दिल्ली यूनिवर्सिटी के सिक्युरिटी गार्ड की सैलरी काटी, चौकीदारों में आक्रोश

दिल्ली यूनिवर्सिटी के सिक्युरिटी गार्ड की सैलरी काटी, चौकीदारों में आक्रोश

By प्रियंका गुप्ता

देश भर में मजदूरों पर शोषण की खबरे यूं तो पहले आती रही हैं पर कोरोना संकट के बीच उनपर परेशानियों का पहाड़ टूट पड़ा है।

केंद्र सरकार के आग्रह के बावजूद मजदूरों को काम से निकाल जा रहा है और तो और उनको वेतन नहीं दिया जा रहा और अगर दिया भी जा रहा है तो उसमें भी कटौती की जा रही है।

दिल्ली यूनिवर्सिटी के सिक्योरिटी गॉर्ड्स के वेतन में कटौती करने से वहां रोष व्याप्त हो गया है।

यहां सिक्योरिटी गार्ड की नौकरी करने वाले एक शख्स ने वर्कर्स यूनिटी को नाम ज़ाहिर न करने की शर्त पर बताया कि अप्रैल महीने की तनख्वाह काट लिया गया है।

उन्होंने बताया कि 6 मई को उनका वेतन आया तो केवल 9 हजार 900 रु. दिए गए हैं। उनका कहना है इस संकट की घड़ी में भी वो इतने कम पैसों में अपने घर का खर्च और गुजारा किस प्रकार चला पाएंगे इस का अंदाजा उनको नहीं है।

वो डायमंड सिक्योरिटी नाम की कंपनी में काम करते हैं, जिसका 1 अगस्त 2011 में दिल्ली यूनिवर्सिटी में टेंडर पास हुआ था।

उन्होंने बताया कि ‘ये कंपनी जब से आई है तबसे इन कामगारों का शोषण करने पर तुली है। कंपनी ने आज तक कभी भी उनके वेतन को लेकर कोई स्पष्टीकरण नहीं दिया। कभी कंपनी कहती है उनका वेतन 12,900 रु. है और महीने में 4 अवकाश दिए जाएंगे।’

उन्होंने कहा कि ‘इसके कुछ ही महीने बाद ही कंपनी द्वारा ये कहा गया कि आपका वेतन 14,000 रुपये है लेकिन महीने में एक भी अवकाश नहीं दिया जाएगा।’

उन्होंने आगे बताया कि ‘इसके कुछ महीने बाद कंपनी ने वेतन को लेकर एक बार फिर अपना फैसला बदल दिया। इस बार कहा गया कि आपको महीने में 4 अवकाश दिए जाएंगे और वेतन 11,700 दिया जाएगा।’

उनका दावा है कि कंपनी के इस तरह के रवैये से वो बेहद परेशान हैं, कंपनी लगातार उनका शोषण कर रही है यहां तक कि उनके पीएफ का पैसा भी कभी एक बराबर जमा नहीं किया जा रहा है। कंपनी अपने अनुसार पीएफ में मनमुताबिक पैसा डाल रही है।

उन्होंने बताया कि इस मामले में प्रिंसिपल एम्प्लायर यानी मुख्य नियोक्ता दिल्ली यूनिवर्सिटी भी कुछ नहीं कर रही है।

उनके मुताबिक, “दिल्ली यूनिवर्सिटी जैसे स्थान पर काम करने के बावजूद इस शोषण के खिलाफ कोई भी उनका साथ देने को तैयार नहीं है। उनको इस मामले में किसी से भी कोई समर्थन नहीं मिल रहा।”

उनका कहना है कि कंपनी के शोषण का सबसे बड़ा कारण ये भी है कि काम करने वालो में एकता नहीं है इसलिए उन्होंने खुद आगे बढ़कर इस बात को कहने की ठानी है।

20 महीने कंपनी में काम करने के बाद उनको आज तक ये नहीं पता चल पाया की उनका वेतन कितना है।

वो कहते हैं, “लॉकडाउन के समय जहां सरकार द्वारा ये निर्देश दिए गए थे कि जो इस वहज से घर पर हैं और काम नहीं कर पा रहे उनका वेतन ना काटा जाए, बावजूद इसके उनका वेतन काटा जा रहा है।”

उन्होंने कंपनी के फ़ील्ड अफ़सर पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाया, “कोरोना संकट के बीच फील्ड अफ़सर ने उनसे कहा था कि आपकी महीनें मे 4 छुट्टियों के बजाय 5 छुट्टियां और दी जाएंगी पर आपका वेतन नहीं कटेगा। फिर से वेतन काट कर दिया गया।”

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Workers Unity Team