सीकर: 9 दिनों की जद्दोजहद के बाद निकाला गया मिट्टी में 40 फीट गहरे दबे मजदूर का शव, कुई खोदने के दौरान दब गया था मजदूर
राजस्थान के सीकर जिले के कोलिड़ा गांव में गटर की कुई खोदते समय धंसे मजदूर के शव को आखिरकार 9वें दिन निकाला जा सका। सिविल डिफेंस, आर्मी व एनडीआरएफ की टीम ने मिलकर ऑपरेशन को अंजाम तक पहुंचाया।
इससे पहले मेट्रो की पायलिंग मशीन से नया गड्ढा कर नालों से रास्ता बनाकर शव निकालने का अभियान भी काफी कठिन रहा।
शव के पास पहुंचकर पुरानी रस्सी काटकर नई रस्सी बांधकर शव ऊपर लाने के दौरान भी पांच बार मिट्टी धंस गई। जिससे गड्ढ़े में उतरे टीम सदस्यों को वापस लौटना पड़ा। लेकिन, बार बार के प्रयासों से आखिरकार मजदूर के शव को बिना किसी क्षति के निकालने में कामयाबी मिल गई।
शव निकालने के बाद उसे एंबुलेंस में एसके अस्पताल की मोर्चरी में लाया गया है। जहां पोस्टमार्टम के बाद शव परिजनों को सौंप दिया गया। गौरतलब है कि कोलिड़ा में 22 जून को गंगाधर बुडानिया के खेत में गटर की नई कुई खोदते समय पास की पुरानी कुई धंस गई थी। जिसकी चपेट में आने से गांव का मनरूप मील उसमें दब गया था
एनडीआएफ के प्रदेश प्रभारी योगेश कुमार मीणा ने बताया कि एनडीआरएफ के पहुंचने के बाद सिविल डिफेंस, एसडीआरएफ व आर्मी की मदद से नए सिरे से ऑपरेशन शुरू किया गया। जिसमें पहले पुराना गड्ढा भरवाया गया। फिर जिस कुई में मजदूर धंसा था उसके पास मेट्रो की पाइलिंग मशीन से 45 फीट का गड्ढा कर पाइपें डाली गई। इसके बाद दोनों गड्ढों के बीच करीब तीन फीट का एक समानांतर रास्ता बनाकर ऑक्सीजन सप्लाई के साथ टीम सदस्यों को उतारा गया। जिन्होंने मिट्टी धंसने व अन्य कई तरह की समस्याओं के बीच बेहतर तकनीक का इस्तेमाल करते हुए शव को बाहर निकाला।
घटना के बाद मृतक के परिजनों व ग्रामीणों ने परिवार को आर्थिक सहायता देने की मांग की है।
मृतक के छोटे बेटे दिलिप मील ने कहा कि परिवार अब तक पिता की कमाई से ही चल रहा था। ढाई महीने पहले विदेश गया बेटा भी अब लौट आया है और वह खुद अभी पढ़ाई कर रहा है। ऐसे में परिवार को आर्थिक संबल देने के लिए उचित मुआवजा दिया जाए।
मामले में मौके पर 22 जून से लगातार डटे जिला उप प्रमुख ताराचंद धायल, सरपंच शिवपाल मील व छात्र नेता कानाराम जाट ने भी परिजनों को हर संभव मदद दिलाने का आश्वासन दिया है।
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