जर्मनी के तीन लाख प्रवासी मज़दूर हड़ताल पर गए, पूरा अधिकार देने की मांग
By खुशबू सिंह
जर्मनी में रोमानिया से आए प्रवासी मज़दूर शोषण के ख़िलाफ़ हड़ताल पर चले गए हैं। ये मज़दूर स्थाई रोज़गार और श्रम क़ानूनों के तहत पूरा अधिकार देने की मांग कर रहे हैं।
प्रर्दशन करने वाले मजदूर रोमानिया के और ये सभी लोग जर्मनी की मौसमी सब्जी “शतावरी” (एक तरह का साग) की कटाई करने के लिए यहां कुछ महीने के लिए आते हैं।
मजदूरों का आरोप है कि इनसे 14-14 घंटे की हाड़तोड़ मेहनत कराया जाता है और मज़दूरी के नाम पर कुछ नहीं दिया जाता है और ज़िंदा भर रहने के लिए खाने का पैसा दिया जाता है और दड़बे जैसे घरों में रखा जाता है।
इनका कहना है कि इस बार कोविड 19 से बचने के लिए भी कोई अतिरिक्त सुरक्षा उपकरण उन्हें नहीं दिए गए।
इसकी वजह से सैकड़ों रोमानियाई प्रवासी मज़दूर इस महामारी की चपेट में आ चुके हैं और कोरोना की वजह से कुछ एक की मौत भी हो चुकी है।
Housed several to a caravan, forced to work fourteen-hour shifts and often paid below minimum wage, Romanian seasonal workers in Germany have gone on strike to demand full employment rights. Solidarity ✊🏻#StreikBornheimhttps://t.co/ir5edhTH0s
— Jokubas Salyga (@JokubasSalyga) May 19, 2020
यही नहीं अभी तक इन्हें केवल एक महीने की ही तनखाह दी गई है। वो भी केवल ‘200-250 यूरो’।
खेतों में काम करने और ‘शतारी’ की कटाई करने के लिए हर साल तीन लाख प्रवासी मज़दूर जर्मनी आते हैं।
इन मजदूरों को बेहद खराब पर परिस्थितियों में रखा जाता है और अधिकतर मजदूरों को बाहरी दुनियां से अलग रखा जाता है।
कोरोना के इस संकट के समय ये मजदूर अपने साथ हो रहे शोषण के ख़िलाफ़ और अपने हक को पाने के लिए सड़कों पर उतर आए हैं।
विश्व के कई हिस्सों में कोरोना महामारी के बीच सबसे अधिक मजदूरों पर मार पड़ी है और इस दौरान मज़दूर अधिकारों पर सरकारों ने सबसे अधिक कुल्हाड़ी चलाई है।
इनमें भारत एक है जहां कई राज्यों में आठ घंटे के काम की जगह 12 घंटे काम का नियम लागू कर दिया गया है और कुछ राज्यों में श्रम क़ानूनों को रद्द कर दिया गया है।
लेकिन मज़दूर आंदोलन सरकारों की इन कोशिशों का पुरज़ोर विरोध कर रहे हैं। 10 केंद्रीय ट्रेड यूनियनों ने 22 मई को देशव्यापी हड़ताल की घोषणा की है और मोदी सरकार से मज़दूर विरोधी नीतियों को लागू करने से बाज आने को कहा है।
(वर्कर्स यूनिटी स्वतंत्र निष्पक्ष मीडिया के उसूलों को मानता है। आप इसके फ़ेसबुक, ट्विटर और यूट्यूब को फॉलो कर इसे और मजबूत बना सकते हैं। वर्कर्स यूनिटी के टेलीग्राम चैनल को सब्सक्राइब करने के लिए यहां क्लिक करें।)