अरावली पहाड़ियों से 1 लाख लोगों को निकालने की तैयारी, उधर रामदेव को गिफ़्ट की गई 400 एकड़ वन भूमि
अरावली के संवेदनशील वन क्षेत्र में बसे क़रीब एक लाख ग़रीब मज़दूर जनता को छह हफ़्ते में हटाने के सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद दहशत का माहौल है। हरियाणा के फरीदाबाद स्थित खोरी गांव सहित अरावली के वन क्षेत्र में दशकों से आबाद बस्तियों को खाली कराने के लिए खट्टर सरकार ने कमर कस ली है और बिजली पानी काट दिया गया है।
ग़रीब और मज़दूर आबादी कोरोना महामारी संकट के दौरान कहां जाएगी, उनके पुनर्प्रवसा का कोई और इंतज़ाम नहीं हुआ है। उधर रामदेव के पतंजली कंपनी को इसी अरावली के क्षेत्र में फरीदाबाद में ही 400 एकड़ ज़मीन दे दी गई है (दैनिक ट्रिब्यून)।
इससे पहले 2016 की टाइम्स ऑफ़ इंडिया की रिपोर्ट है कि इन्हीं अरावली के जंगलों की 1000 एकड़ ज़मीन का विशाल प्लाट रामदेव की कंपनी को देने की योजना थी।
सुप्रीम कोर्ट ने फरीदाबाद नगर निगम को लगभग एक लाख लोगों के आवास वाले लगभग 10 हजार आवासीय निर्माणों को हटाने के आदेश में कहा है कि भूमि हथियाने वाले कानून के शासन में शरण नहीं ले सकते और निष्पक्षता की बात नहीं कर सकते।
जस्टिस ए.एम. खानविलकर और दिनेश माहेश्वरी ने राज्य सरकार के अधिकारियों से छह सप्ताह के भीतर अनुपालन रिपोर्ट मांगी।
ऐसे समय में जब महामारी के चलते पूरा देश त्रस्त है और जीवन यापन का संघर्ष सामने है उस दशा में गांव में बड़े पैमाने में रहने वाले प्रवासी मजदूर सिर पर छत खोने से चिंतित हैं।
नगर निगम के संयुक्त आयुक्त प्रशांत अटकान के अनुसार अब 15, 16, 17 और 18 जून को अवैध निर्माण हटाने की कार्रवाई होगी। इन चार दिनों के लिए पुलिस बल की मांग की गई है।
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने छह हफ्ते में खोरी गांव को खाली कराने के आदेश दिए हैं। नगर निगम और जिला प्रशासन ने बुधवार को तोड़फोड़ की तैयारी कर ली थी। पुलिस बल की भी मांग की गई थी, लेकिन पुलिस बल न मिलने के कारण कार्रवाई को स्थगित कर दिया गया था।
हालांकि डीसीपी की ओर से पुलिस बल पूरी तरह से तैयार होने का दावा किया गया। बाद में जिला उपायुक्त यशपाल यादव और निगमायुक्त डा. गरिमा मित्तल ने डीसीपी एनआइटी अंशु सिंगला के साथ बैठक कर इस बाबत जानकारी दी थी कि पूरी योजना के साथ पुलिस प्रशासन के साथ मिलकर खोरी में तोड़फोड़ की कार्रवाई को अंजाम दिया जाएगा।
घर से बेघर हो रहे स्थानीय लोगों के कुछ वाजिब प्रश्न हैं जिससे प्रशासन आंखे चुरा रहा है-
1. पिछले कुछ दशकों से खोरी गांव में अपना जीवन समर्पित करने वाले और इस पूरे खोरी गांव और इस जंगल की रक्षा करने वाले लोगों को पुनर्वास के रूप में राज्य उन्हें क्या राहत देने जा रहा है?
2. सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश को लागू करने के लिए प्रशासन की क्या तैयारी है और इसमें खोरी गांव के लोग किस तरह की भागीदारी निभाएंगे?
3. उन बच्चों का क्या जो कोरोना महामारी की तीसरी लहर के मुहाने पर खड़े हैं?
4. उन 5000 गर्भवती, स्तनपान कराने वाली माताओं और एकल माताओं को सरकार क्या राहत देगी?
आदेश का विरोध करने और पुनर्वास और आवास की मांग के लिए स्थानीय निवासियों ने हाल में एक विरोध प्रदर्शन किया था। जिसके बाद करीब 150 लोगों पर मामला दर्ज कर दिया गया।
नाम न छापने की शर्त पर न्यूजक्लिक से बात करते हुए, एक याचिकाकर्ता ने कहा, ”निवासियों के लिए स्थिति विकट है। घरों को खाली करने के लिए अधिकारियों ने पानी और बिजली की आपूर्ति भी बंद कर दी है। हम कानूनी सहारा लेने की कोशिश कर रहे हैं लेकिन महामारी के बीच श्रमिकों की स्थिति भयावह है।”
बस्ती सुरक्षा मंच के एक सामाजिक कार्यकर्ता नीलेश ने कहा, “प्रशासन और खोरी के निवासियों के बीच एक बातचीत की जरूरत है। जो फरीदाबाद के जिलाधिकारी और नगर निगम द्वारा सही तरह से किया जा सकता है।”
(वर्कर्स यूनिटी स्वतंत्र निष्पक्ष मीडिया के उसूलों को मानता है। आप इसके फ़ेसबुक, ट्विटर और यूट्यूब को फॉलो कर इसे और मजबूत बना सकते हैं। वर्कर्स यूनिटी के टेलीग्राम चैनल को सब्सक्राइब करने के लिए यहां क्लिक करें। मोबाइल पर सीधे और आसानी से पढ़ने के लिए ऐप डाउनलोड करें।)