महाराष्ट्र में मजदूरी बढ़ाने को लेकर चीनी मिलों के सीजनल कर्मचारी हड़ताल पर
कुछ दिनों पहले केंद्र सरकार ने छह मिलियन टन चीनी निर्यात के लिए चीनी मिलों को 6268 रुपये का पैकेज दे दिया, लेकिन इससे न गन्ना किसानों की जिंदगी में मिठास आई, न मिल कर्मचारियों की।
इसी का नतीजा है कि चीनी और उसके उप उत्पादों में शीर्ष माने जाने वाले राज्य महाराष्ट्र की मिलों के सीजनल कर्मचारी हड़ताल पर चले गए हैं।
महाराष्ट्र में गन्ने की कटाई का सीजन में शुरू होने वाला है। भारी मानसून ने पिछले वर्ष की तुलना में रोपण क्षेत्र में लगभग 33 प्रतिशत की वृद्धि के साथ बंपर फसल की है।
इस बीच लगभग चीनी मिलों के 15 लाख सीजनल कर्मचारियों ने मजदूरी बढ़ाने की मांग पर हड़ताल शुरू कर दी है।
महाराष्ट्र चीनी आयुक्त कार्यालय द्वारा साझा किए गए आंकड़ों के अनुसार, पिछले साल कुल 8.22 लाख हेक्टेयर गन्ने की कटाई की गई थी। इस वर्ष रोपा गया क्षेत्र 33 प्रतिशत बढक़र 11 लाख हेक्टेयर हो गया है।
दशकों से, पश्चिमी महाराष्ट्र में गन्ना और चीनी मिलों का संचालन होता है, लेकिन मौसमी कामगार यहां काम करने के लिए मध्य महाराष्ट्र से लगभग 400-500 किलोमीटर दूर से आते हैं।
ट्रांसपोर्टर्स एंड कॉन्ट्रैक्ट्स ऑर्गनाइजेशन और गोपीनाथ मुंडे गन्ना मज़दूर संगठन के संयोजक केशव आन्धले ने कहा कि प्रति टन चीनी कटाई मशीन की दर 350-400 रुपये बनती है, जबकि दी जाने वाली दर 239 रुपये प्रति टन है।
महाराष्ट्र सरकार और महाराष्ट्र राज्य सहकारी चीनी फैक्ट्री फ़ेडरेशन लिमिटेड के साथ भाजपा नेत्री पंकजा मुंडे के नेतृत्व में गन्ना श्रमिकों की यूनियनों की बातचीत जारी है, लेकिन मजदूरी बढ़ाने की बात पर अभी कोई फैसला नहीं हुआ है।