रामनगर पंचायत से पहले उठी वन ग्राम भू्मि पर मालिकाना हक़ की मांग
उत्तराखंड में खेती किसानी की बुरी दशा और वन ग्रामों की ज़मीन पर मालिकाना अधिकार समेत तीनों कृषि कानूनों को वापस लिए जाने के लिए रविवार को रामनगर में किसान पंचायत का आयोजन किया जा रहा है।
संयुक्त किसान मोर्चा का कहना है कि 21 मार्च को आहूत किसान पंचायत की तैयारियां जोर-शोरों से की हैं।
रामनगर के एक रेस्टोरेंट में हुई पत्रकार वार्ता में मोर्चा के नेताओं ने बताया कि किसान पंचायत में कुमाऊं क्षेत्र के कोने-कोने से तथा जिला बिजनौर के किसानों के साथ बड़ी संख्या में महिलाएं भी भागीदारी करेंगी।
रामनगर की किसान पंचायत में पहाड़ के किसानों के सवालों तथा वन ग्राम व गोट-खत्ते वासियों के भूमि पर मालिकाना हक के सवालों पर भी चर्चा की जाएगी।
उन्होंने कहा कि देश में सरकार ने किसानों के लिए पहले से ही बहुत कम मंडियों की व्यवस्था की है। पहाड़ों में तो किसानों की उपज ख़रीदे जाने के लिए ज्यादातर जगहों पर मंडियां ही नहीं हैं। जंगली जानवरों के बढ़ते आतंक तथा किसानों के उत्पाद को बाजार न मिल पाने के कारण पहाड़ व उत्तराखण्ड की खेती-किसानी चौपट हो गयी है।
किसान नेताओं ने कहा कि 3 कृषि कानून आने से पहले ही अडानी ने देश के 5 राज्यों में 90 लाख कुंटल की क्षमता वाले साइलो गोदाम बनाकर तैयार कर लिये हैं। उन्हें जमाखोरी की खुली छूट दिए जाने के कारण इन 3 कृषि कानूनों का असर आम आदमी की थाली पर पड़ रहा है,
किसान नेताओं ने 17 मार्च को सल्ट क्षेत्र में पुलिस-प्रशासन द्वारा संयुक्त किसान मोर्चा के प्रचार वाहन का रोके जाने की भी कड़े शब्दों में निंदा की तथा चेतावनी दी कि यदि सरकार किसानों के साथ इस तरह का तानाशाहीपूर्ण रवैया अपनाएगी तो किसान मोर्चा को पहाड़ों पर भी ट्रैक्टर रैली लेकर प्रदर्शन करने के लिए बाध्य होना पड़ेगा।
21 मार्च की किसान पंचायत में किसान नेता राजेन्द्र सिंह, दिगम्बर सिंह, जगतार सिंह बाजवा, कमांडो रामेश्वर श्योरान व हरनेक सिंह समेत देश के जाने माने किसान नेता अपने विचार व्यक्त करेंगे।
पत्रकार वार्ता में महेश जोशी, दीवान कटारिया, ललित उप्रेती, ललिता रावत, एडवोकेट कमलेश कुमार, रमनदीप संध, सोनू पिंड, अमृत सिंह, कुलदीप पहलवान, इकबाल सिंह, सेवक सिंह, ज्योति ग्रेवाल, बलदेव सिंह, सेवक सिंह, महेंद्र सिंह, सोनू प्रधान, दुष्यंत आदि मौजूद थे।
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