकरण किया है उसे वापस रेलवे को सरकारी हाथों में लेने के लिए मजबूर होना पड़ा है, इंग्लैंड जैसे देश इसका बड़ा उदाहरण हैं।
उन्होंने कहा कि जन हितैषी नीतियों से हाथ पीछे खींचने के लिए भारत सरकार को एक दिन पछताना पड़ेगा।
सरकारों के सताए हुए लोग जब सड़कों पर उतरेंगे तो पूंजीपति हितैषी सरकारों को अपना फैसला वापस लेने के लिए मजबूर होना पड़ेगा।
नेताओं ने कहा कि हम भारत सरकार द्वारा भारत गौरव योजना के तहत ट्रेनों का संचालन प्राइवेट हाथों में देने का पुरजोर विरोध करते हैं तथा आने वाले दिनों में IREF की तरफ से ठोस रणनीति बनाते हुए जोरदार संघर्ष का बिगुल बजाएंगे।
(न्यूज एंड एडिटिंगः प्रतीक तालुकदार)
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