धारा 370 हटने के बाद भी कश्मीर में आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को नहीं मिल रहा मानदेय, परिवार भुखमरी के कगार पर
कश्मीर में लंबे समय से चले आ रहे वेतन जारी करने की मांग को आखिरकार सरकार ने मान लिया। सरकार ने शुक्रवार को कहा कि समाज कल्याण विभाग की एकीकृत बाल विकास योजना (आईसीडीएस) के तहत काम करने वाली आंगनवाड़ी कार्यकर्ता (AWW) और आंगनवाड़ी सहायकों (AWH) के लंबित वेतन एक सप्ताह के भीतर जारी कर दिये जाएंगे।
ताज्जुब है कि मोदी सरकार ने धारा 370 हटाने के साथ कहा था कि इससे राज्य में खुशहाली आएगी और बाकी राज्यों की तरह ही यहां भी तरक्की होगी लेकिन अगस्त 2019 से ही आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को राज्य की ओर से मिलने वाला मानदेय लंबित पड़ा है।
पहले धारा 370 हटने के कारण चले लंबे लॉकडाउन और उसके बाद कोरोना महामारी के चलते लॉकडाउन के कारण बहुत से परिवार भुखमरी के कगार पर पहुंच गए हैं।
महिला एवं बाल विकास, महानिदेशक मीर तारिक अली का कहना है कि AWWS और AWH के लंबित पारिश्रमिक और वेतन एक सप्ताह के भीतर जारी कर दिए जाएंगे।
मीर बताया कि आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं और सहायकों का मासिक पारिश्रमिक केंद्र सरकार की वित्त विभाग जारी करती है और विभाग के पास फिलहाल धन नहीं है लेकिन केंद्र सरकार ने इसे जारी कर दिया है और उनका वेतन भी जल्द ही जारी किया जाएगा।
जम्मू-कश्मीर में केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्रालय द्वारा स्वीकृत आंगनबाड़ी केंद्रों की संख्या 31,398 है, लेकिन अभी तक मात्र 29,599 ही संचालित हैं।
आंगनबाड़ी केंद्र भी सुपरवाइजर, आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं और सहायिकाओं की कमी से जूझ रहे हैं, जिनकी संख्या सामूहिक रूप से 62,000 के आसपास है।
जम्मू-कश्मीर आंगनबाड़ी वर्कर्स- हेल्पर्स यूनियन की संयोजक लतीफा गनी ने कहा कि उनका मानदेय पिछले सात माह से लंबित है।
उन्होंने कहा की हमें जो मानदेय मिलता है उसमें राज्य और केंद्र दोनों का हिस्सा होता है। केंद्र के हिस्से से हमें 4050 रुपये मिल रहे हैं जबकि राज्य का हिस्सा 1100 रुपये प्रति माह है जो अगस्त 2019 से लंबित है।
लतीफा ने कहा कि जम्मू-कश्मीर में न्यूनतम मजदूरी कानून अभी तक लागू नही है।
उन्होंने कहा हम फील्डवर्क कर रहे हैं और नियमित रूप से अपने कर्तव्यों में भाग ले रहे हैं लेकिन मानदेय के बिना हैं।
बारामूला से आए आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं के एक समूह ने कहा कि मजदूरी का भुगतान न होने से उन्हें भुखमरी की ओर धकेल दिया गया है और उनकी हालत दयनीय है।
आंगनबाड़ी के एक मजदूर नुसरत मजीद ने कहा कि पिछले सात महीने से उन्हें मजदूरी नही मिली है।
हमने Covid19 लॉकडाउन के दौरान काम किया और अब उसी सरकार ने हमारी सेवाओं की उपेक्षा की है और हमारा शोषण किया जा रहा है।
एक अन्य कार्यकर्ता आसिया बानो ने कहा कि उन्हें कभी भी समय पर वेतन नहीं मिलता। हम लगातार अपनी मांगों को लेकर धरना प्रदर्शन करते रहे लेकिन हमारी आवाज कोई नहीं सुन रहा है। हम एलजी से अनुरोध करते हैं कि वो हमारे वेतन जल्द से जल्द हमें दिलाए।
समाज कल्याण विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि केंद्र सरकार ने 35 करोड़ रुपये मंजूर किए थे जो जल्द ही उनके खातों में वितरित कर दिए जाएंगे। मजदूरी देने में देरी इसलिए हुई क्योंकि उनका मानदेय सीधे केंद्र सरकार से आता है।
( RISING KASHMIR से साभार)
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