आरक्षण कानून से निजी कंपनियों में मचा हड़कंप, सीएम खट्टर को कानून वापस लेने का दिया अल्टीमेटम
हरियाणा सरकार द्वारा हाल ही में पारित निजी क्षेत्र में आरक्षण कानून के बाद राज्य में काम कर रही निजी कंपनियों के हाथ- पांव फूलने लगे हैं। आईटी क्षेत्र की कंपनियां सरकार के इस फैसले के बाद सबसे ज्यादा चिंतित नजर आ रही हैं।
मालूम हो कि कुछ दिनों पहले हरियाणा की खट्टर सरकार द्वारा राज्य में स्थानीय लोगों के लिये निजी क्षेत्र में आरक्षण संबंधी कानून पास किये गये थे। जिसके तहत निजी क्षेत्र की 75 फीसदी नौकरियां हरियाणा के स्थानीय लोगों के लिए आरक्षित रहेंगी।
खट्टर सरकार द्वारा बनाये गये इस कानून के बाद उद्योग प्रतिनिधियों ने सरकार से अपील की है कि इस कानून को रिवर्स किया जाए। कंपनियों का दावा है कि इस कानून की वजह से हरियाणा से पलायन बढ़ जायेगा।
गुरुवार को हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर और प्रमुख उद्योगपतियों के बीच बैठक हुई। अगर खबरों पर यकीन किया जाए तो खट्टर ने इंडस्ट्री प्रमुखों को भरोसा दिलाया है कि वह उनकी चिंताओं पर गौर करेंगे।
उद्योग विशेषज्ञों ने साफ कहा है कि इसका असर हरियाणा में आईटी-आईटीईएस सेक्टर की उन कंपनियों पर पड़ेगा, जो सीधे तौर पर 4,00,000 से ज्यादा लोगों को रोजगार देती हैं।
न्यू हरियाणा स्टेट एंप्लॉयमेंट ऑफ लोकल कैंडिडेट्स एक्ट, 2020 के पारित होने के बाद नैसकॉम ने एक सर्वे किया। जिसमें हरियाणा की 500 में से 73 कंपनियों को शामिल किया गया।
सर्वे के मुताबिक 15 लाख से ज्यादा कर्मचारियों को रोजगार देने वाली इन कंपनियों में से 80 फीसदी ने कहा है कि इससे उनके भविष्य के बिजनेस ऑपरेशंस और इनवेस्टमेंट प्लान्स पर नाकारात्मक असर पड़ेगा।
अध्ययन में कहा गया है कि उनमें से अधिकांश ने अपने संचालन को अन्य राज्यों में स्थानांतरित करने की धमकी दी है। क्योंकि नए कानून से उनके लिए अपने व्यवसायों को हरियाणा में चला पाना मुश्किल हो जायेगा ।
उद्योगपतियों ने हरियाणा में प्रमुख कौशल अंतर पर भी अपनी चिंता व्यक्त की है जहां वेतन 50,000 रुपये प्रति माह से कम है, जिसमें संचार, स्पोकन के साथ-साथ लिखित, एआई और मशीन लर्निंग स्किल्स, एनालिटिकल एंड स्टैटिस्टिकल स्किल्स, फाइनेंस एंड अकाउंटिंग, प्रोग्रामिंग स्किल्स, डेटा साइंस, आरएंडडी स्किल्स, इंजीनियरिंग और टेक्निकल स्किल्स जैसे फील्ड्स शामिल हैं ।
गुरुग्राम-फरीदाबाद आईटी और स्टार्ट-अप कंपनियों के लिए एक हब के रूप में विकसित होने के साथ उद्योगपतियों को लगता है कि इस तरह के कानूनों के कारण विविधता और समान अवसर नीतियों का पालन करना मुश्किल हो जाएगा।
कंपनियों को यह भी लगता है कि यह भर्ती रणनीतियों को प्रभावित कर सकता है। क्योंकि कानून के पालन करने से उद्योग पर बोझ बढ़ेगा साथ ही लोगों को रोजगार देने की क्षमता सीमित हो जाएगी।
सबसे ज्यादा प्रभावित होने वाले सेक्टर
उद्योग प्रतिनिधियों के मुताबिक इस कानून की वजह से कई सेक्टर बुरी तरह प्रभावित होगी।
उनके अनुसार ग्राहक देखभाल प्रतिनिधि, टीम संचालन हेतु प्रबंधक, कार्यबल प्रबंधन विश्लेषक, पेरोल विशेषज्ञों, मानव संसाधन (एचआर) अधिकारी, परिवहन अधिकारी, वित्त अधिकारी, आईटी अधिकारी, सुविधाओं के अधिकारी, कॉल गुणवत्ता विश्लेषक, परियोजना प्रबंधक, व्यापार विश्लेषक, नियोक्ताओं, आईटी विशेषज्ञ इत्यादि जैसी जरुरतों को पूरा कर पाना बेहत मुश्किल हो जायेगा।
(न्यूज 18 की खबर से साभार)
(वर्कर्स यूनिटी स्वतंत्र निष्पक्ष मीडिया के उसूलों को मानता है। आप इसके फ़ेसबुक, ट्विटर और यूट्यूब को फॉलो कर इसे और मजबूत बना सकते हैं। वर्कर्स यूनिटी के टेलीग्राम चैनल को सब्सक्राइब करने के लिए यहां क्लिक करें।