जब रवीश कुमार पहुंचे बहादुरगढ़ की मज़दूर बस्ती में
हरियाणा और दिल्ली के बॉर्डर पर स्थित बहादुरगढ़ औद्योगिक क्षेत्र के मज़दूरों के लिए शुक्रवार की शाम किसी यादगार वाकये से कम नहीं रही होगी, जब एनडीटीवी के पत्रकार रवीश कुमार उनकी बस्ती पहुंचे।
एनडीटीवी के लोकप्रिय कार्यक्रम प्राइम टाइम में रवीश कुमार ने इस चुनावी मौसम में मज़दूरों की सुध ली, उनके हालात जाने, ठेका कर्मचारियों के दुख तकलीफ़, उनकी सैलरी, सामाजिक सुरक्षा, ईएसआई, पीएफ़ पर बात की।
मोदी सरकार ने पिछले पांच साल में सुधार के नाम पर जो श्रम क़ानूनों में बदलाव किए हैं उससे परमानेंट मज़दूरों की संख्या अविश्वसनीय तरीके से घटी है।
छह हज़ार और आठ हज़ार रुपये महीने की तनख्वाह एक कड़वी हकीक़त बन चुकी है।
इस देश की रफ़्तार पसंद तरक्की के पीछे जिन मज़दूरों का खून पसीना बह रहा है, उसे बहुत विधिवत तरीक़े से राजनीतिक और खासतौर पर कार्पोरेट मीडिया की मुख्य धारा से दरकिनार कर दिया गया है।
ऐसे में रवीश कुमार जैसे पत्रकार जब मज़दूरों का हाल जानने के लिए मज़दूर बस्तियों में प्रकट होते हैं, तो हिंदू-मुस्लिम, हिंदुस्तान-पाकिस्तान, बीजेपी-कांग्रेस की बहसों से पटे पड़े इस मीडिया के प्रति मज़दूरों के मन की कड़वाहड़ थोड़ी कम हो जाती है।
बहरहाल, रवीश कुमार की इस रिपोर्ट को सुनिए और देखिए कि मज़दूरों को किस कदर बंधुआ मज़दूरों जैसे हालात में धकेल दिया गया है, तरक्की के नाम पर।
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