नहीं थम रहा आत्महत्याओं का दौर, कर्ज़ बना कारण, जूता कारीगर, ऑटो ड्राईवर और किसान बने शिकार
By एस कुमार
लॉकडाउन के बाद आर्थिक और मानसिक परेशानियों से जूझ रहे मेहनतकश लोगों की आत्महत्या की ख़बरें लगातार आ रही हैं।
ताज़ा मामला उत्तर प्रदेश के आगरा का है जहां जीवन भर की कमाई खर्च हो जाने और सिर पर कर्ज़ चढ़ जाने से परेशान एक कारीगर ने आत्महत्या कर ली।
घर से एक सुसाइड नोट मिला है जिसमें लॉकडाउन की वजह से सिर पर बहुत सारा कर्ज चढ़ जाने का ज़िक्र है।
कारीगकर रघुवीर सिंह आगरा में ही एक जूता कारखाने में काम करते थे।
22 जून सोमवार को उनका शव फंदे से लटका मिला। पुलिस ने उनके पास से एक सुसाइड नोट बरामद किया है जिसमें लिखा है कि आर्थिक तंगी की वजह से वो आत्महत्या कर रहे हैं।
मरने से पहले रघुवीर सिंह ने लिखा, “नौकरी न लगने के कारण पूरा जीवन आर्थिक परेशानी में गुजरा, जो 25 हजार रुपये कैश हाथ में था वो लॉकडाउन में बैठकर खाने में खर्च हो गया है।”
“अब आगे क्या होगा अभी काम बंद है। किराया-खर्च कहां से होगा इसी परेशानी आर्थिक तंगी के कारण में अपनी जीवन लीला समाप्त कर रहा हूं।”
- मारुति के एक प्रवासी मज़दूर ने फांसी लगाकर की आत्महत्या, आर्थिक तंगी बताया जा रहा कारण
- टाटा टेक्नोलॉजी के इंजीनियर ने की आत्महत्या, सुसाइड नोट में लिखा- ‘मेरी मौत का कोई ज़िम्मेदार नहीं’
लोन की किश्त न चुका पाने के कारण आत्महत्या
दूसरी घटना झांसी के नंदन नगर की है। यहां रहने वाले एक ऑटो ड्राईवर ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। ये घटना 20 जून की है।
बताया जाता है कि 37 साल के दीपक रायकवार ने लोन पर ऑटोरिक्शा लिया था और किश्त न चुका पाने के कारण काफ़ी तनाव में थे।
घर वालों ने बताया कि उनके तीन बच्चे हैं जिनकी कुल फ़ीस 20 हज़ार रुपये भी देने थे। लॉकडाउन के कारण रोज़ी रोज़गार छिन जाने से वो काफ़ी निराश थे।
इन परेशानियों से जूझ रहे दीपक रायकवार ने घर पर ही आत्महत्या कर ली।
समाजवादी पार्टी के ज़िला अध्यक्ष महेश कश्यप ने मृतक परिवार को दस लाख रुपये की आर्थिक सहायता और बच्चों की पढ़ाई का खर्च सरकार से वहन किए जाने की मांग की है।
दीपक रायकवार दो भाई थे और कुछ सालों पहले उनके बड़े भाई का भी देहांत हो गया था।
अब घर मे बुजुर्ग माता पिता और उनकी पत्नी और तीन छोटे बच्चे हैं। दीपक अपने परिवार के इकलौते कमाने वाले शख़्स थे।
- गुड़गांव की फैक्ट्री में प्रवासी मज़दूर ने की आत्महत्या, पत्नी को दूसरे दिन मिली लाश
- लॉकडाउन के बाद अब यूपी के गांवों में आत्महत्याओं का लगा तांता
बांदा में किसान ने ज़हर खाकर दी जान
बांदा जिले के चिल्ला थाना क्षेत्र के चकला गांव में एक किसान ने खेत में ज़हर खाकर आत्महत्या कर ली जबकि एक अन्य घटना में एक लड़की ने आत्महत्या कर ली।
समाचार एजेंसियों के मुताबिक, चिल्ला थाना के प्रभारी निरीक्षक (एसएचओ) विजय सिंह ने शनिवार को बताया कि चकला गांव के किसान मुन्ना निषाद (45) ने शुक्रवार को अपने खेत में कोई जहरीला पदार्थ खा लिया था। गंभीर हालत में परिजन उसे इलाज के लिए सरकारी अस्पताल ले गए जहां उनकी मौत हो गयी।
मु्न्ना के भाई सन्तोष निषाद ने बताया, “डेढ़ बीघे कृषि भूमि पर खेती-किसानी कर परिवार का भरण-पोषण करने वाले मुन्ना निषाद का बेटा कमलेश गोवा में निजी कंपनी में नौकरी करता है। सुबह उसने अपने बेटे से फोन पर घर खर्च के लिए पैसा भेजने की बात कही थी। बेटे ने क्या जवाब दिया पता नहीं। इसके बाद उसने खेत में जाकर कोई जहरीला पदार्थ खा लिया था।”
एक अन्य घटना में महेड़ गांव में 17 साल की एक किशोरी ने जहर खा लिया और इलाज के दौरान अस्पताल में उसकी मौत हो गयी।
(वर्कर्स यूनिटी स्वतंत्र निष्पक्ष मीडिया के उसूलों को मानता है। आप इसके फ़ेसबुक, ट्विटर और यूट्यूब को फॉलो कर इसे और मजबूत बना सकते हैं। वर्कर्स यूनिटी के टेलीग्राम चैनल को सब्सक्राइब करने के लिए यहां क्लिक करें।)