रिटेल व्यापार की चूलें हिलीं, दुकानदारों को 15.5 लाख करोड़ का नुकसान
आर्थिक नीतियों से तबाही की कगार पर खड़े खुदरा व्यापार की चूलें महामारी के दौरान पूरी तरह हिल गईं। पिछले 100 दिनों में भारतीय खुदरा व्यापार को लगभग 15.5 लाख करोड़ रुपये के व्यापार घाटे का सामना करना पड़ा है। इससे घरेलू व्यापार में इस हद तक उथल-पुथल हुई है कि लॉकडाउन खुलने के 45 दिनों के बाद भी स्थिति सामान्य नहीं हो पाई है।
व्यापारियों को वित्तीय संकट का सामना करना पड़ रहा है। स्टाफ की कमी के साथ ग्राहकों का भी टोटा है। वित्तीय संकट की इस घड़ी में उन्हें कई वित्तीय दायित्वों को भी पूरा करना है। केंद्र अथवा राज्य सरकारों द्वारा व्यापारियों को कोई आर्थिक पैकेज न देने से भी व्यापारियों में हताशा है।
देश के घरेलू व्यापार की वर्तमान स्थिति का विश्लेषण करते हुए कॉन्फ़ेडरेशन ऑफ़ आल इंडिया ट्रेडर्स के राष्ट्रीय अध्यक्ष बी सी भरतिया एवं राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीन खंडेलवाल ने आज कहा कि देश में घरेलू व्यापार अपने सबसे खराब दौर से गुजर रहा है और रिटेल व्यापार पर चारों तरफ से बुरी मार पड़ रही है और यदि तुरंत इस स्थिति को ठीक करने के लिए जरूरी कदम नहीं उठाए गए तो देश भर में लगभग 20 प्रतिशत दुकानों को बंद करने पर मजबूर होना पड़ेगा जिसके कारण बड़ी संख्या में बेरोजगारी भी बढ़ सकती है।
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भरतिया और खंडेलवाल ने कहा कि एक अनुमान के अनुसार देश के घरेलू व्यापार को अप्रैल में लगभग 5 लाख करोड़, मई में लगभग साढ़े चार लाख करोड़ रुपये, जून महीने में लॉकडाउन हटने के बाद लगभग 4 लाख करोड़ तथा जुलाई के 15 दिनों में लगभग 2.5 लाख करोड़ का व्यापार का घाटा हुआ है।
कोरोना को लेकर लोगों के दिलों में बड़ा डर बैठा हुआ है जिसके कारण स्थानीय खरीदार बाजारों में नहीं आ रहे हैं हैं। ऐसे लोग जो पड़ोसी राज्यों या शहरों से सामान खरीदते रहे हैं वे लोग भी कोरोना के डर तथा पब्लिक ट्रांसपोर्ट के अभाव में नहीं आ रहे हैं।
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